विषय क्रमांक 365
विषय आम आदमी
विधा कविता
दिनाँक 29/11/2021
दिन सोमवार
संचालक आप औऱ हम
आम आदमी होता नहीं खास,
जन साधारण होता आम आदमी।
झेलता महँगाई की मार ।
बेरोजगारी करती उस पर वार।
मूलभूत सुबिधाओं से रहता वंचित।
श्रम कर परिवार का करता पालन।
नहीं दिला पाता बच्चों को उच्च शिक्षा।
न रहने को अच्छा मकान।
एक साधारण होता आम आदमी।
नहीं रहती उसकी कोई अहमियत।
बस चुनाव के वक़्त नेताओं को ,
समझ आती है अहमियत।
तब नेताओं के लिये ,
आम आदमी हो जाता खास।
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित रचना।
नरेन्द्र श्रीवात्री स्नेह
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