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शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

विषय :-हिन्दी ।रचनाकार :- आ. संगीता चमोली जी 🏅🏆🏅

नमन मंच
क़लम बोलती है साहित्य समूह
दिनांक -11-1-2022
विषय हमारी मातृभाषा हिंदी
विषय कविता

गंगा यमुना सरस्वती मां।
युगो युगों- की शान है।
हिंदी राष्ट्र अति महान है।
यह पावन संस्कृति की पहचान है।

गंगा जल अमृत रस घर-घर है
हिंदी हमारी राष्ट्रीय धरोहर है।
चारों वेदों की प्यारी भाषा है।
संस्कृति संस्कृत में काव्य पाठ है।

सूर कबीर बाल्मिकी द्रोण जैसे।
विश्व गुरु भारत की पहचान है।
गुरु की महिमा जाने जन-जन है।
हिंदी हमारी राष्ट्रीय धरोहर है।

चलो हम शपथ ले हिंदी के संग।
हाथों में हाथ ले आगे बढ़े संग संग।
हिंदी की बिंदी माथे पर सजा दे।
हिंदी जन-जन के मन में बनाए घर हैं।

हिंदी हमारी राष्ट्रीय धरोहर है।
हिंदी साहित्य रत्न सागर है।
हिंदी गागर में सागर है।
हिंदी के वेद मंत्र से घर घर पवित्र है।
हिंदी हमारी राष्ट्रीय धरोहर है

स्वरचित मौलिक
संगीता चमोली देहरादून उत्तराखंड

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. नीतू अखिलेश त्रिपाठी जी 🏅🏆🏅

नमन-----------मंच 
दिनांक --10/01/22
क्रमांक ----------383
विषय----------- हिन्दी 
शीर्षक--(अस्तित्व खतरे मे)
##############
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
हिन्द समाया हिन्दी मे,
हिन्दी हिन्दुस्तानी।
देवभाषा जननी जिसकी,
 भाषाओ की रानी ।।
 हिन्दी हिन्दुस्तानी,----2
--------------------------------
विश्व लहराए,
परचम जिसका ।
क्या तुझको , 
इसका है भान ।।
अखंड हिन्द की ,
अखंड शान ये,
हिन्दी,हिन्दू,हिंदुस्तान ।
 सरताज रही साहित्य जगत की,
 बनकर ये महारानी ।
देवभाषा जननी जिसकी,
भाषाओ की रानी ।
हिन्दी हिन्दूस्तानी---2
-----------------------------
"नही फ़िरंगी सत्ता मे अब,
पर भाषा का शासन है ।
चीर हरण हुआ हिन्दी का,
हम सब ही दुष्शासन है ।
"मात्र न रह जाए बन भाषा,
जन जन की ये हो वानी ।
देवभाषा जननी जिसकी 
भाषाओ की रानी ।।
हिन्दी हिन्दुस्तानी-----2
##############

"चौपाई मे बसती सांसे,
अस्तित्व बनाया छन्दो ने ।
 दोहे जिसका मान बढावे,
 संस्कृति जिसके कन्धो पे।।
राष्ट्र भाषा सिरमौर बने ये,
 अब हम सब ने है ठानी ।
देवभाषा जिसकी जननी,
भाषाओ की रानी ।।
हिन्दी हिन्दुस्तानी------2
##############
स्वरचित-नीतू अखिलेश त्रिपाठी #कानपुर #
  #उ o प्र o #
🌷जय माता की 🌷
🙏🙏🙏🙏🙏🙏

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. अनु तोमर जी 🏅🏆🏅

नमन मंच
# कलम बोलती है साहित्य समूह
#क्रमांक -३८३
# दिनांक-११.०१.२२
# - विषय - हिन्दी
विद्या - स्वैच्छिक ( गद्य)
हिन्दी का आरम्भ तभी से होता है जब शिशु का जन्म होता
 है और वह मां मां करके रुदन करता है । यह शब्द कानों में
मीठा रस घोलता है। यह भाषा सरल और मधुर है । वैज्ञानिकता आधारित है । इसी के हारा प्रत्येक रस और भाव को प्रगट करते हैं। अपभ्रंश सरल और देसी भाषा शब्द ( अवहट्ट ) इसी से हिन्दी भाषा का उद्भव हुआ।१४ सितम्बर
१९४९ को कैंसिल संविधान की सभा में यह निर्णय लिया गया कि हिंदी भारत की राजभाषा हो ।भारत के राष्ट्रपति द्वारा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में विभिन्न विभागों में राष्ट्रीयकृत बैंकों में हिंदी में किए गए कार्यों के लिए पुरस्कार प्रदान किए गए । हिंदी है है हम । हिंदुस्तान हमारा है ।हमारी पहचान हिंदी के द्वारा होनी चाहिए । हमें चाहिए कि हम अपनी नई पीढ़ी को हिंदी में पुस्तक पढ़ने की आदत डालें ।यह पुस्तकें हमारी धरोहर है । आधुनिक युग में उच्च शिक्षा प्राप्त कर युवा वर्ग जीविकोपार्जन के लिए बाहर जाते हैं । अंग्रेजी पढ़े, लेकिन अपनी मातृभाषा का सम्मान करना कभी न भूलें ।इसका अधिक से अधिक प्रचार और प्रसार कर जन-जन तक पहुंचाना है । हमारी भाषा प्रेम की भाषा है। सबको अपनाती है। हमारी हिंदी भाषा मेंवो उर्जा है, वो चुम्बकीय गुण है सब देश इसकी ओर आकर्षित होते हैं। हमारे प्रतिष्ठित जन भी विदेशों में अपनी हिन्दी भाषा को महत्व देते हैं। शिक्षाविदों और बुजुर्गों का यह दायित्व होना चाहिए कि हिन्दी के प्रति रुचि जागृत 
कर प्राचीन हिंदी लिखित धार्मिक ग्रंथों में लिखे मूल्यों को बताया जाए, जिससे हमारी धरोहर .पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहे । हिन्दी हमारी शान है । हम इसकी शान को कभी कम न होने देंगे।
स्वरचित
अनु तोमर
मोदी नगर
गाजियाबाद

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. गोपाल सिन्हा जी 🏅🏆🏅

हिंदी-दिवस
-------------

माता, मातृभाषा, मातृभूमि को सदैव नमन !

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के,
मिटन न हिय के सूल।

--- भारतेन्दु हरिश्चंद्र।

हिंदी हमारी मातृभाषा है, अस्मिता है, पहचान है, अभिव्यक्ति का सहज माध्यम है। यह देश को जोड़ने वाली कड़ी है। हमें स्वभाविक रूप से आनी चाहिए, उत्साह-पूर्वक सीखनी चाहिए।

आज भारत ही नहीं, पूरे विश्व में, जहां भी भारतीय मूल के लोग हैं, हिंदी बोली-समझी जाती है। विदेश में, अनेक विश्वविद्यालयों में, हिंदी पढ़ाई जाती है। 

यह हमारी संस्कृति-संस्कारों से जुड़ी है। सामाजिक-सुधारों, स्वतंत्रता-आंदोलनों, देश की एकता, अखंडता में इसका योगदान है। 

आज अधिकांश सरकारी कार्य हिंदी में हो रहे हैं। शिक्षा एवं प्रतियोगिता-परीक्षाओं में इसका, विषय अथवा विकल्प-रूप में प्रावधान है। 

यह हमारी शिक्षा, व्यवसाय, प्रगति में बाधक नहीं, सहायक है, आत्म-विश्वास का परिचायक है। 

इसका विपुल शब्द-भंडार है, वैज्ञानिक शब्दावली एवं समृद्ध साहित्य है। 

इसकी अज्ञानता हमारे लिए हास्यास्पद है, उपेक्षा शोचनीय।

हिंदी के प्रचार का मुख्य दायित्व, हम हिंदी- भाषियों का है। हम दैनिक जीवन में इसे पूरे जोश एवं कर्तव्य-भावना से अपनाएं। स्वयं भी पढ़ें-लिखें-बोलें, बच्चों को भी प्रेरित करें।

जहां हम हिंदी के सरल शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं, वहां अनावश्यक रूप से, दूसरी भाषाओं के शब्दों से बचें।

जहाँ जाएं-रहें, वहाँ की बोली-भाषा सीखें और वहाँ हिंदी सिखाएं। इसका निश्चित ही अच्छा प्रभाव पड़ेगा।

--- गोपाल सिन्हा,
      बंगलुरू,
      ११-१-२०२२

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. सुमन तिवारी जी 🏅🏆🏅

#कलम ✍🏻 बोलती_है_साहित्य_समूह #दो_दिवसीय_लेखन
#दैनिक_विषय_क्रमांक : 382
#विषय: हिंदी
#विधा : कविता
# दिनांक: 11 जनवरी 2022, मंगलवार
समीक्षा के लिए
_______________________
माँ के भाल का तिलक हिंदी
       माँ के माथे की शोभा हिंदी। 
यही मान अभिमान हमारी
       कवियों की सुर तान हिंदी।। 

मात्रा का सारा खेल है हिंदी
       स्वर व्यंजन वर्णों की माला। 
यति गति,ताल और छंद लय
       अलंकार युक्त रस का प्याला।। 

आन बान और शान है हिंदी
       बनी भारत की पहचान हिंदी। 
संपूर्ण विश्व में भारत देश का
       परचम लहरा रही मेरी हिंदी।। 

आओ मिलकर विचार करें
       भारत माता का श्रृंगार करें। 
राष्ट्रभाषा का मान दिलाकर
       मातृभाषा का सम्मान करें।। 

