आम आदमी।
आम आदमी आम ही रहे तो अच्छा है
वर्ना वो बेमकसद घूमता एक बच्चा है।
जाने वो क्यों खाश बनना चाहता है
जाने क्यों वो अपने विशवास को इसलिये डिगाता है।
वो क्यों ये महसूस नही करता है
की वो अपने माता पिता ,अपने परिवार के लिये,
उनकी हर खुशी के लिये हर पल खाश ही बन जाता है।
आम आदमी आम कहा होता है
वो कम से कम रोता तो है मुस्कुराता तो है।
आम आदमी आम आदमी
आम आदमी
समाज को खुली आँखों से देखने का दिखाने का नजरिया है
इसलिये वो आम ही रहे तो अच्छा है।
सुनीता शर्मा
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