नमन मंच
दिनांक: 8/9/21
कलम बोलती है समूह
विधा: लघुकथा
शीर्षक: पाखी
सुमि ने सुना था कि अन्याय करने वाला और सहने वाला दोनों दोषी होते हैं। तो वह इस अन्याय का प्रतिकार करेंगी। उसकी कोख पल रही बेटी का जीने का अधिकार।
एक पढ़ी लिखी नौकरी पेशा विवाहिता है। आज अपने रहने का प्रबंध कही और कर लिया। हाँ उसकी अंतरंग सखी निया ने उसका साथ दिया।
सौरभ के नाम उसने पत्र लिखा और चल दी अपने नए आशियाने की तरफ। समाज और परिवार से संघर्ष करने।
नौ महीने बाद उसने स्वस्थ सुंदर कन्या को जन्म दिया। आज उसकी बगिया खिल उठी नन्ही पाखी की किलकारी के साथ।
अंजु भूटानी
नागपुर
#ब्लॉग _के_लिए
वाह मैम! इक्कीसवीं सदी की सशक्त महिला एवं मातृत्व को खुद में समेटे सुमि की सुन्दर लघुकथा। बहुत सुन्दर मैम। बधाइयाँ।😊🙏✨
जवाब देंहटाएंअति सुंदर अभिव्यक्ति!!!!
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