             स्वरचित मौलिक रचना
     सुमन तिवारी, देहरादून, उत्तराखंड

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ सुशील शर्मा जी 🏅🏆🏅

#नमन कलम बोलती है साहित्य मंच
#विषय-हिन्दी 
विधा#काव्य
दि.11/1/22
हम हिंदू है हमारी पहचान हिंदी से है।
भारत माँ के भाल की शान बिंदी से है।
सीधी सरल व हर रूप में है अपनापन,
भावनाओं का गौरव,सम्मान हिंदी से है।
सब भाषाओं की जननी मात सी ममता,
मूक की आवाज बनती जान हिंदी से है।
लेखनी के शब्दों में ये मिठास सी भरती,
लेखन की विधाओं का भान हिंदी से है।
💐सुशील शर्मा💐

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. शीला द्विवेदी "अक्षरा"जी 🏅🏆🏅

#नमनमंच
#कलम_बोलती_है_साहित्य_समूह 
#बिषय_हिंदी

करे अलंकृत भाल सुहागिन
सौभाग्य निशानी बिंदी ज्यों,
सब भाषाओं में श्रेष्ठ कहाती
हिन्द की भाषा हिंदी त्यों।

बाल्मीकि रामायण में है
है तुलसी की चौपाई में,
कृष्ण कथामृत पान कराती
है मीरा के इकतारा में।

सूर, कबीर, रहीम की वाणी
ब्रज अवधी मान बढ़ाती है,
दोहा, छंद, पद, चौपाई से
जब हिंदी सज जाती है।

सात समंदर पार भी हिंदी
अपना रंग जमाती है,
विदेशियों के हृदय पटल पर
भगवा की छाप छोड़ती है।

कहलाती है जननी संस्कृत 
उर्दू की बहिन चहेती है,
श्रृंगार करे रस अलंकारों से
वह मेरी मातृ भाषा हिंदी है।।

शीला द्विवेदी "अक्षरा"
उत्तर प्रदेश "उरई"

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ तरुण रस्तोगी'कलमकार'जी 🏅🏆🏅

🙏नमन मंच 🙏
#कलम_बोलती_है_
साहित्य_समूह 
#आयोजन संख्या ३८३
#विषय हिंदी 
#विधा दोहा ग़ज़ल
#दिनांक ११/०१/२२
#दिन मंगलवार
#सादरसमीक्षार्थ
#प्रस्तुति संख्या ०२

सबको करना चाहिए, 
                      हिंदी में अब काम।
देना चाहूंँ मैं यही, 
                      आज यहांँ पैगाम।

भाषा प्यारी है हिंदी,
                   सुना सभी यह बात।
जग में हम प्रचार करें, 
                        हिंदी का हो नाम।

सबको कहता हूंँ यही, 
                    करो हिंदी में बात
लालच में लाकर दिए, 
                   सभी जनों को आम।

करता हूंँ यही कामना, 
                      बढ़े हिंदी का मान।
अंग्रेजी को छोड़ कर,
                    दामन इसका थाम।

मम्मी डैडी ना कहे,
                    मात पिता को आप।
टीचर या गुरु से करे
                     चरण छूकर प्रणाम।

तरुण रस्तोगी'कलमकार'
मेरठ स्वरचित
🙏🌹🙏

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. संजीव कुमार भटनागर जी 🏅🏆🏅

नमन मंच
कलम बोलती है समूह
क्रमांक 383
दिनांक 11/01/2022
विषय – हिन्दी 
विधा- कविता
शीर्षक – हिन्दी का सम्मान

जब जब होता, हिन्दी का अपमान
विश्व पटल पर, भारत का घटता मान,
दस जनवरी विश्व हिन्दी दिवस मनाते
हिन्दी बोलने में, क्यों खोते स्वाभिमान| 

क्यों केवल हिन्दी दिवस पर सम्मान मिले
क्यों न पूरे बरस, फूल बन आँगन में खिले,
सबसे सरल मीठी है, हमारी हिन्दी भाषा
नत है जैसे पर्वत, ऊंचे नील गगन तले|

विश्व हिन्दी दिवस पर, हिन्दी करे पुकार
मैं मांगु दिल में जगह, अपना अधिकार,
जन मानस को जोड़ बनी हूँ सबकी भाषा
हिन्दी हूँ मैं, मन से कर लो मुझे स्वीकार|

कैसे मैं बयान करूँ, क्या है मेरी व्यथा
क्षेत्रों में बटी हूँ, दुखभरी है मेरी गाथा,
राजनीति दूर करो, भाषा विवाद वालों            
सम्मान हो सबका, हर भाषा से मेरा नाता|

रचनाकार का नाम- संजीव कुमार भटनागर
लखनऊ, उ. प्रदेश
मेरी यह रचना मौलिक व स्वरचित है।

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ कान्ता शर्मा जी 🏅🏆🏅

नमन मंच
कलम बोलती है साहित्य सृजन मंच
क्र.संः 383
दिनाँकः 11-01-2022
विषयः हिन्दी

आओ हिंदी को अपनी पहचान बनाएं,
अस्तित्व इसका खो रहा मिलकर बचाएं।
युगों-युगों से ऋषि मुनियों की वाणी बन,
अनेक ग्रंथों की रचना में समाई।
देश विदेश में बन गई ये महान,
फिर भारत में क्यों नहीं रहा अब सम्मान।
पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण,
चहुँ ओर लहराता है इसका परचम।
हिमालय सजा है देश का मुकुट जैसे,
हिंदी की बिंदी भी चमके चाँद के जैसे।
वैज्ञानिक भाषा होकर भी ये बेगानी,
आज युवा अपना रहे संस्कृति अनजानी।
हर रक्त की बूँद में हमारे है ये समायी,
फिर अंग्रेजी अपनाकर क्यों ये भुलाई।
अ से अनपढ़ को ज्ञ ज्ञानी ये बनाये
अंग्रेजी पढ़कर क्यों ऐपल खाकर ज़ेब्रा बन जाये।
न भूलें हम विश्व पटल पर लहरा रहा है, दुनिया के कोने-कोने में इसका परचम।
विदेशी आज अपनाकर हमारी हिंदी को,
संस्कृति में इसकी खोज रहे इसके गुण।
सुनो हिन्द देश के सभी वासीयों!
अंग्रेजों ने ही तो भारत को गुलाम किया था,
फिर आज त्याग कर अंग्रेजी भाषा को,
अपनी हिन्दी से जुड़ इसकी संस्कृति का उत्थान करें।

स्वरचित व मौलिक
कान्ता शर्मा,
शिमला, हि.प्र.।

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. दमयंती मिश्रा जी 🏅🏆🏅

नमन मंच कलम बोलती हैं ।
क्रमांक_३८३
दिनांक_११/१/२०२२
विषय_‌हिंदी दिवस
विधा_गद्य
आज सब की कविताऐ कहानियां छंद आदि मे यही चर्चाएं हे । होना स्वभाविक भी ।कभी यह विचार किया की हमारे बच्चो को कितनी हिंदी आती हैं संस्कृत की तो बात ही छोड दे ।आज गांवौ मे भी अग्रेंजी शब्दावळी का चलना‌ बड रहा ।हिंदी अंको का ,महीनो दिनो के नामो का ज्ञान नही ।
तो सचाई को स्वीकारे ओर अग्रेजी अंको व शब्दावली के साथ पूर्ण ज्ञान हिंदी का कराना अति आवश्यक है ।तभी यह दिवस मनाना सार्थक हो गा ।मेरे यहाँ यह दिवस सार्थक है क्योंकि सबको हिंदी का ज्ञान हे ।बोलने मे हम पूर्ण तया हिंदी का ही उपयोग करते हैं ।
आओ हम सब करे प्रयास लिखे पढे हिंदी बढा़ये मान मातृभूमि का ।ओर सभी भाषाऔ को सम्मान दे ।
दमयंती मिश्रा

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ मगनेश्वर नौटियाल"बट्वै"जी 🏅🏆🏅

नमन🙏🕉🙏 मंच
#कलम बोलती साहित्य समूह
#दिनांक 11.01.2022
#विषय क्रमांक-383
# विषय-हिन्दी
#विधा-पद्य कविता
✍️🙏✍️👩‍🦱✍️🙋‍✍️🕉
मां समान मातृभाषा हिंदी,
जिसका गौरवशाली इतिहास।
राष्ट्रीयता का भाव जगाने,
सद्भाव बढाती भाषा खास।।
हिन्दी जन-जन की भाषा,
आशाओं पर खरी उतरती।
मृदु भावों से परिपूर्ण हिन्दी,
है जिह्वा पर जो निखरती।।
वाणी में मधुरता हिन्दी,
ज्ञान विज्ञान की दाता है।
पढता लिखता जो हिन्दी,
अनमोल रत्न बन जाता है।।
साथ दिया है मातृभाषा ने,
समाचार,दर्शन,संचार।
थे जकड़े पराधीनता में,
आजादी जंग का प्रचार।।
राष्ट्रवाद का नारा हिन्दी,
प्रेरक बन प्रेरित करती।
हिन्द देश के हैं सिपाही,
मन में सुंदर भाव भरती।।
बोल चाल की हो भाषा,
हिन्दी सम्प्रेषण में सरल।
भाषाओं में श्रेष्ठ हो तुम,
यथा पदार्थों में तरल।।
निज भाषा उन्नति करने को,
आओ मां की बोली अपनाएं।
राष्ट्रभाषा का दर्जा देकर,
आओ हम भी हिन्दी अपनाएं।।
ऋणी हैं हम माता हमारी,
पुराण,महा ग्रन्थ रामायण।
तुझसे रचना,संरचना होती,
हिन्दी से शुभ कार्य पारायण।।
दोहावली,ग्रन्थावलियां भी,
हिन्दी में ही गाथाएं गाती।
अपनीं मां अपनीं होती है,
तभी तो मातृभाषा कहलाती।।
रचनाकारों का संसार तुम्ही हो,
वाचन में आनन्दायक।
दुनियां में जितनी भाषाएं,
मां तुम सबकी हो महानायक।।
कोटिशः नमन माता को,
माता तुम विद्या की दाता।
सीख गया जो हिन्दी भाषा,
समझो योगी पुरूष बन जाता।।

