कलम बोलती है साहित्य समूह
विषय-आम आदमी
दिनांक-30/11/2021
क्रमांक-365
आम आदमी
घिसटतें ,चलते दौड़तें ,भागतें
क्षण-क्षण समय के साथ
चाहे समय दे ना साथ
जिम्मेदारियों संग रहते सदा गतिमान
क्योंकि मैं ही तो हूँ आम आदमी
खुशी हो या गम
स्वस्थ हो या अस्वस्थ
गाते रहते हरदम
सबका रख ध्यान
मुख में रख मुस्कान
क्योंकि हम ही तो है आम आदमी
विपदाएं आती चली जाती
चट्टान सा हमें पाती
रोज़ का किस्सा यही
हो जाते अभ्यस्त सभी
क्योंकि हम ही तो है आम आदमी
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