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सोमवार, 16 जनवरी 2023

रचनाकार :-आ. सीता गुप्ता दुर्ग जी, शीर्षक :- संगम

#कलम_बोलती_है_साहित्य_ समूह
#विषय_क्रमांक_538
#दिनांक_16-01-2023
#दिन_सोमवार
#विषय_संगम
#विधा_काव्य
        *शब्द संगम*
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शब्द सरित जब नीर ह्रदय में,
 मानस पटल पर बहता है।
  

कविता रूपी गागर में तब,
     भावना का संगम होता है।

दुखी हृदय को धीरज देकर,
 तपन की अग्नि मिटाता है।
  नए संकल्प भविष्य को देकर,
    पग को दृढ़ता देता है।

काव्य सरित सागर से मिलने,
  पूर्ण वेग से बहता है।
   सृजन संग चरम बिंदु पहुंचकर,
     नई परिभाषा रचता है।

शब्द संगम जब होता है,
तो भाव प्रबल हो जाता है।
मानस मन तब एक दूजे से,
भावों से संगम करता है

कविता संदेश वाहक जो होती,
 धरा पर खुशियाॅं देती है।
   पतझड़ संग बहार के जैसे,
     सृजन रंग छलकाती है।

✍🏻 सीता गुप्ता दुर्ग छत्तीसगढ़

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