सारी श्रष्टि का बोझ उठाता हूं
किसी को नहीं सताता हूं
सबको हमेशा हंसाता हूं।।
सबकी सेवा करता हूं
सबका कल्याण करता हूं
सबका भला करता हूं
सपने ख्वाब सजाता हूं।।
अपने सपने भुल सबका
जीवन सुखी बनाता हूं
इसलिए खास नहीं
आम आदमी कहलाता हूं।।
अपने लिए नहीं दूसरो के लिए
हमेशा जीता मरता हूं।।
अपने हक की खाता हूं
नहीं किसी से डरता हूं।।
कैलाश चंद साहू
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