नमन मंच _ कलम बोलती हे
क्रमांक_३३१
दिनांक_७/९/२०२१
विषय_वो लम्हे
जिदंगी भी कमाल हे ।
कभी हंसाती कभी रुलाती ।
कुछ लम्हे ऐसे आते ,
भूलते नही मृत्यु पर्यंतं।
हो गम के याखुशी के ।
समय अपने हिसाब से चलता ।
सुख दुख के लम्हे आते कर्म से ।
ये पल होते अग्नि परीक्षा के ।मंजिल पानी हो या गृहस्थ आश्रम।
हर लम्हे मे है परीक्षा ।
द्दढ़ निश्चित बढ़ता आगे ।
यही जीवन का सुखद लम्हा ।
कई अपने बिछडे इस कोरोना मे ।
कई देश मे छाई काली घटाऐ ।
ये दुखद लम्हे नही भूल सकते ।
दमयंती मिश्रा
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