कलम बोलती है साहित्य समूह
विषय-आम आदमी
दिनांक-३०/११/२१
विधा-मुक्तक
समीक्षार्थ
आम आदमी भी ह़ै आदमी भ़ूल क्यों जाता है तू ।
अपनी कारग़ुजाऱियों से क्यों उसको डराता है तू ।
आम आदमी क़ी आहों से मत खेल कल पछताएगा -
क्यों कर के उसके अश्कों को दिन- रात बहाता है तू ।।
आम आदमी जानवर नहीं, आदमी तो ह़ै ।
तेरे जितना पढ़ा नहीं पर, आदमी तो ह़ै ।
करत़ा है बहुत कम बेईम़ानी और गुस्ताखियां -
नहीं है द़ौलतमंद तो क्या ,आदमी त़ो है ।।
औ
स्वरचित
रामगोपाल प्रयास
बहुत सुन्दर👏
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