नमन कलम बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक-331
विषय-वो लम्हें
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ज़िन्दगी के बिते हुए पल,
बन जाते हैं वो लम्हें।
यादों के खजाने में फिर,
जुड़ जाते हैं वो लम्हें।
कभी शब्दों में तो कभी लफ्जों में,
याद आते हैं वो लम्हें।
कभी छलक कर आँखों का जल,
बन जाता है वो लम्हें।
कभी सफर में हमसफर सा,
साथ देती है वो लम्हें।
कभी रूह को छूकर,
गुजर जाते हैं वो लम्हें।
कभी विरह तो कभी खुशी बन,
एहसास दिलाती है वो लम्हें।
कभी सावन की पहली बारिश सी,
बरस जाती है वो लम्हें।
कभी हाथो से रेत सी,
फिसल जाती है वो लम्हें।
कभी नासूर सा दर्द देकर,
गुजर जाते हैं वो लम्हें।
इक इक पल जो भी बित गए,
हर पल सताती है वो लम्हें।
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ममता झा
डालटेनगंज
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