नमन मंच
कलम बोलती है साहित्य समूह
23.02.23
विषय ---फसल लहलहाती है
चलो खेत हल उठाओ हम है किसान
मेहनत से धरती माता की सेवा ही काम
भरी दुपहरी पा विटप छांव पा पल भर विश्राम
सांझ ढले लौट घर थके श्रमजीवी किसान
दिन रात अथक श्रम करते सुबह शाम
आशा उम्मीदों के आंगन खिलते पुष्प अविराम
मौसम रंग ले आया लहलहाते खेत फसल बेलगाम
खुशियों से भरे मन आंनदित आठों याम
सकल पूंजी किसान की यही फसल लहलहाए
घर परिवार बाल बच्चे सब आस लिये मुस्काये
बहुत कठिन समय होता प्रकृति हो जब प्रतिकूल
कांपते धड़कते दिल से किसान रहते धीर कूल
आपदा विपदा सह किसान उठ नई उम्मीद संजोय
लहलहतीं फसलें भरती जीवन में नव उत्साह ।
स्वरचित ,मौलिक
डॉ अर्चना नगाइच
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23.02.23
हृदय सर आभार उमा जी👌👌👍👍😊
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमनमोहक रचना अर्चना जी