आओ वक्त के साथ चले,मीठी मीठी बात करें,
यादों की सौगात गुने, सौ बातों में बात चुनें,
वक्त के साथ जो चलता है, वक्त की बातें करता है,
वक्त पर वही काम आता है, वक्त से वही निपटता है,
वक्त की तो बात बड़ी, वक्त की सौगात बड़ी,
वक्त ने राम को वन भेजा, वक्त ने शिव को दग्ध किया,
हरिश्चंद्र भी वक्त के दम से, महाराजा से मरघट भंगी हुए,
वक्त के साथ चलना सीखों, वक्त की नब्ज को पहचानों,
वक्त पर वक्त की बात करो, वक्त से मत फरियाद करो।।
स्वरचित मौलिक रचना
डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन
आर्य चौक बाजार, भाटपार रानी, देवरिया, उत्तर प्रदेश, भारत २७४७०२
डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन जी:
******************************************
गूंज रहा है गीत भारत की फिजाओं में,
जिन्दा है भारत अब भी इन अमराइयों में,
यहां के झरने सुंदर गीत गाते हैं श्रृंगार के,
हवाएं गुनगुनाती है अठखेलियों प्यार से,
बादल भी रिमझिम रिमझिम धुन सुनाते,
ऋतुएं रंग बिरंगी छटा है सुंदर बिखेरते,
नदियों का जल निर्मल है अमृत की तरह,
यहां की मिट्टी चंदन है पूजन अर्चन तरह,
बालक है राम कृष्ण हर बालिका है राधा,
आज भी कण कण में बसे हैं राम श्याम,
जीवन के संगीत पर्व त्यौहारों में है बसे,
प्रेम प्रीति पूजा है तीज परिवारों में बसे।।
डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन जी:
***************************************
भारत का तिरंगा झुकना नहीं चाहिए,
बलिदानों की पारी रुकना नहीं चाहिए।
यह महावीरों की पावन पुनीत भूमि है,
यह शूरवीरों की रंगीन मनोभवी स्थली है।
यहां गौतम ने जन्म ले शांति पढ़ाया है,
महावीर ने अहिंसा का अभ्यास कराया है।
कबीर की साखियां गलियों में गूंजती है,
मीरा के पद भक्तों के मन को लूभाते है।
तुलसी का मानस लोगों के मस्तिष्क में है।
सूर के पद बाल कन्हैया का अह्लाद है।
स्वरचित मौलिक कविताएं
डॉ कन्हैयालाल गुप्त "किशन"
भाटपार रानी, देवरिया,
उत्तर प्रदेश, भारत
२७४७०२
डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन जी
******************************************
विकसित युवा विकसित भारत, तभी होगा क्षितिज पर भारत,
युवा अपनी सोच बदले, कौशल को कर्म का आधार बनाये,
स्वार्थ से ऊपर परमार्थ को सोचे,तब भारत की जनता को सोचे,
युवा ही बदल सकता है भारत के कायाकल्प कलेवर को,
आज का दिवस है बड़ा ही पावन, अवतरण हुए विवेकानन्द जी,
आज दिवस है युवा दिवस का, युवाओं में जोश हो पावन,
भारत तभी क्षितिज पर होगा, युवा जब होगा कर्म में कौशल,
जागेगा तभी भारत और भारतवासी होगें विश्व में अग्रतर।।
स्वरचित मौलिक रचना डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन भाटपार रानी, देवरिया, उत्तर प्रदेश
डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन जी:
*******************************************
धुंध
****
जीवन में भी आज कल छा गई है धुंध,
नहीं रहता है अब कोई मुझे सुध बुध।
जीवन की रफ्तार कुछ ठहर सी गई है,
अपनों से रिश्ते कुछ बिखर सी गई है।
सजाने संवारने की कोशिश में लगा हूं,
ये वक्त पर छोड़ता हूं, इसके परिणाम।
अभी जी रहा हूं जीवन को मै वर्तमान,
कौन जाए अतीत के कातिल लफड़ो में।
धुंध छंटने में समय तो लगता ही है जब,
हवाएं चलेंगी अपने अनुकूल तब होगा।
जीवन में थोड़ा सुकून, आशाएं जगेगी,
स्वर्णिम सुप्रभात भी तभी मन भाएगा।।
स्वरचित मौलिक रचना
डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन
आर्य चौक बाजार, भाटपार रानी, देवरिया, उत्तर प्रदेश, भारत
*********************************
#जय_छठी_मईया
जय छठी मईया,हम सब रहते आपकी छहिया,
बड़ा ही कठोर और निर्मल वर्त है, जानता जगत है,
चार दिनों तक घोर तपस्या,खाय नहाय से होत है,
गंगा घाट पर मईया की अराधना,अस्त सूर्य देव पूजा है,
फल पकवानों का सुंदर संग्रह, घर परिवार में सुख शांति है,
उदयाचल सूर्य देव की होती अराधना, सूर्य देव सुनते प्रार्थना है,
घाटों पर मेला सा लगा है,बहंगी का तांता सा लगा है,
देवे आशीष सुफल हो प्रार्थना, यही भक्तों की कामना है।।
स्वरचित मौलिक रचना
डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन
आर्य चौक बाजार भाटपार रानी, देवरिया, उत्तर प्रदेश
******************************************
आज आप सूचित हो कि विश्व हिन्दी दिवस है,
इस भाषा में माधुर्य ओज और लालित्य भी है,
साहित्य समाज सभ्यता और संस्कृति दर्पण है,
भावों की अभिव्यंजना हिंदी मातृभाषा मेंही है,
हिंदी सारे संसार पर छायी विकास भाषा है,
हिंदी के कवि लोगों की जुबान पर बसे हुए हैं,
आज हिंदी वासियों को बहुत बहुत बधाई है,
आप सभी को विश्व हिन्दी दिवस पर बधाई है।।
स्वरचित मौलिक रचना डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन
*******************************************
#नववर्ष
नव वर्ष है,नव हर्ष है,नवल व्योम में नवल रवि है,
नव वर्ष की बात अलग है,इसकी सौगात अलग है,
अपने राष्ट्र की हवा नई है,अपने राष्ट्र की शान अलग है,
होंठों पर मुस्कान अलग है, दिलों के अरमान अलग है,
बसुंधरा की मान अलग है,नदी पर्वत की शान अलग है,
राजनीति के घात अलग है, न्यायालयों की जात अलग है,
हे प्रभु! देश की वायु बदल दे,नई चाल दे नई गति बल दे,
चिर नवीन को चिरंजीवी कर, देश की मर्यादा को बल दे।।
स्वरचित मौलिक रचना
डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन
आर्य चौक बाजार, भाटपार रानी, देवरिया, उत्तर प्रदेश, भारत