विषय क्रमांक-366
30/11/2021
विषय-आम आदमी
आम आदमी
मैं कोई कवि नहीं
जिसकी कविता पर वाहवाही हो,
मैं कोई राज नेता नहीं
जिसके भाषण पर गड़गड़ाती तालियाँ हो,
मैं हूँ एक आम आदमी
जिसको कोई पूछता नहीं,
जिसको कोई पूजता नहीं,
जिसे कोई जानता नहीं,
जिसे कोई पहचानता नहीं,
जो रोज कुनबे भर की जरूरतें पूरी करता है,
जो रोज बढ़ती मँहगाई में उलझा रहता है।
बस अपनी मेहनत
अब छोटी लगने लगी है,
कीमतें आसमान छूने लगी है।
मैं कौन हूँ
ये तो मैं भी नही जानता।
सरकार कहती है
की मैं एक आम आदमी हूँ।
हाँ मैं हूँ आम आदमी
जो खास आदमियो के काम आता है,
सड़को पर आजकल
धरने प्रदर्शनों के लिए जाना जाता है।
परवाह किसी को नहीं मेरी,
लेकिन हर जगह बात मेरी ही होती है...
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