सर्वथा मौलिक अप्रकाशित
 मगनेश्वर नौटियाल"बट्वै"
          श्यामांगन 
भेटियारा/कालेश्वर,उतरकाशी
        उतराखण्ड

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. प्रबोध मिश्र 'हितैषी'जी 🏅🏆🏅

नमन कलम बोलती साहि. समूह
मंगलवार /11.1.2022
विषय क्र. 383
विषय --हिंदी
विधा -दोहे
1.
ज्ञानी तक, अ अनपढ़ से,जो ले जाती मीत।
मना विश्व हिंदी दिवस, हिंदी की है जीत।।
2.
संस्कृत की जाया यही, भारत की पहचान।
राष्ट्रीय एकता धुरी, हो हिंदी उत्थान।।
3.
हिंदी में जो बात है, नहीं किसी में और।
चर्चा हिंदी में अगर,मुस्काता हर दौर।।
4.
तुलसी की भाषा यही, और सूर का गान।
माखन से मिश्री मिली, ज्यों कबिरा रसखान।।
5.
गीत, लघुकथा, गीतिका,सब हिंदी की दैन।
दोहा हो या कुंडली, पढ़कर मिलता चैन।।
6.
इधर देश में फैलती, उधर विदेश प्रवेश।
मन अभिव्यक्ति के लिए,हिंदी है सर्वेश।।
7.
निज स्वदेशी निज भाष पर, अगर नहीं अभिमान।
जीवित लगते हों भले, वो हैं मृतक समान।।
8.
हिंदी हिंदुस्तान की, हस्ती का है गान।
हिंदी की उन्नति किए, बढ़े देश का मान।।

*****स्वरचित ***********
    प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
बड़वानी (म. प्र.)451551

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. जगत भूषण राज जी 🏅🏆🏅

नमन माँ शारदे
नमन मंच कलम बोलती साहित्य समूह
दिनांक--- 11/01/2022
विषय--- हिंदी 
विधा---- दोहा ग़ज़ल

हिंदी अपनी आन हो , हिंदी अपनी शान ।
हिंदी की सेवा करें , घटे न इसका मान ।।१

हिंदी में हर काम हो , हिंदी में हो बात ।
जान बुझकर मत करें , हिंदी का अपमान ।।२

भाषण हिंदी में करें , हिंदी दुआ .सलाम ,
हिंदी में जयगान हो , हिदी का उत्थान ।।३

मम्मी पापा छोडं कर , कहिए माँ अरु बाप ।
अंग्रेजी को छोड़िए , हिंदी करें बखान ।।४

रह कर हिंदुस्तान में ,. हिंदी से हैं दूर ,
जय जय हिंदी की करें , जय जय हिंदुस्तान ।।५

स्वरचित व मौलिक
जगत भूषण राज
प. चम्पारण , बिहार

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ रत्नप्रभा पोरवाल जी

नमन मंच
 कलम बोलती है साहित्य समूह
 विषय हिंदी
 विधा स्वैच्छिक
 दिनांक 11-1-22
 दिन मंगलवार

 विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई

 कविता-- मीठे रस से भरियोडी 

 मीठी रस से भरियोडी हिंदी भाषा लागे
 जाणे मां के भाल पर बिंदी लागे

 हिंदी भाषा बड़ी रसीली
 शब्द का मान बढ़ावे
 कानों में मिश्री बोले
 जब कोई मालवी बोले
 वह तो मालवा की मिठाई गुड़धानी लागे
 जाणे मां के भाल........ 

 अलंकार तो ऐसे लगे हैं
 हीरे जड़े अपार
 रस छंद तो ऐसे जैसे
 माणक मोती हजार
 वातो झिलमिल सितारों की चुनर लागे
 जाणे मां के भाल....... 

 भावों की अभिव्यक्ति करती
 प्रेम का अलख जगाती
 संस्कारों का रोपण करती
 हिवडे हरक जगाती
वातो संस्कृति की पूरी किताब लागे
जाणे मां के भाल....... 

 हिंदी भाषाओं की नानी
 वेद पुराण सभी ने जानी
 आओ जन-जन तक फैलाएं
 सबने मन में ठानी
 वातो सभी भाषाओं की रानी लागे
जा णे मां के भाल पर बिंदी राधे

 मीठे रस से भरियो री हिंदी भाषा लागे
 जाने मां के भाल पर बिंदी लागे

 रत्नप्रभा पोरवाल
 विज्ञान नगर इंदौर

विषय :- हिन्दी । रचनाकार :- आ. सिम्मी नाथ जी 🏅🏆🏅

नमन मंच कलम बोलती है
क्रमांक —३८३
विषय — हिन्दी दिवस 
विधा — संस्मरण

बात मेरे बचपन की है । मैं पांचवी कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद गर्ल्स स्कूल में नामांकन करवाई ।
वहां की प्रधानाचार्या काफी सख्त थीं।उनसे सिर्फ छात्राएं ही नहीं , अभिभावक भी डरते थे।
मेरा पहला दिन था और मैं छोटे से मिडिल स्कूल से आई थी । सो काफी सहमी हुई थी , प्रार्थना के बाद जब कक्षा में आई तो मुझसे किसी ने कुछ नहीं पूछा ।तभी हिन्दी की अध्यापिका का प्रवेश हुआ , मेरे पीछे बैठी ट्विंकल ने कहा,आज मंडे टेस्ट है मैम।
मैम ने मुझसे मेरा नाम ,और स्कूल पूछा और प्यार से बोली ,में प्रश्न दे रही हूं ,सभी अपनी — अपनी किताबें बंद कर लो । अब मैं सहज हो गई थी,उन्होंने पूरे 25 नंबर के प्रश्न दिए । मैं मन ही मन प्रसन्न थी ।
सभी के पेपर जमा हो गए , सारी कक्षाएं बहुत अच्छी रहीं।
आखिरकार अंतिम पीरियड में चपरासी भैया ने सभीके पेपर वापस किए । मॉनिटर का चेहरा उतरा हुआ था ,क्योंकि मुझे 24 सबसे अधिक अंक आए थे ।
अगले दिन कक्षा में हिन्दी की शिक्षिका ने मेरी काफी प्रशंसा की ,उन्होंने कहा ,सिम्मी तुम्हारी अशुद्धियां नहीं थीं,तुम हिन्दी साहित्य को अपना विषय अवश्य रखना । बस क्या था ,उनके आशीर्वाद से मैं बहुत मेहनत करती , उनसे ही प्रेरणा पाकर मैं लिखने लगी।

मुझे हिन्दी की प्यारी लगती बिंदी,
सजावट है माथे की, मां भारती की हिन्दी।

सिम्मी नाथ
राँची,झारखंड
मौलिक ,स्वरचित।

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ मीना तिवारी जी 🏅🏆🏅

नमन मंच
#कलम बोलती हैं साहित्य मंच
विषय -हिंदी दिवस
विधा -कविता 

हिंदी हमारी भाषा।
नाता है अच्छा खाशा।

है धर्म यहाँ अनेको।
है भिन्न भिन्न भाषा।

है कठिन बहुत हिंदी।
जिसको न आये ये भाषा।

ये संस्कृत की है बेटी।
ऋषि मुनियों ने तराशा।

रखती है जोड़कर हमे।
ये हिंदी की है सरलता।

सिखाती है विनम्रता।
भावो की अभिव्यक्तता।

अपनापन हमे सिखाती।
ये मातृ भूमि की भाषा।

आओ बढे संकल्प लेकर।
रखे विचार की समता।

हर रोज हिंदी दिवस हो।
ये न्याय की हो सत्ता।

भाषा भी अच्छी अंग्रेजी।
पर हिंदी से न विमुखता।

सम्मान हो सभी का।
अपमानित न हो कोई भाषा।

स्वरचित-
मीना तिवारी
पुणे

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. सतीश कुमार नारनौंद जी 🏅🏆🏅

नमन मंच-कलम बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक-383
विषय-हिंदी
विधा कविता
दिनांक-11-1-22
****""""हिंदी हमारा गौरव""""****
          --------------
जनमानस की वाणी ,समृद्ध भण्डार हिंदी का,
भुवन भाल पर निशानी ,शुचि श्रृंगार हिंदी का,
भारत का गौरव,सभ्यता-संस्कृति जड़ें इसकी,
वैज्ञानिकता पर टिका,सरल व्यवहार हिंदी का।

देती शक्ति सामर्थ्य, हिंदी अखण्ड हिंदुस्तान है,
रमी राष्ट्र शिराओं में, हिंदी पोषित संविधान है,
भरे उमंग-उत्साह, समानता जन-जन में हिंदी,
इसके अप्रतिम आरोह पर,हमको अभिमान है।

