नमन मंच 🌹🙏🌹
कलम बोलती है़ साहित्य समूह
विषय क्रमांक:- 331
विषय :-वो लम्हे
विधा:- कविता
दिनाँक:-०६/०९/२०२१
दिन:- सोमवार
वो लम्हे जिन्दगी के
जिसमें सपने हजार पलते थे
आसमां में उड़ान भरने की चाहत
और कभी सागर की गहराई में पहुंचना
वो लम्हे अक्सर याद आते हैं।
कितनी शांति और सुकुन था
जब हम छोटे हुआ करते थे
ज़िन्दगी की भागदौड़ में जाने कहां
खो गये हैं वो खुबसूरत से लम्हे
वो लम्हे अक्सर ही याद आते हैं
जाने कहां गये वो लम्हे
जिसमें था बस प्यार और अपनापन
अब तो छोटे बच्चों का भी बचपना खोया
वो लम्हे अक्सर ही याद आते हैं।
वो लम्हे याद ज़िन्दगी के
जिसमें रिश्तों की गर्माहट महसूस होती थी
प्यार और अपनापन रिश्तों में झलकता था
बिन बोले अपनों की बातें समझ आ जाती थी
वो लम्हे अक्सर ही याद आते हैं।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
अनुराधा प्रियदर्शिनी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश
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