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गुरुवार, 19 जनवरी 2023

रचनाकार :- आ. नरेन्द्र श्रीवात्री स्नेह जी, शीर्षक :- धूप



कलम बोलती है साहित्य समूह 
विषय क्रमांक ---539
विषय. .धूप 
विधा कविता 
दिनांक 18/1/2023
दिन बुधवार 
संचालिका आद सुनीता चमोली जी 

शीत ऋतु की प्यारी धूप 
सबके मन को भाती धूप। 
धूप बिना न चलते काम ,
धूप से मिलता सबको आराम। 
सुबह जब निकलती धूप ,
बैठ जाते आँगन में सब। 
करते पढ़ाई बैठ कर सब, 
दादा चुस्की लेते चाय की।
 धूप छोड़ने का मन न होता। 
धूप से मिलता विटामिन डी.
धूप में बैठ कर दादी भाभी 
बुनती स्वेटर। 
सभी उठाते लुप्त धूप का ,
होती हड्डियां मजबूत।
गर्मी की  धूप लगती तेज 
आता सारे बदन में पसीना ,
 नहीं किसी को भाती धूप। 
बारिश में मुश्किल से. ,
निकलती धूप। 
कभी कभी मिलती है धूप। 
सबको प्यारी लगती धूप ,
सबके मन को भाती धूप। 

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित। 
नरेन्द्र श्रीवात्री स्नेह 
बालाघाट म प्र

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