विषय क्रमांक 366
विषय आम आदमी
विधा कविता
दिनाँक 29/11/2021
दिन सोमवार
संचालक आप औऱ हम
खूबसूरती वो मन में छुपाये
मैल दिखाता कुछ बाहर से,
आम आदमी है ख़ास नहीं
दिल का वो बहुत साफ है|
कीमती खिलौने बच्चे चाहें
पैसों की कमी न रोकें राहें,
बच्चों को वो बहला लेता
टूटे खिलौने से उन्हें हर्षाये|
रिश्तों को निभाना आता है
दूसरों के घर मिठाई ले जाता है,
चेहरे पे खुशी झलकती सदा
चाहें थैला पुराना ले चलता है|
गम में कोसता कभी भाग्य को
दुख में पुकारे कभी भगवान को,
बात बात में रोता हँसता बहुत है
जब देखे अपने बिखरते सपने को|
बेकार हो गयी हैं सारी अटकल
आम आदमी है बेबस औ बेकल,
मन मे लेता है सपनों की उड़ान
परिस्थिति भाग्य का ओड़े आँचल|
रचनाकार का नाम- संजीव कुमार भटनागर
लखनऊ, उ. प्रदेश
आदरणीय श्री संजीव सर, आदमी के अंतर्भावों को उजागर करती हुई बहुत सुंदर कविता के लिए आपका आभार। पहली पंक्ति में एक बहुत ही सकारात्मक पहलू को रखा है।
जवाब देंहटाएंसादर
-नवीन