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सोमवार, 17 अप्रैल 2023

रचनाकार :-आ. नफे सिंह योगी मालड़ा जी



मंच को सादर नमन
दिनांक:- 14.04.2023
विषय क्रमांक:- 576
विषय:- सुकून यही है
विधा:- स्वैच्छिक 
शीर्षक:- बड़ा सुकून मिलता है...   

     कभी ऐसा किया, करो..बड़ा सुकून मिलता है...  

कभी ऐसा किया..कि फुर्सत के लम्हों में  किसी अपरिचित गरीब  के साथ बैठकर, एक साथ खाना खाया , उसकी संवेदनाओं को, मजबूरियों को, गरीबी को करीब से देखा... कभी करो बड़ा सुकून मिलता है।

कभी ऐसा किया..  कि सर्दी में रेलवे स्टेशन पर सोये अपंग, अपाहिज ,दुखी गरीब भिखारी को अपनी कम्बल उतार कर ओढ़ाया हो, कभी करो बड़ा सुकून मिलता है।

कभी ऐसा किया..कि अकेले बुजुर्ग के पास बैठ कर उसे गौर से सुना। उसकी आँखों में आँखें डालकर उसके जवानी के दिनों की कल्पना की, कभी करो बड़ा सुकून मिलता है।

कभी ऐसा किया.. कि जब माँ बैठी हो और आपने पूछा माँ पानी ले आऊँ,या कभी सुबह -सुबह सोयी हुई माँ को
चरण स्पर्श करके कहा ...लो माँ चाय पी लो, कभी करो बड़ा सुकून मिलता है।

कभी ऐसा किया.. कि खचाखच भरी बस में अकेली महिला शांत खड़ी हो और आपने कहा हो आओ माँ जी! यहाँ बैठिए, कभी करो बड़ा सुकून मिलता है।

कभी ऐसा किया.. कि गांँव में किसी गरीब की लड़की की शादी में गुप्त दान दिया और  सम्मान के साथ सिर पर हाथ रख  आशीर्वाद दे कर भावनाओं में बहे हो, कभी करो बड़ा सुकून मिलता है।

कभी ऐसा किया .. कि बुरी तरह हारी हुई, हताश टीम के पास जाकर कभी ये कहा आप बहुत अच्छे खेले, ये लो मैं तुम्हें खुश हो कर देता हूँ, कभी करो बड़ा सुकून मिलता है।

कभी ऐसा किया .. कि आप किसी सार्वजनिक इलाके से जा रहे थे और अपने देखा कि वहाँ बहुत ज्यादा प्लास्टिक बैग बिखरे हुए हैं, आप ने बिना हिचकिचाहट के उठाए, कभी करो बड़ा सुकून मिलता है।

कभी ऐसा किया .. कि दीपावली के अवसर पर लक्ष्मी पूजा के साथ-साथ गाँव के किसी शहीद की फोटो रख उसको भी तिलक लगाया हो, कभी करो बड़ा सुकून मिलता है।

कभी ऐसा किया.. कि रक्षाबंधन के त्यौहार पर किसी बिन भाई की बहन के घर जाकर सादर भाव से राखी बंधवाई हो और उसे हर उत्सव में सम्मानित किया हो। कभी करो बड़ा सुकून मिलता है।

कभी  ऐसा किया.. कि शहीद दिवस पर अपने नजदीकी गाँव में शहीद स्मारक पर दीया जलाकर सल्यूट मारा, कभी करो बड़ा सुकून मिलता है।

कभी ऐसा किया.. कि बचपन के बूढे शिक्षक ,शिक्षिका जो हमें पढ़ाया करते थे।उनके पास जाकर चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लिया और बीते दिनों को याद किया,करो बड़ा सुकून मिलता है।

नफे सिंह योगी मालड़ा©®
महेंद्रगढ़ हरियाणा

2 टिप्‍पणियां:

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