यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 17 अप्रैल 2023

रचनाकार :- आ अनामिका_वैश्य_आईना जी



शीर्षक - सुकून 

कहीं न कहीं तो मिलेगा, बस इसी आश में 
सब भटकते यहां है, सुकूं की तलाश में.. 

कर्म के तनाव जिम्मेदारियों के भार से परे निकल
आना चाहते हैं सब, सुकून के प्रकाश में.. 

सौंप करके सुकून को स्वयं को पूर्णतया सखी 
बदलना सभी को है यहाँ, बबूल से पलाश में..

बोझ सह न पा रहे हैं लोग वक्त के प्रहार से 
जिंदगी गुज़रना उन्हें है, सुकूनी अवकाश में..

सुकून के प्रेमी संघर्षों से रहते हैं बहुत दूर 
वो लोग विचरते हैं ख्वाबों के आकाश में..

सुकून यहीं है संतोष और भक्ति में पलता
आत्म में सुकून बसा है ढूँढते जहान में ..

#अनामिका_वैश्य_आईना
#लखनऊ

3 टिप्‍पणियां:

रचनाकार :- आ. संगीता चमोली जी

नमन मंच कलम बोलती है साहित्य समुह  विषय साहित्य सफर  विधा कविता दिनांक 17 अप्रैल 2023 महकती कलम की खुशबू नजर अलग हो, साहित्य के ...