जय माँ शारदे
आम आदमी
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आम आदमी कौन कहाँ है, सोचो, समझो, जानो जी ।
आम आदमी की ताकत को, पढो और पहिचानो जी ।।
-1-
जो जीवन के खतिर सबको, अन्न उगाया करता है ।
खुद भूखा भी रहके सबको, सदा खिलाया करता है ।।
साधारण घर मे रहता पर, महल बनाया करता है ।
और थोडे पैसों खातिर, जिंदगी गँवाया करता है ।।
उसका खून चूसकर ही तो, भरते दिखें खजानो जी ।
आम आदमी की ताकत को, पढो और पहिचानो जी ।।
-2-
प्रहरी बनकर सीमा पे, प्राणों की बाजी लगा रहा ।
आम आदमी सच मे ही, खुद्दारी दिल से निभा रहा ।।
चाह नही अपनी किस्मत की, दूजे की जो सजा रहा ।
दुनियां भर के गम सहकर भी, वो दुनियां को हँसा रहा ।।
गन्दी बस्ती, फुटपाथों पे, दिखते ठौर ठिकानो जी ।
आम आदमी की ताकत को, पढो और पहिचानो जी ।।
-3-
जिसके बल पर सरकारें भी, बनती और बिगडती है ।
फिर भी उसके भाग्य पटल की, रेखा नही बदलती है ।।
सीढी आम आदमी की बन, जिसके संग मे लगती है ।
विश्व पटल पे उसकी ही छबि, उच्च शिखर पे सजती है ।।
पारस बटिया आम आदमी, हर युग मे था मानो जी ।
आम आदमी की ताकत को, पढो और पहिचानो जी ।।
राकेश तिवारी "राही"
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