सतीश कुमार नारनौंद
जिला हिसार हरियाणा
स्वरचित और मौलिक

विषय :- हिन्दी । रचनाकार :- आ डा. राम कुमार झा "निकुंज" जी 🏅🏆🏅

💐🙏#कलम ✍ बोलती है साहित्य समूह🙏💐
#दिनांकः ११-०१-२०२१
#दिवसः मंगलवार
#विधाः चौपाई
#विषयः विश्व हिन्दी दिवस 
#शीर्षकः हम भारत की शान है हिन्दी
           हम भारत की शान है हिन्दी,
           राजभाष प्रतिमानक हिन्दी।                                      
           भारत मान धरोहर हिन्दी, 
           भाल वतन है बिंदी हिन्दी।
सरल सुबोधा अधिगम हिन्दी, 
सब जन भावन पावन हिन्दी।
राष्ट्र धरोहर मानक हिन्दी,  
संविद अनुपम अविरल हिन्दी ।
         ज्ञान शास्त्र नियोजित हिन्दी,
         रचना भाव विचारक हिन्दी।
         संस्कृत जात सुसंस्कृत हिन्दी, 
         नवरस छन्द समाहित हिन्दी। 
देश विदेशज निमज्जित हिन्दी, 
समता ममता युक्ता हिन्दी।
उर्दू शब्द सुसज्जित हिन्दी
तत्सम पद जनभावक हिन्दी।    
          मधुर चारु नवगीता हिन्दी, 
          बन्धुत्व राष्ट्र विधायक हिन्दी।
          जनगण चित्त विधायक हिन्दी,
          नवनीत मृदुल नायक हिन्दी।  
भीता भारत जनता हिन्दी, 
अंग्रेज तंत्र षड्यंत्रित हिन्दी।
भाषा भेद तिरोहित हिन्दी, 
अंग्रेजी अपमानित हिन्दी ।
         राय, चौधरी ताड़ित हिन्दी, 
         देशद्रोही परिताड़ित हिन्दी।
         भाषा विभेद सीदित हिन्दी
         अंग्रेजों से परिताड़ित हिन्दी । 
ब्रिटेन शासित देश दलाली, 
राष्ट्रभाष परिभाषा बदली।
हिन्दी पढ़ क्या उन्नति होगी
छोड़ो हिन्दी पढ़ अंग्रेजी।
         दुर्गति कारण राष्ट्रविरोधी, 
         व्यक्तित्व निखरता अंग्रेजी।
         आहें घर अवसादित हिन्दी, 
        जन अभिनन्दित भाषा हिन्दी।
शिक्षण अन्येतर हो भाषी,  
पहले सम्मानित हो हिन्दी।
राष्ट्र प्रगति संबलता हिन्दी, 
राजभाष अनुमोदित हिन्दी।
         पश्चिम दर्शन हितकर हिन्दी, 
         निजभाषा स्वीकारें हिन्दी। 
         वैभव ज्ञान राष्ट्रहित हिन्दी
         महाशक्ति साधक हो हिन्दी।
अपनी संस्कृति , नैतिक हिन्दी, 
बने राष्ट्र की भाषा हिन्दी।
जनमन भावन स्नेहिल हिन्दी, 
राष्ट्रगान नित गायक हिन्दी ।
          है देश शत्रु वह मनुज नहीं,
          अभिमान न हो भाषा हिन्दी।
          स्वार्थलिप्त हो खो आज़ादी, 
          मन अवमानित बोलें हिन्दी।
देख चिन्तना भारत हिन्दी, 
क्रन्दित नित अपमानित हिन्दी।
उद्घोषण शासन हो हिन्दी, 
दिवस मनाती दुनिया हिन्दी।   
      अखण्ड भारत सपना हिन्दी, 
       आओ मिल अपनाएँ हिन्दी, 
       भाषा गुण अभियोजित हिन्दी, 
        राष्ट्रभक्ति निर्माणक हिन्दी ।
जीवन की अहमीयत हिन्दी, 
मुस्कान वतन मानक हिन्दी।
एक्य संघीय मानक हिन्दी, 
भक्ति प्रीति पथ न्यायिक हिन्दी। 
            आओ सीख सिखाऍं हिन्दी, 
            मिलकर मान बढ़ाऍं हिन्दी। 
            विश्व चन्द्रिका शोभित हिन्दी, 
            रजनीश प्रीत मुस्काऍं हिन्दी। 
हो हिन्दी का उत्थान तभी, 
गद्दारों का हो नाश जभी, 
फ़रमान तुर्क हो सम हिन्दी, 
अब से राष्ट्रभाषा हो हिन्दी। 

दोहा: आन बान भारत वतन, भाषा चारु सुभाष। 
         सजे राष्ट्र के भाल पर,हिन्दी हिय अभिलाष॥ 
कवि✍️डा. राम कुमार झा "निकुंज" 
रचनाः मौलिक (स्वरचित)
नई दिल्ली

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. विनीता कुशवाहा गोण्डा जी 🏅🏆🏅

नमन मंच
कलम बोलती है साहित्य समूह 
दिनांक 11/01/2022
विषय विश्व हिंदी दिवस
देश का मान बढ़ाती हिंदी,
सबको गले लगाती हिंदी।
जीवन का आधार है हिंदी,
दिल से दिल को मिलाती हिंदी।

छंद अलंकार व्याकरण से, 
सबको सदा लुभाती हिंदी।
सुमधुर कर्णप्रिय अति मनभावन,
साहित्य का मार्ग दिखाती हिंदी।

हास्य वीर रौद्र वात्सल्य रसो से,
सबका हृदय सजाती है हिंदी।
एक भाव में फैली अनेकता,
सब को सदा बताती हिंदी।

साहित्य का अभिमान हिंदी,
सूर कबीर रसखान हैं हिंदी।
तुलसी मीरा कालिदास है हिंदी,
पावन गंगा से रविदास है हिंदी।

जिसने काल को जीत लिया हो,
वो कालजयी भाषा है हिंदी।
जीवन के रग रग में बसती,
जीवन की परिभाषा है हिंदी।
स्वरचित एवं मौलिक रचना है
विनीता कुशवाहा गोण्डा उत्तर प्रदेश

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. डाॅ एन एल शर्मा निर्भय जी 🏅🏆🏅

नमन कलम बोलती है मंच
विषय क्रमांक-
विषय- हिंदी
विद्या-गीतिका 
दिनांक-11/1/2021

हिंदी अपना मान है,हिंदी ही पहचान। 
सदा पूजते मातु सम,यही हमारी जान।।

चंदे लगते चार है,भारत भाल बनाय।
यही हमारी मान है यही हमारी आन।।

भारत की सिरमोर हो,सब मिल करें उपाय। 
अन्य सभी को छोड़ दे,रहे सदा ये ध्यान।।

सब मिल करें उपाय ये, बनें जगत की आस।
माने सारा विश्व ये, है सबको ये भान।।

सबको आये रास ये, विश्व करे अहसास। 
हिंदी अपनी मातु है, सारे जग में शान।।

परचम फहरे विश्व में , भारत परचम संसार।।
सबसे उत्तम यह जगत, हम सबको अभिमान।।

स्वरचित 
डाॅ एन एल शर्मा निर्भय जयपुर

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ प्रमोद तिवारी जी 🏅🏆🏅

#नमन मंच
#कलम बोलती है साहित्य मंच
#विषय-क़मांक-383
#दिनांक-11/01/2021
#विषय- हिन्दी
#विधा- कविता

भाषाएं हम सब सीखे पर
        निज भाषा का मान रहे
           कथनी करनी में ना हो अंतर
              हिन्दी का दिल में सम्मान रहे

हिन्दी मेरी मातृभाषा है
       इसका हमको भान रहे
           निज भाषा और जननी पर
                जीवन पर्यन्त हमें गुमान रहे

वेद पुराण रामायण की देववाणी
  संस्कृत से जन्मी हिन्दी का मान रहे
         हिन्दी हिन्द हिंदुस्तानी की बाणी
                    सर्वत्र विश्व में पहचान रहे

हिन्दी हिन्द हिन्दुस्तान की भाषा के
       अस्तित्व की हमें पहचान रहे
        तुलसी सूर रसखान की भाषा
            हिन्दी पर सदा अभिमान रहे

भारत माता के भाल की बिन्दी
       हिन्दी का सदा गुणगान रहे
        जायसी मीरा भारतेंद्रु ने पाली
            हिंदी पर हमें स्वाभिमान रहे

         
गौरवशाली भाषा हमारी हिन्दी
  हिन्दुस्तानी राज्यभाषा ही ना बनी रहे
    फलक पर हिन्दी लाकर हमको
           राष्ट्रभाषा का हिन्दी सम्मान सहे

प्रमोद तिवारी 
दिबियापुर
 औरैया
उत्तर प्रदेश

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ ब्रह्मनाथ पाण्डेय' मधुर जी 🏅🏆🏅

क़लम बोलती है साहित्य समूह
दिनांक:-11-01-2022
बिषय:- हिन्दी
विधा:- कुंडलियाँ
क्रमांक:-383

सुन्दर भाषा प्रमुख है, हिन्दी बड़ी महान|
तत्सम तद्भव और है, काव्य छंद परिधान||
काव्य छंद परिधान, सुमुख सुन्दर रसवंती|
महक चहक सुकुमार, रंग है लिए वसंती||
कहें' मधुर' कविराय, बड़ी अनुपम परिभाषा|
दुनिया में है श्रेष्ठ, हमारी सुन्दर भाषा||

               स्वरचित/ मौलिक
              ब्रह्मनाथ पाण्डेय' मधुर'
ककटही, मेंहदावल, संत कबीर नगर, उत्तर प्रदेश

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ सीता गुप्ता दुर्ग जी 🏅🏆🏅

🙏नमन मंच
#कलम_बोलती_है_साहित्य_ समूह
#विषय_क्रमांक_383
#दिनांक_11-1- 2022
#दिन_मंगलवार
#विषय_हिन्दी
#विधा_स्वैच्छिक
    
       *हिन्दी ही पावन*
==================
माॅं भारती कहे पुकार,
मैं तुमको करती मनुहार।
सुनो भारतीय तुम पुकार,
हिन्दी की पावन झंकार।

राष्ट्रीय एकता का संदेश,
हिन्दी सबको करती एक।
हिन्दी को सब गले लगा लो,
यह तो माता जैसी नेक।

रूप सरलतम और वैज्ञानिक,
शीघ्र समझ में आती है।
सबकी जुबां पर जल्दी चढ़कर,
अर्थबोध उन्हें देती है।

है विशाल हृदय जो उसका,
सबको समाहित करती है।
सरिता से सागर बन करके,
भारत देश में बहती है।

भारत संग हिन्दी की धारा,
सारे जहां में पहुंचाओ।
हिन्दी का सब मान करके,
परचम इसका लहराओ।

✍🏻 सीता गुप्ता दुर्ग छत्तीसगढ़

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ अर्चना श्रीवास्तव 'आहना' जी 🏅🏆🏅

