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शुक्रवार, 10 मार्च 2023

रचनाकार :- आ. तरुण रस्तोगी "कलमकार"जी



🙏नमन मंच 🙏
#कलमबोलतीहैसाहित्यसमूह
#आयोजन संख्या-५६१
#प्रदत्त छंद-माधव आधारित मुक्तक मालती छंद
#सादर समीक्षार्थ 
#मापनी २१२२ २१२२ २१२२ २१२२

वंदना  माँ  शारदे  की , मैं  सदा  करते  
रहूंगा।
भाव मन के आपको माँ ,मैं समर्पित करता रहूंगा।
दो मुझे आशीष माता, लेखनी  में  धार  होगी,
देश हित की कामनाएं ,लेख में लिखता रहूंगा।
(२)
रास कान्हा ने रचाया, नाचती सब गोपियां है।
बांसुरी की तान पर ही, झूमती सब गोपियां है ।
सांझ है कितनी सुहानी, खिल खिलाते चांद तारे,
बज रही बंसी मधुर है,होश खोती गोपियां है।

तरुण रस्तोगी "कलमकार"
मेरठ स्वरचित
🙏🌹🙏

1 टिप्पणी:

  1. प्रबुद्ध मंच का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने मेरी लेखनी को सम्मानित किया।

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रचनाकार :- आ. संगीता चमोली जी

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