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सोमवार, 29 नवंबर 2021

रचनाकार :-आ वंदना खंण्डूड़ी जी 🏆🥇🏆

#कलम_बोलती_है_साहित्य_समूह 
#मंच_को_प्रणाम 
#विषय_क्रमांक_365
#विषय_आम_आदमी
#दिनांक_29_11_2021
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आम आदमी से बने खास, 
जब कर जाऐ कुछ खास,
बना दे धरा को हरा-भरा, 
जब बन जाऐ वो खास।

आम आदमी सीमा पर, 
प्राण न्यौछावर करते,
कसम फर्ज निभाने के लिए, 
जीवन को अर्पण करते।

आम आदमी ने खास बनकर किये बहुत से काम,
कभी हिमालय के शिखरों मे अपना बिगुल बजाए,
कभी अंतरिक्ष में तो कभी ,
विश्व पटल पर अपना झंडा फहराये।

देखा है मैंने बस्ती मे भी उन फूलों को खिलते हुए,
जिन्होंने आम बनकर दुनिया मे परचम लहराया है,
अपने जीवन के साथ-साथ,
 सबके जीवन को महकाया है।

आम आदमी से ही बने सरकार, 
आम आदमी से ही गिरे सरकार,
जब हो कहीं अत्याचार,
तब आम आदमी मांगे अपना अधिकार।

आम आदमी बनना नहीं आसान,
जो अर्पण करें धरा को वो बन जाए खास,
जग मे रहकर करें जो सबका उद्धार,
वो ही खास आदमी को बनाया एक आम आदमी ने।

आम आदमी की शक्ति को पहचानो,
खास नहीं पर आम आदमी बनकर जग को रोशन कर जाओ।

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डा.वन्दना खण्डूडी
देहरादून, उत्तराखंड
स्वरचित रचना।

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