#नमन कलम बोलती है साहित्यिक मंच
#दिनांक----11/01/22
#विषय----हिन्दी
#विधा----कविता
#विषय क्रमांक---383
*------------------------------------- *
मातृभाषा और मातृभूमि हमसबका मान-अभिमान
जिसके पावन चरण कमलों से सफल सब अभियान
हिन्दी से वाणी का मोल,अंतर्भावों को मिले सही सम्मान
हिन्दी में दैवीय ज्ञान-प्रज्ञान,मानस का मुक्ति-समाधान

हिन्दी सर्वनिपुण,दिप्यमान ,सर्वज्ञ ब्रम्हांड में तारा समान
संबंधों की नीजता दे ,करे सफल स्वप्नों को दे निश्चित उडान
शिशु की वाणी 'मां 'से शुरु, फिर जीवनपर्यंत का संगत
गीत-संगीत की धुन-ताल, मनन-साधना का सबल आश्रय 

वीणा का सप्तसुर,प्रकृति का हिन्दी मनुहार-दुलार 
मिलकर सब मनाये त्योहार,करे हिन्दी का आभार
समस्त उपमा-अलंकार, अभिव्यक्ति का साजों-समान
हर अवसर जीवन का ,हिन्दी के संग हो जीवंत ,साकार 

भक्ति का बीज-मंत्र,गोरी का रूप-श्रृंगार,करूणा-पुकार
वीरों का शौर्य, देशभक्ती का ओज,शहीदों की अमरगाथा
वेद-पुराणोंं की व्याख्या,कला-साहित्य का जननी-काया

जन-जन की गहना,करे शीतल तन,मन की अभिलाषा
बांधे एकसूत्र ,विविध भारत को अपने आंचल मे पिरोया
हर भाव,अनुभूति को शब्दावली से सजा-संवारकर
हिन्दी है भारत की पहचान, संपूर्ण विश्व मे इसका है नाम 

•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
[ ] #पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित
@अर्चना श्रीवास्तव 'आहना', मलेशिया

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ रंजना जोशी जी 🏅🏆🏅

नमन मंच
दिनांक - 11-1-2022
विषय- हिंदी
विधा- हाइकु

हिंदी है भाषा
पर जुडी सबसे
 देश विदेश 
मधुरम इतनी
 वशीकरण 
यही खूबी हिंदी की
प्रेमचंद हो
या कबीर तुलसी
लुभाती हिंदी
स्वरचित 
रंजना जोशी
लखनऊ

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. प्रमोद कुमार चौहान जी 🏅🏆🏅

*****************************
         ||माँ भारती को सादर नमन|| 
             |●| मंच को प्रणाम |●|
            || कलम बोलती है मचं ||
     \□\ बिषय क्रमांक -- 383 \□\
बिषय -- #हिन्दी
विद्या -- #कविता
दिन -- #मगंलवार 
दिनांक -- ११ दिसंबर, २०२२
ऽ॥॥ऽ॥॥ऽ॥॥ऽ॥॥ऽ॥॥ऽ॥॥ऽ॥॥ऽ॥॥

माता देती जन्म बच्चे को 
रिश्ता जोड़ती हिन्दी है |
औरत खूबसूरत दिखें जब 
माथे पर सुंदर बिन्दी है || 

हिन्दुस्तान है कई बोली का 
सजा है सुन्दर देश | ‌              
अलग-अलग है वेषभूषा और 
अद्भुत है परिवेश ||  

सबसे सरल है भाषा हिंदी 
सुनने में लगती जो प्यारी |
कोयल जैसी मिठास है जिसमें 
भाषाओं में सबसे न्यारी || 

आसमां में जैसे सूरज चमकें   
ऐसी ही हिन्दी हमारी है | 
सब भाषाओं की है ये माता  
सबसे सुहानी हिन्दी हमारी है ||
_______________________________

        पूर्व सैनिक 
   प्रमोद कुमार चौहान 
कुरवाई विदिशा मध्यप्रदेश

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ कामेश्वर खण्डूडी़ जी

कलम बोलती साहित्य समूह जय माँ शारदे🙏
दिनांक-: 11/01/2022
विषय-:" हिंदी "
विधा -: लेख        
                              -हिंदी- भारत ही नहीं विदेशों में भी हिंदी बोली और लिखी जाने के कारण अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहचान और शसक्त हो इस हेतु विश्व हिंदी दिवस की संकल्पना की गई थी।हिंदी की सेवा माँ भारती की सेवा कहे जाने से हिंदी का प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से विश्व में हिंदी भाषियों के बीच हुआ है।हिंदी हम भारतियों के लिए केवल एक सम्वाद या लिखने पढ़ने तक सीमित न रह कर विश्व के अन्य देशों में भारत की पहचान बन चुकी है।यह हम सभी के भारतीय होने को प्रमाणित करती है।हिंदी का सर्वाधिक उपयोग करना एक पवित्र यज्ञ है।इस यज्ञ को आगे बढ़ाने के लिए हिंदी शब्दों का लेखन और सम्वाद में उपयोग किया जाना बहुत अववयक है।हिंदी में सम्वाद करने और लेखन में हमारे विचारों में स्पष्टता आती है।हिंदी हमारे लिए एक बहुत अच्छा अवसर है।इसमें शब्दों की तलाश करने में हमारे समक्ष बहुत से वैकल्पिक शब्द स्वयं आ जाते है जो हमारी भावनाओं को सरलता और मधुरता से स्पष्ट करते है।हम सभी ने हिंदी को जन्म से ही सुना होता है इसलिए हिंदी को
माँ भी कहा गया है।जिन्होंने हिंदी के लिए संघर्ष किया वे हमेशा हिंदी का प्रयोग करने के कारण ही इसमें सफल हुए।मैं लेखिका श्रीमती बीना नौडियाल खंडूरी जी की इस बात से सहमत हूं की भले ही हम अपने बच्चों की शिक्षा इंग्लिश मीडियम में करवायें पर हमें अपने बच्चों को हिन्दी भाषावादी ही बनाना चाहिए।वे लिखती है इंटरनेशनल भाषा जो कि इंग्लिश है,उसकी शिक्षा लेना व अपने बच्चों को दिलवाना अति आवश्यक है।यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है। इससे कोई इंकार नही कर सकता है की कामकाज की दृष्टि से विदेशों में अंग्रेजी भाषा ही उपयोग में आती है लेकिन जब हम हिंदी भाषी लोगों से मिलने पर भी अंग्रेजी में बातचीत करते है तो हमारी भारतीय पहचान हमसे छूट जाती है।इसी तरह से जब हम अपने दैनिक जीवन में भी अंग्रेजी के शब्दों का अनावयक प्रयोग करते है तो यही कहा जा सकता है की हम अपनी मूल जड़ से अलग हो रहें है।किसी हिंदी भाषी दुकानदार से शक्कर के स्थान पर शुगर,जूते के स्थान पर शूज,पानी के स्थान पर वाटर,चांवल के स्थान पर राईस- कहना किसी भी दृष्टि से ठीक नही कह सकते।इस स्थिति में दुकानदार अवशय एक नजर आपको ऊपर से नीचे तक जरुर देखेगा।वह भले ही कोई टिप्पणी न करे तब भी मन में जरुर हिंदी के लिए कुछ न कुछ चिंता अवशय करेगा।यह एक उदाहरण है ऐसी स्थिति बहुत बार हममें से बहुतों ने देखी होगी।हम सभी को पता है की किसी भी भाषा की लेखनी के ढंग या लिखावट के तरीके को लिपि कहा जाता है।संस्कृत,हिंदी,मराठी गुजराती सभी में देवनागरी लिपि का ही प्रयोग होता है।अक्षरों की ध्वनियों को लिखित रुप में प्रकट करने के लिए निर्धारित व्यवस्था को लीपि कहा जाता है और इस लिपि का विकास मानव सभ्यता के साथ जुडा़ है।विश्व हिंदी दिवस के शुभ अवसर एक संदेश हम सभी के लिए यही हो सकता है की हम सभी हिंदी शब्दों का ही उपयोग अपने लेखन और सम्वाद में करें। हिंदी की सेवा माँ भारती की सेवा है।आईये हम सभी हिंदी का मान बढा़ऐं।कलम बोलती है साहित्य समूह के विषय प्रदाताओं को धन्यवाद जिन्होंने विश्व हिंदी दिवस पर सार्थक लेख आमंत्रित किये।इसे स्मरण रखा। --- कामेश्वर खण्डूडी़ 🙏


विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. प्रवीणा कुमारी जी 🏅🏆🏅

#नमन मंच🙏🙏
#विधा-कविता
#विषय हिंदी 
दिनांक-11/01/2022

❤ हिंदी ❤

हिन्दुस्तान के माथे की बिंदी
है देश का मान बढ़ाती हिंदी।1

राजभाषा का दर्ज़ा पाकर
बड़े गौरव से इठलाती हिंदी।2

उत्तर और मध्य भारत में 
है मुख्यतः बोली जाती हिंदी।3

संपूर्ण विश्व में भारत को
खास पहचान दिलाती हिंदी।4

जनमानस पर अमिट छाप
है छोड़ जाती ये प्यारी हिंदी।5

होती है मीठास से परिपूर्ण 
इसलिए सबको भाती हिंदी।6

हिन्दुस्तान के दिल में मानो
बसती है यह अद्भुत हिंदी।7

सबसे सुन्दर सबसे अनुपम
है हम सबकी चहेती हिंदी।8

सरल ,प्रतिष्ठित और लचीली
होती है ये अतुलनीय हिंदी।9
है देश और विदेशों में भी
घर -घर बोली जाती हिंदी।10

है थोड़ी सी शर्मीली मगर
मेरा अभिमान है मेरी हिंदी

❤❤प्रवीणा(सहरसा, बिहार)
स्वरचित, सर्वाधिक सुरक्षित

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. गगन खरे क्षितिज जी 🏅🏆🏅

हम संस्कारों के काव्यपरिन्दें हैं ।
््््््््््््््््््््््
 हम परिंदों की तरह ऊंची उड़ान भरने लगते काव्य पथ पर हम संस्कारों, संस्कृति सभ्यता परम्पराओं को काव्यपरिन्दों की तरह ऊंची उड़ान भरने लगते हैं।

