नमन मंच
वार- बुधवार
दिनांक- 8-9-2021
क्रमांक-332
विषय- अन्याय
विधा- लघुकथा
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एक शाम मेरी नज़र झुग्गी के बेबस महिला पर पड़ी जिसका पति रमेश उसे मार रहा था। मैं बचाव करने पहुँची, और लोग भी एकत्रित हो गए। मैंने पूछा कि किस कारण मार रहे हो। बेबस महिला रोते हुए बोली,''मैडम जी, मेरी बच्ची को पढ़ने जाने नहीं देता, फीस के पैसे से जुआ खेलता है।'' मैंने डाँट लगाते हुए कहा," थाने में तुम्हारी शिकायत दर्ज करा देती हूँ ।" मैंने दरोगा जी कहकर फोन मिलाया और अपने ही पति से स्पीकर पर बात करा दी। मोबाइल में उसकी तस्वीर ली, ताकि उसके मन में डर बैठ जाए। रमेश ने पैर पकड़ ली और गलती की माफी माँगी। यूँ ही हमदोनों अन्याय के खिलाफ आवाज उठा समाज सेवा करते हैं, लोगों में जागरुकता लाते हैं।
* अर्चना सिंह 'जया' , गाजियाबाद।
# ब्लाॅग के लिए
वाह!
जवाब देंहटाएंBahut badhiya
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