#कलम बोलती है साहित्य समूह मंच को नमन।
#जय मां शारदे।
#दो दिवसीय आयोजन।
#दिनांक : 22 सितंबर से 23 सितंबर तक।
#दिन : बुधवार से बृहस्पतिवार तक।
विषय : श्राद्ध पक्ष।
विधा : स्वैच्छिक।
। रचना।
मीठे मीठे खीर - पूड़ी, तुम किसे खिला रहे हो,
किस किस के लिए तुम सब पूजा करा रहे हो,
पंडित बुला कर क्यों पिंड - दान करा रहे हो,
जीते जी तो, पूछा नही, आज क्या दिखा रहे हो।
कोई कौआ बन कर क्यों आए तुम्हारे छज्जे पर,
एक दो दिन का ये तर्पण का अर्पण क्या लेना है,
दूध, गुड़, और, खीर के भोग आज लगाओगे,
ऐसी पूजा उनकी, जिंदा जी जिन्हे सताया था।
गाय बनकर, तेरे द्वारे मैं पूड़ी खाने क्यों आऊंगी,
कचड़े में पड़े हुए प्लास्टिक - शीशा ही खाऊंगी,
अपनी मतलब आती तो, गाय माता कहलाती हूं,
मतलब निकलते ही कसाई के घर भेजी जाती हूं।
कुता बन कर, कोई क्यों तुम्हारा श्राद्ध को खाए,
कुता हो कर भी, वह तुम से ज्यादा वफा निभाए,
कुता - कौआ यह सब तो, केवल बस उदाहरण हैं,
उनसे भी गिरा हुआ, आज, मनुज का आचरण है।
मैं सच कहता हूं, गाय, कुत्ता या कौवा नहीं बनूंगा,
तुम्हारे रूप में ही रूप बदल तुम्हारे अंदर ही रहूंगा,
शर्धा से श्राद्ध होगी, बड़ों की इज्जत अगाध होगी,
तब ही श्राद्ध पक्ष मनेगा, तब ही असली श्राद्ध होगी।
स्वरचित मौलिक और अप्रकाशित।
*ब्लॉग के लिए।
दामोदर मिश्र, बैरागी।
मेदनीनगर, पलामू , झारखंड।
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