यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

रचनाकार :- आ. सुनीता परसाई जी 🏆🏅🏆

पटल को नमन🙏
कलम बोलती है, साहित्य समूह
15/9/21, बुधवार
विधा :-मुक्तक
विषय :-बावरा मन

🌹बावरा मन🌹

बावरा मन ढूंढे चहुं ओर,
बंधी है  प्रीत की डोर।

प्रेम की सलोनी जोड़ी,
देख श्याम, राधा दौड़ी।

मुरली की धुन सुनकर,
सखियां आती मिलकर।

मथुरा में था जन्म लिया ,
 यशोमति को था सताया ।

राधा संग रास खेला,
था रसरंग का वो रेला।

राधा का साथ छोड़ा,
बिछड़ गया था जोड़ा।

 मिलन की नहीं थी आस,
 बावरे मन को था आभास।।

निहारती रहती थी राह,
 निकलती सदा थी आह।

अब आ जाओ गिरधारी,
मैं तो तुम से हूॅं हारी।

           स्वरचित रचना
      🌹सुनीता परसाई 🌹
            जबलपुर, मप्र

ब्लाग के लिए 🙏

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

रचनाकार :- आ. संगीता चमोली जी

नमन मंच कलम बोलती है साहित्य समुह  विषय साहित्य सफर  विधा कविता दिनांक 17 अप्रैल 2023 महकती कलम की खुशबू नजर अलग हो, साहित्य के ...