हम अपनी परिस्थितियों कल्पना रूपी हर सार्थक पहलू को समझकर आस्था प्रतिक ईश्वरीय शक्ति वटवृक्ष जो ज्ञान गंगा का प्रतीक है सांसारिक धरातल काव्यात्मक अभिव्यक्ति कर परिंदों की तरह ऊंची उड़ान भरने लगते हैं।
 
जीवन हमारा बहुमूल्य है जीवन चक्र ईश्वर ने सभी का अपने अधिन रख संयमित आहार-विहार एवं प्रलोभन से मुक्त रखा है मगर जिज्ञासा रूपी पहलू ने आदमी को भटका दिया है ।
जहां जीवन नहीं वहां की परिकल्पना कर अपनों को धोखा गगन देकर अपने मार्ग से भटक गया है ।
 काल्पनिक उड़ान से कहीं अधिक उड़ान भरने लगा हैं ,हम संस्कारों के काव्यपरिन्दें होकर भी, जीवन धरा पर हैं ये बात भूलते जा रहें है ।  
            गगन खरे क्षितिज
कोदरिया मंहू इन्दौर मध्यप्रदेश

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. रमेश चंद्र शर्मा जी 🏅🏆🏅

नमन मंच कलम बोलती है साहित्य समूह 
विषय क्रमांक -383
विषय- हिंदी 
विधा- कविता 
=================

🙏🏻 हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻
============!======
जन-जन की भाषा हिंदी !
गण-मन की आशा हिंदी !
राजकाज मिले मान्यता 
करती अभिलाषा हिंदी !
अवसर उपलब्ध करिए
झूठ सहती दिलासा हिंदी !
समरसता सीख सिखाती
करती रोज मीमांसा हिंदी !
तार्किक वैज्ञानिक संरचना
शब्दों की जिज्ञासा हिंदी !
राजकाज में समृद्ध बने
रोजी की प्रत्याशा हिंदी !
वसुधैव कुटुंबकम सार
देती उत्कृष्ट संदेशा हिंदी !
देववाणी सम लुभावनी
रिद्धि सिद्धि गणेशा हिंदी !
मातृभाषा ज्ञान स्वरूपा
करो हृदय प्रवेशा हिंदी !
करें उद्घोष सभी नर नारी
गूंजे सफी प्रदेशा हिंदी ! 
सुनो सरकारों तोड़ो कारा
पल्लवित देश विदेशा हिंदी !
शब्द भाव व्यंजना अनुपम
विलक्षण प्रभावी विशेषा हिंदी !
सरल सहज सुगम्य धरोहर
वसंत सुमन अश्लेषा हिंदी !
मातृभूमि का सौभाग्य श्रृंगार 
विविध बोली गणवेशा हिंदी !
==================
# रमेश चंद्र शर्मा 
    इंदौर
 स्वरचित मौलिक रचना

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. चन्द्र भूषण निर्भय जी 🏅🏆🏅

कलम बोलती साहित्य समूह
विषय-हिन्दी 
विधा-दोहा गजल
दिनांक-११-०१-२२

नव रस से भरपूर है,भाषा हिन्दी यार।
कंठ कंठ में यह बसे,जन गण मन संसार।।

हिन्दी हिन्दुस्तान की, भाषा लगे विज्ञान।
अच्छी लगे जुबान यह, जन मन में संचार।।

भाषा यह अनमोल है, मीठे इसके बोल।
काव्य ग्रंथ में देखिए, अनुपम सत्य विचार।।

मान बढ़ायें शान है, हिन्दी हिन्दुस्तान।
भारत का अभिमान है, हिन्दी से कर प्यार।।

हिन्दी में ही बात कर,, सभी कार्य कलाप।
सरकारी निदेश यह, करना है ब्यवहार।।

संस्कृति की पहचान यह, स्वर ब्यंजन गीत।
भरें सुगंध गीत गजल, शब्दो का विस्तार।।

स्वरचित मौलिक
चन्द्र भूषण निर्भय
बेतिया, बिहार

विषय:- हिंदी । रचनाकार :- आ. प्रमोद_गोल्हानी_सरस जी 🏅🏆🏅

🙏🌹जय माँ शारदा 
नमन "कलम बोलती है"
दि.-11-01-22
प्रदत्त विषय - #हिन्दी
विधा- #गीत
----------------------------------

             #अपनी_प्यारी_हिन्दी_है

भारत के जन-जन की भाषा,अपनी प्यारी हिन्दी है।
अपनेपन की सत परिभाषा,अपनी प्यारी हिन्दी है।।

वृहद व्याकरण से सम्मत है,सुता संस्कृत की प्यारी।
भाषायें तो अनगिन हैं पर, हिन्दी है सबसे न्यारी।।
लगता मुँह में घुला बताशा,अपनी प्यारी हिन्दी है।
अपनेपन की सत परिभाषा,अपनी प्यारी हिन्दी है।।

अनुपम शब्द सुमन आच्छादित,भाव भरा आलिंगन है।
सबको अपना कर लेने का,सरस सुखद आमंत्रण है।।
प्रीत पुनीत सुवासित आशा, अपनी प्यारी हिन्दी है।
अपनेपन की सत परिभाषा,अपनी प्यारी हिन्दी है।।

भले चलन अनुसार आप हम,ढलने को ढल जायेंगे।
हिन्दी अपने हृदय समाई,अलग नहीं कर पायेंगे।।
देती प्यार हमें माता सा,अपनी प्यारी हिन्दी है।
अपनेपन की सत परिभाषा,अपनी प्यारी हिन्दी है।।

विश्व पटल पर अपनी हिन्दी,का परचम अब लहराये।
देश और दुनिया में हिन्दी,बोली और सुनी जाये।।
सरस हृदय की नित अभिलाषा,अपनी प्यारी हिन्दी है।
अपनेपन की सत परिभाषा,अपनी प्यारी हिन्दी है।।

भारत के जन-जन की भाषा,अपनी प्यारी हिन्दी है।
अपनेपन की सत परिभाषा,अपनी प्यारी हिन्दी है।।

               "जय हिन्द-जय हिन्दी"
************************************

#प्रमोद_गोल्हानी_सरस
  कहानी - सिवनी म.प्र.

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन जी 🏅🏆🏅

#विश्व_हिन्दी_दिवस

आज आप सूचित हो कि विश्व हिन्दी दिवस है। 
संसार के सभ्यता की जननी हिन्दी इसकी भाषा है। 
इसकी मिट्टी में सूर,मीरा,कबीर, जायसी जैसे रत्न है। 
यह रस छंद अलंकारों लय ताल तुक से श्रृंगारित है। 
पर्वतराज हिमालय इससे वार्तालाप करता निशिदिन है। 
सागर उस माँ भारती का चरण पखारते हुए अभिनंदित है। 
हवाओं में उस माँ भारती के गीत चहूँओर गुंजित है। 
वर्षा भी रिमझिम रिमझिम माँ भारती का गायन है। 
आर्यभट,पाणिनि,बारामिहिर,चार्वाक की माँ भारती है। 
इसमें प्रसाद, पंत, निराला, महादेवी जी की आरती है। 
भारतेन्दु बाबू ने जिसका श्रेष्ठ चारण गान गाया था। 
विश्वकवि रवींद्रनाथ ने भी अपना श्रद्धा सुमन दान किया था। 
शुक्लजी, हजारीप्रसाद ने भी समीक्षा कर पक्का बनाया था।
आज सारा विश्व हिन्दी भाषा की राह पर चला जा रहा है। 
कैलोफोर्निया, कनाडा तक इसे अपनाया जा रहा है। 
आइए हमसब भी विश्वभारती माता हिन्दी को अपनाते है। 
इसके चरणों में बैठ कर, आशीष पाकर इसके बन जाते है। 
समस्त विश्व को बसुधैव कुटुबंकम् की अवधारणा बताते हैं। 
और सब में सर्वधर्म समभाव को जगाते है, अपनाते है। 
सब मिलकर आज माँ विश्वभारती के गुण को गाते है। 
आज के दिवस को पवित्र, सनातन और मंगलकारी बनाते हैं। 

स्वरचित मौलिक कविता
डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन
भाटपार रानी, देवरिया, उत्तर प्रदेश, भारत

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. नीता अग्रवाल जी 🏅🏆🏅

सादर नमन *कलम बोलती है* मंच
शीर्षक - #विश्व_हिन्दी_दिवस 
विधा - गीतिका सृजन

विश्व पटल पर छा रही, हमारी शान है हिंदी । 
खूब जमाये रंग यह, वतन का मान है हिंदी । 

सुर की सुंदर साधिका, सुकोमल सी
सुभाषित सी, 
मनभावन सी मधुर यह, महा वरदान है हिंदी । 

सरस सहज लिपि नागरी, विरल भंडार शब्दों का, 
संस्कृत सगी लाड़ली, जुवां की जान है हिंदी । 

अभिधा लक्षणा व्यंजना समासों रीति गुण वाली, 
छंद अलंकारों सजी, रसों की आन है हिंदी । 

जयशंकर की 'कामायनी', महादेवी रचें 'यामा', 
सुमित्रानंदन 'पल्लव', निराला 'दान' है हिंदी । 

आंग्ल मुखौटा धारिणी, रिझाती मानिनी बनकर, 
सौतन बन आ घुसी, बड़ी हलकान है हिंदी । 

सरकारों जागो अभी, मिटाओ मोह अंग्रेजी, 
मानो नामुमकिन नहीं,वतन सम्मान है हिंदी । 

       -- नीता अग्रवाल
              #स्वरचित

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. टी. के. पांडेय जी 🏅🏆🏅

स्वामी विवेकनंद जी के बताए वाक्यांश को उतारने, अपने जीवन को उन्नत करने के परिदृश्य को, अनूठे कागज पर उतारने की अनूठी पहल। 
देखिए

