"कलम ✍🏻 बोलती है साहित्य समूह" मंच को नमन। विषय क्रमांक-: 365
विषय-:आम आदमी विधा -:कविता
रचना-: मौलिक स्वरचित
दिनांक -:29/11/2021
समीक्षा हेतु।
★आम आदमी★ पथ जीवन का जटिल भी है
दुरुह भी,दुष्कर भी
कई रुपों में स्वयं खोजता
आम भी खास भी
रंग वैसा रुप वैसा सब कुछ उसमें है वही
नयन नक्श सब कुछ वैसा
फिर भी अंतर भेद नही
ये भेद किसने किये ? कोई खास,कोई आम आदमी
किसने दिये इसे विशेषण
बिल्कुल वैसा ही है
जैसे अन्य मनुज तन
क्या ? कोई शरीर देखकर
अंतर कर सकता है इनमें
ये खास है ये आम आदमी
रक्त का रंग वही शरीर का रंग वही
ईशवर के बनाये हम सभी
मनुष्य,जीव,जंतु-जड़ चेतन
वृक्ष-वनस्पति सब कुछ जो इस चराचर जगत में स्थित
परिस्थितियां भिन्न भी हों
तब भी आम और खास
का भेद मन का
तन से तो सब अभेद
ये मन का मैल कब धुलेगा
ये खास आदमी
ये आम आदमी
यह तो ईशवर की बनाई
श्रृष्टि का अनादर
जब इसमें लेकर जन्म
वास इसमें सब करते
सभी प्राणमय जीव
जड़़तत्व अनगिनत
दुःख शोक रोग व्याधि
जन्म मृत्यु निशचित सब
वह स्वयं सूर्य सम फिर कैसा अनर्थ।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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