#कलम बोलती है साहित्य समूह
दिनांक-30/11/2021
दिन-मंगलवार
विषय-आम आदमी
विधा-कविता
विषय क्रमांक-365
मौसम बदला आम आदमी याद आ रहा है
लगता है देश में फिर कोई चुनाव आ रहा है
तभी आम आदमी जुवां पर नाम आ रहा है
किसी ने सुध ना ली कहाँ मातम मना रहा है
चुनावों में आम आदमी का मुद्दा छा रहा है
हर दल इनको लुभावने सपने दिखा रहा है
आम आदमी के मन में उम्मीद जगा रहा है
लगता है देश में फिर कोई चुनाव आ रहा है
आम आदमी नाम पर खास बन जा रहा है
आम आदमी बदहाली पर आंंशू बहा रहा है
कैसा संयोग है वह लगातार ठगा जा रहा है
लगता है देश में फिर कोई चुनाव आ रहा है
हाड तोड़ मेहनत का फल वो कहाँ पा रहा है
उनके दर्द को क्या कोई नेता बाँट पा रहा है
पिता की दवा बच्चों की फीस कहाँ दे रहा है
लगता है देश में फिर कोई चुनाव आ रहा है
स्वरचित एवं मौलिक रचना
प्रमोद तिवारी
दिबियापुर
औरैया
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