युव हुंकार
___

यह समाज जिस रूप में ढालोगे, ढलेगी, जैसे चलोगे, चलेगी। 
एक के होने से अनेक होते हैं बढ़ना जरूरी है। अब समय आपका इंतजार नहीं कर सकता देख रहे हैं कहाँ से कहाँ आ गए क्या थे क्या हो गए फिर भी। अचेत निश्तेज अबाक हतप्रभ विचार शून्य अलग थलग बैठे हैं। नहीं आओगे क्या। 

देखिये इन्हीं तत्वों का समावेश किया गया है आपके इस प्रसंग में। 

युव हुंकार
_________

मन कहता है, घर घर जा कर कहूँ, उठो, युग के युवराज। 
जिससे, बदल सकूँ दुनियाँ में, बिघटित मानवता का राज। 

कहूँ युवा से तेरी शक्ति बदलेगी, काला कानून। 
व उबाल आयेगी युग में खौलेगी, युवकों में खून। 

जिस समाज में चोर, उचक्के जमा लिया हो गंदा पाँव। 
चलो, देश के युवा बदलने रूढ़ वादी वाला,हर गाँव। 

आज बदलने को आतुर हम, दुनियाँ भर के बदले भाव। 
युग को दिखा, युवा में शक्ति, स्वामी जी का प्रखर प्रभाव। 

आज विश्व को पुनः चाहिए, वही तेज स्वामी जी की। 
आज बदलने को आतुर हम, रहा शेष खामी जो भी। 

नारायण, किस असमंजस में पड़े, खड़े हो मेरे तात। 
बढ़ो, बढ़ाओ, आओ, बैठो तभी बनेगी, बिगड़ी बात। 

टी के
दिल्ली

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ सुनीता चमोली जी 🏅🏆🏅

कलम✍🏻बोलती है साहित्य समूह मंच को नमन जय माँ शारदे विषय क्रमांक-:383
विषय-:हिंदी विधा -:गीत                                                          
रचना-:मौलिक /अप्रकाशित
दिनांक-:10/01/2022                                              
                        -हिंदी - (विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में)
कोई कहता तुम वेदों में छुपी हो 
कोई कहता तुम कहानियों में छुपी हो
कोई कहता तुम कविताओं में छुपी हो
कोई कहता तुम गीतों में छुपी हो
कोई कहता तुम काव्यों ने छुपी हो
कोई कहता तुम महाकाव्यों में छुपी हो मैं कहती तुम हर दिल में छुपी हो
कोई कहता तुम राजभाषा हो कोई कहता तुम राष्ट्रभाषा हो                                            
कोई कहता तुम शब्दकोश हो कोई कहता भाषाओं की जननी हो
कोई कहता तुम भाषा सौंदर्य हो विश्व पटल पर परचम लहराया है
जन्म लेते ही मैंने हिंदी सुनी थी
जब माँ का स्पर्श मुझे मिला था।
जब संसार में पहला कदम रखा था
मेरी हर सांसें हर स्वर हिंदी थी
जो शब्द बनकर मुझे दुलारती थी 
आज भी जीवन इसी पर निर्भर है
कर्म तन भक्ति नित नयन ये है
मेरे लिए तो प्रण-प्राण है हिंदी
बुद्धि प्रकाशित चित्त प्रफुल्लित
हृदय प्रेम से भर भर जाता है तनमन आनंदित हो जाता है
वैभव से परिपूर्ण हो जाता है
जब-जब "हिंदी" स्वर आता है।
     - सुनीता चमोली

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. मनोज कुमार चंद्रवंशी जी 🏅🏆🏅

#नमन कलम बोलती है साहित्य समूह
#दिनांक-10/01/2022
#दिन- सोमवार
#विषय- हिंदी 
#विधा- पद्य (कविता) 

हिंदी भाषा संस्कृति सुता बहु भाषाओं की जननी,
हिंदी में साहित्य सृजन की अथाह वेग समायी है।
हिंदी भाषा में सुरम्य ताल, लय, यति, गति है,
हिंदी भाषा की छवि जन-जन को अति भायी है॥

वसुंधरा में उन्मुक्त, प्रखर राष्ट्र की गान हिंदी।
हर भारतवासी के हृदय की,अभिमान है हिंदी॥

निज राष्ट्र की सरल,सुबोध, सुवाच्य, हिंदी भाषा,
सुहृद, सुग्राह्य भाषा जग में क्या कोई और है।
हिंदी संस्कृति विविध्य को एक सूत्र में समेटी है,
हिंदी अखिल विश्व में दैदीप्यमान, सिरमौर है॥

संगीत, नवगीत, छंद की माधुर्य तान है हिंदी।
प्रबुद्ध, साहित्य साधक का,अभिमान है हिंदी॥

परिनिष्ठित हिंदी कवि वृंदो का रही भाषा है,
हिंदी मानव जीवन को नित अलंकृत करती है।
हिंदी जीवन में ज्ञान-विज्ञान की अथाह समंदर,
हिंदी भाषा जीवन उपवन को झंकृत करती है॥

हर प्रबुद्ध भारतवासी के, उर की जान है हिंदी।
सशक्त, समृद्ध राष्ट्र की, अभिमान है हिंदी॥

हिंदी भाषा कभी स्वतंत्रता की चिंगारी बनी,
हिंदी यथार्थ धरा में जन -जन मे फैलायी हर्ष।
हिंदी कभी स्वतंत्रता सेनानियों की भाषा बनी,
हिंदी से कामयाब हुई राष्ट्र की स्वतंत्रता संघर्ष॥

भावों की अभिव्यक्ति राष्ट्र की शान है हिंदी।
सर्व जन का लोकप्रिय भाषा अभिमान है हिंदी॥

                        ✍रचना
                  स्वरचित एवं मौलिक
                 मनोज कुमार चंद्रवंशी
         बेलगवाँ जिला अनूपपुर मध्यप्रदेश 
         मोबाइल नंबर - 9399920459

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. तरुण रस्तोगी "कलमकार"जी 🏅🏆🏅

🙏नमन मंच 🙏
#कलम_बोलती_है_
साहित्य_समूह 
#आयोजन संख्या ३८३
#विषय हिंदी
#कविता
#दिनांक १०/०१/२१
#सादरसमीक्षार्थ
प्रस्तुति संख्या ०१

हिंदी भाषा का ज्ञान जान ले देश और जहान।
तभी बढ़ेगी देश की शान महकेगा सारा हिंदुस्तान।
मेरा अभिमान हिंदी है मेरी जान हिंदी है।
मातृभाषा हमारी प्यारी बड़ी हिंदी,
चमकती दुल्हन के माथे पर जैसे बिंदी।
यह जन-जन की दुलारी बड़ी प्यारी भाषा हिंदी हमारी।
लिखे हिन्दी में सदा सभी कहानी, कविता, छंद , मुक्तक या शायरी।
हिंदी में लिखता रहूंँगा भरता रहूंगा डायरी।
कभी न कार्य करूंगा यह बंद।
मेरा अभिमान हिंदी है मेरी जान हिंदी है।
हिंदी भाषा की शान निराली,   
सरलता से समझ में आने वाली।
हिंदी भाषा को हम-सब मिलकर बनायेंगे ,
इसको राष्ट्रभाषा का दर्जा मिलकर दिलाएंगे।
जन जन तक पहुंचा देंगे यह प्यारा संदेश    
मेरा अभिमान हिंदी मेरी जान हिंदी है।

तरुण रस्तोगी "कलमकार"
 मेरठ स्वरचित
🙏🌹🙏

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. ललित भट्ट जी 🏅🏆🏅

#कलम बोलती है साहित्य मंच को नमन।
#क्रमांक : 383
#दिन : सोमवार से मंगलवार तक।
#दिनांक : 10 से 11 जनवरी 2021.
#विषय : हिंदी।

जन-जन की यह भाषा प्यारी,
हिंदी भाषा हम सब की दुलारी।
विश्व पटल पर इसका उत्थान करें हम,
जन-जन तक पहुंचाने का काम करें हम।।

यह नहीं मात्र एक बोली एक भाषा है,
टूटे रिश्तो को जोड़ें ऐसी आशा है।
हो विश्व पटल पर चर्चा हिन्दी हिंदुस्तान की,
हर हिंदुस्तानी के दिल की अभिलाषा है।।

हिंदी एक ऐसी भाषा जो अनमोल है,
इसके कई पर्याय कई विलोम है।
कितनी प्यारी सरल मीठी भाषा है,
जग में हर कोई बोले मेरी जिज्ञासा है।।

यह भाषा नहीं नूतन कई पुरानी है,
दिनकर तुलसी मीरा जैसे कईयों की यह वाणी है।
इसके एक-एक पग आगे बढ़ने की बड़ी कहानी है,
जन-जन तक इसको पहुंचाने की मन में हम ने ठानी है।।
                     ललित भट्ट ✍️🙏
हल्द्वानी नैनीताल उत्तराखंड 🙏

