नमन मंच
कलम बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक 550
विषय यादें
दिनांक 13.02.2023
शीर्षक " यादें उन बरसातों की "
याद तुम्हारी साथ में लाई
यादें उन बरसातों की
भीगा आंगन, भीगा आंचल
भीगी भीगी रातों की
भीगी पलकों से मुड़ मुड़ कर
देखा उन राहों की ओर
जिससे जाकर लौटे न तुम
सूख गए पलकों के कोर
थम जाएगी नभ की रिमझिम
नैनों की बरसात नहीं
न खत आया न संदेसा
आने की भी आस नहीं
गुज़र गए यूं ही कई मौसम
पतझर क्या, मधुमास है क्या
फूल खिलें या मुरझाएं
बस टीस रही मन में इक यहां
दीप धरे देहरी पर फिर भी
बैठी हूं यही आस में गुम
कह कर गए थे आऊंगा मैं
लौट आओगे इक दिन तुम
- डॉ. सुनील शर्मा
गुरुग्राम, हरियाणा
मौलिक एवं स्वरचित
हार्दिक आभार आदरणीया जी 🙏
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