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रविवार, 28 नवंबर 2021

रचनाकार :- आ. शिव मोहन सिन्हा जी 🏆🥇🏆

आदरणीय मंच को नमन
विषय      आम आदमी
दिनांक     29-11-2021
विधा       अतुकान्त (स्वैच्छिक)

  सियासत

   एक मासूम मारा गया,
   सियासत चल पड़ी,
   इस बात से बेखबर
   क्या गुजरती होगी
   उस माँ पर,
   जो यह जानने का यत्न कर रही है,
   क्यों मारा गया उसका लाल ?
   अभी सबेरे ही तो
   एक घंटा पहले
   उसको बड़े प्यार से स्कूल भेजा था।
   क्या हाल होगा उस बाप का,
   जो दर - बदर न्याय की गुहार में,
   कभी पुलिस, कभी प्रशासन
   या कभी नेताओं के चक्कर लगा रहा है,
   उसके बेटे की मौत इंसाफ माँग रही है,
   उस अबोध का दोष क्या है?

   व्यवस्था पूर्व की भाँति शांत है,
   दिलासा दे रही है,इंतज़ार करो
   तुमको न्याय जरूर मिलेगा,
   हाँ, इंसाफ मिलने में वक्त लगता है,
   तब तक तुम जो पीड़ित हो,
   व्यवस्था के इर्द गिर्द चक्कर लगाते रहो,
   न्याय की भीख माँगते रहो,
   तुम किसी मंत्री की संतान नहीं हो कि
   तुम्हारे लिए प्लेन हाइजैक करने वाले
   किसी आतंकी को छोड़ दिया जाए।
   न ही तुमको किसी विशिष्ट व्यक्ति का
   रुतबा मिला है कि सरकारी तंत्र
   मुस्तैदी से तुम्हारी मदद के लिए
   दौड़ने लगे।

   तुम एक सामान्य व्यक्ति हो,
   आम आदमी की तरह जीना सीखो,
   आश्वासनों पर निर्भर रहने की आदत ड़ालो,
   क्योंकि यहाँ आम आदमी को
   न्याय पाने के लिए कभी कभी
   वर्षों का इंतज़ार करना पड़ता है।
   तुमने अपना बेटा ही तो खोया है,
   बेटा देश से बड़ा नहीं है,
   अभी व्यवस्था देश के 
   विकास का खाका बुनने में व्यस्त है,
   उसके पास किसी माँ की पीड़ा,
   किसी बाप की व्यथा सुनने की
   फुरसत नहीं है।

   इसलिए, तुम इंतजार करो
   कानून अपना काम कर रहा है,
   व्यवस्था को आवश्यक
   निर्देश दिए जा चुके हैं,
   तुम्हारी पीड़ा किसी फाइल में
   दफन की जा चुकी है,
   समय आने पर फाइल खुलेगी,
   फिर न्याय प्रक्रिया शुरू होगी,
   इंतज़ार बड़े बड़े जख्मों पर
   मरहम लगा देता है,
   समय,पीड़ा और उसके
   एहसास को कम कर देता है,
   इसलिए,
   हे आम जन,
   तुम धैर्य रखने की आदत ड़ालो।

            शिवमोहन सिन्हा

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