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मंगलवार, 18 अप्रैल 2023

रचनाकार :- आ. तरुण रस्तोगी "कलमकार" जी


🙏नमन मंच 🙏
#कलम बोलती है साहित्य समूह 
#आयोजन संख्या ५७७
#दिनांक १८/०४/२३
#विषय सफ़र
#विधा छंद मुक्त कविता 

ज़िंदगी से मायूस न होना कभी गर्दिशों भी  मुस्कुराते रहो।
दुश्वारियां जीवन में बहुत है मगर मुश्किलों को अपनी  हटाते रहो।
इम्तहांँ जिंदगी ले रही आजकल मुश्किल जीना तेरा हो गया है यहां,
मार ठोकर हवा में उड़ते उसे राह अपनी सही तुम बनाते रहो।
रुकावटें मंजिलों में मिलेगी तुझे संकटों से भरा है तुम्हारा #सफर,
हौसले को अपने डिगाना नहीं लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाते रहो।
हालातों से कभी घबराना नहीं हार कर तुम्हें बैठ जाना नहीं!
जोश में होश अपना न खोना कभी तीर निशाने पर अपना लगाते रहो।
डगमगाए जो किश्ती भंवर में तेरी छोड़ देना नहीं अपनी पतवार को,
हौसले को तू अपने जगाना जरा नाव अपनी किनारे लगाते रहो।
ज़िंदगी से मायूस न होना कभी गर्दिशों भी  मुस्कुराते रहो।
दुश्वारियां जीवन में बहुत है मगर मुश्किलों को अपनी  हटाते रहो।

तरुण रस्तोगी "कलमकार"
मेरठ स्वरचित
🙏🌹🙏

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