विषय :- हिन्दी. ।रचनाकार :- आ. जय हिन्द सिंह 'हिन्द'जी 🏅🏆🏅

नमन कलम बोलती है साहित्य समूह
बिषय क्रमांक - 383
बिषय - हिन्दी 
विधा - गीत 
            हिन्दी राष्ट्र धरोहर है 
***************************************
हिन्दी बोली है मनमोहक, लिपि इसकी मनोहर है । 
जन-जन की भाषा यह मेरी, हिन्दी राष्ट्र धरोहर है ॥
             राजभाषा हिन्दी हमारी 
             हिन्दी में सब कार्य करें, 
             बन जाए यह राष्ट्र भाषा 
             ऐसा हम प्रयास करें, 
हिन्दी है हिन्द की पहचान, देश की गुलमोहर है । 
जन-जन की भाषा यह मेरी, हिन्दी राष्ट्र धरोहर है ॥
             लोरी लगती वाचन में है 
             सुनने में मिसरी लगती, 
             पास आया जो हिन्दी के  
             उसके उर को भा उठती, 
विविध विधाओं से परिपूर्ण, लगती एक सरोवर है । 
जन-जन की भाषा यह मेरी, हिन्दी राष्ट्र धरोहर है ॥
              दोहा चौपाई कुण्डलियाँ
              हिन्दी का श्रृंगार करें, 
              रस छन्द अलंकार लक्षणा
              इसका साज बुहार करें, 
लोक बोलियों की जननी यह,वाणी अति मनोहर है । 
जन-जन की भाषा यह मेरी, हिन्दी राष्ट्र धरोहर है ॥
              वैश्विक भाषा हिन्दी बने
              हम कर्म प्रधान यतन करें, 
              भग जाएगी देश से इंग्लिश 
              दृढ़ इच्छा से करम करें, 
मंदारिन अँग्रेज़ी जर्मन से, यह लगा रही सरवर है । 
जन-जन की भाषा यह मेरी, हिन्दी राष्ट्र धरोहर है ॥
                                 रचना स्वरचित © 
                                 जय हिन्द सिंह 'हिन्द' 
                                 आजमगढ़, उ0 प्र0

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ राजेन्द्र कुमार'राज'जी 🏅🏆🏅

#नमन मंच
#कलम बोलती है साहित्य समूह
#क्रमांक:-383
#दिनांक-10/1/ 2022
#विधा :-काव्य
#विषय:-हिंदी
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आन है, बान है, हम सब की जो पहचान है।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक एकता में जो हमें पिरोये, वो हिंदी भाषा महान है-2।।
विविधताओं का देश हमारा
अलग-अलग है यहां धर्म प्यारा,
जाति-प्रथा, बोली औऱ संस्कृति,
वेश-भूषा भी बदलती रहती
इन सबकी बना के माला
एकता का प्रतीक हमारा।
हम सबको जो प्यार दिलाती,
आपस में सम्मान दिलाती ,
विचारों का आदान-प्रदान करती,
सबको एक सूत्र में पिरोती,
माथे पर जिसके बिंदियाँ सजती है।।
वो ही भाषा जिसे हम हिंदी कहते हैं।
हम भारतीयों की वो शान है।।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक
एकता में हमें पिरोये, वो हिंदी भाषा महान है।।

माना जननी संस्कृत है,
पर है हिन्दी इसकी लाड़ली।
सब भाषाओं को साथ लिए,
चलती है ये भाषा पावनी।।

नहीं है किसी भाषा से वैर इसका,
ख्याल रखें ये सभी देशवासियों का,
यूं तो देश में अनेक भाषाएं है।
पर सजे जो माथे पर वो बिंदी है हिन्दी।।

अनेक अंगों से बना ये पुतला,
कहलाता है शरीर हमारा।
इसका ख्याल रखता है मष्तिष्क,
वैसे ही विभिन्नताओं के देश में
शक्ति का केन्द्र है हिन्दी।।

हर के रंग में बसी हुई,
ये हिन्दी सबकी जान है।
आन है, बान है, हम सबकी जो पहचान है,
कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
एकता में हमें पिरोये,
वो हिंदी भाषा महान है।।
वो हिंदी भाषा महान है।।

जय हिंद, जय हिन्दुस्तान।।

✍️स्वरचित व मौलिक रचना
लेखक-राजेन्द्र कुमार'राज'
श्रीमाधोपुर, सीकर
राजस्थ

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ गार्गी राजेन्द्र गैरोला जी 🏅🏆🏅

नमन मंच कलम बोलती है साहित्य समूह 
दिनांक:10/1/22
विषय:हिंदी
विधा:कविता

हिंदी ही हमारी अद्भुत दिव्य पहचान है
हिंदी ही हमारी मातृभाषा की शान है
विश्व में हिंदी भाषा की अन्तहीन मंथन है
हिंदी भाषा ही ज्ञान विज्ञान का जीवन है ।

हिंदी का लचीलापन विश्व का विश्वास है
हिंदी विस्तारित प्रखर प्रेरित प्रबुद्ध प्रकाश है
जन जन की उदीयमान प्रतिमान पहचान है
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा सर्वश्रेष्ठ विश्वास है।

हिंदी ज्ञान विज्ञान धर्म साहित्य प्रकाश है
राजनैतिक चरित्र का अन्तहीन इतिहास है
हिन्दोस्तान की सार्वभौमिक ज्ञान प्रकाश है
जाति धर्म साहित्य सांस्कृतिक विश्वास है।

मेरी महान आदर्श मातृभाषा हिंदी है
वेदों पुराणों की पुण्याह पहचान हिंदी है
राजभाषा अमूर्तरूप बन साजती हिंदी है
शब्दावलियां सदा विराजती हिंदी है।

स्वरचित मूल रचना
रचनाकार:गार्गी राजेन्द्र गैरोला 
देहरादून,उत्तराखंड।

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. सुनीता शर्मा जी 🏅🏆🏅

सभी मंच वासियों को अंतराष्ट्रीय हिंदी दिवस की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं।

आज का विषय,,,
 हिंदी

मेरी मातृ भाषा , मेरा मान है हिंदी
मेरे भारत की पहचान है हिंदी।
में हर्षित हूँ,में गर्वित हु
स्वयं अर्जित किया समान है हिदी।

वेदों पुराणों की भाषा है हिंदी
फूलो में गुथी अभिलाषा है हिंदी।

गीता का पूरा सार है हिंदी
रामायण का संस्कार है हिंदी।

भारत माता के भाल का सम्मान है हिंदी
कवि की कल्पना और पहचान है हिंदी।

हमारे भावों ओर विचारों में है हिंदी
हमारे मजबूत इरादों में है हिंदी।

हमारी सोच में तन की खरोच में
इश्क में प्यार में हमारे हर व्यहवार में
मन की पीड़ा में,
  हर खेल में हर क्रीड़ा में
हर सवाल में,हर जवाब में
हमारे गुण, हमारे विचार में

पायल की झनकार में
शब्दो से खेलते हर फनकार में।

ह्रदय की स्पंदन है हिंदी

हा मेरी मातृ भाषा मेरा मान है हिंदी
मेरे भारत की पहचान है हिंदी।

भारत माता की जय।

सुनीता शर्मा रचनाकार।

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. मंजू लोढ़ा, जी 🏅🏆🏅

नमन मंच विषय "हिन्दी"10-1-2022 “हमारी राष्ट्रभाषा बने हिंदी’’

मेरी मातृभाषा है हिंदी
पुष्प की अभिलाषा है हिंदी
भारत के सभी प्रांतों को
एक धागे में पिरोती है हिंदी।

हजार वर्ष का समृद्ध साहित्य है हिंदी
‘स्वयंभू’ का पडम चरिया (पदम चरित) है हिंदी
कबीर की वाणी-साखी
मीरा का गोपाला है हिंदी।

सुरदास की बाल लीला
बिहारी का श्रृंगार रस
रहीम के दोहे – सोरठे – बरवै
संतोष धन है हिंदी।

रैदास का चंदन पानी
खुसरो की पहेलियाँ-मुकरियाँ
नवीन की उर्मिला के गले में
तुलसी के पद पिरोती है हिंदी।

गुप्त की भारत-भारती 
मिश्र की त्रिकाल संध्या आरती
सुभद्रा के ‘बिखरे-मोती’
देशभक्ति का ‘बहता झरना’ हैं हिंदी।

भारतेंन्दु की खड़ी बोली 
कालिदास का मेघदूत
मुल्ला दाऊद की प्रेमकथा चंद्रायन
पं द्विवेदी का जागरण सुधार काल हैं हिंदी।

गुरु नानक की ‘जपुजी’ 
जायसी की पद्मावत 
सुमन का जीवन के गान 
अज्ञेय का पद्य और गद्य हैं हिंदी।

बच्चन की मधुशाला
धर्मवीर की कनुप्रिया
प्रसाद की कामायनी
महादेवी के गीतों की खानी है हिंदी।

युगवाणी पंत की पुकारती है हिंदी
दिनकर की रसवंती बातें है हिंदी
चंद बरदाई का पृथ्वीराज रासो
प्रेमचंद की अद्भुत कहानियां है हिंदी।

निराला की राम शक्ति पूजा महाकविता है हिंदी
दुष्यंत की अनमोल गजलें
भगवती की चित्रलेखा
नीरज का प्रेम रस प्याला है हिंदी।

, शिवानी , मृदुला सिन्हा
पुष्पा भारती, फणीश्वरनाथ रेणु,
कमलेश्वर ,देवीकनंदन खत्री, गुलेरी, नरेन्द्र कोहली,
भीष्म सहानी-यशपाल, जैनेद्र कुमार
अनगिनत साहित्यकारों की कलम है हिंदी।

इस छोटी सी कविता में समेट सकती नहीं
हिंदी साहित्य के रतनों को
एक-एक अमूल्य धरोहर है
कोहिनुर है हमारी हिंदी।

सच कहूँ तो एक अनुपम वरदान है हिंदी
साहित्य की जान है हिंदी
फिजी, मारिशियस, मालद्वीप, सुरीनाम,
दक्षिणी अफ्रीका ,त्रिनिदाद तथा विश्व की सवा सौ विश्वविद्यालय में बड़े गर्व से बोली और पढ़ी जाती है हिंदी।

यह हिंदी साहित्य उपवन है बड़ा निराला
कभी न मुरझाये ऐसे विभिन्न महकते फूलों का
नमन-नमन-नमन
हमारे माथे की बिंदिया है हमारी हिंदी।

‘अभिमान से कहो हमारी राजभाषा ही नहीं
राष्ट्रभाषा भी हो हिंदी।
मंजू लोढ़ा, स्वरचित

रचनाकार :- आ. संगीता चमोली जी

नमन मंच कलम बोलती है साहित्य समुह  विषय साहित्य सफर  विधा कविता दिनांक 17 अप्रैल 2023 महकती कलम की खुशबू नजर अलग हो, साहित्य के ...