क़लम बोलती है साहित्य समूह
दिनांक:-30-11-2021
बिषय:- आम आदमी
विधा:- कुंडलियाँ
क्रमांक 366
आम आदमी के लिए, क्या करती सरकार|
अनुदानों की सूचियाँ, बिल्कुल हैं बेकार||
बिल्कुल हैं बेकार, बड़ी गहरी है खाई|
भ्रष्टाचार पहाड़, कठिन है बड़ी चढ़ाई||
कहें' मधुर' कविराय, चकित है देख यह जमीं|
लगता है लाचार, आजकल आम आदमी||
स्वरचित/ मौलिक
ब्रह्मनाथ पाण्डेय' मधुर'
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