#कलम बोलती है साहित्य समूह
#आयोजन संख्या 538
#विषय संगम
दिनांक 16/01/2023
#विधा कविता
अक्षरों का संगम जब होता
नव गीत कोई बन जाता है,
सुरों के संगम की सरगम से
मधुर संगीत मन लुभाता है|
गंगा जमुना धारा का संगम
होता तब महान पर्व उद्गम,
लघु भारत का एहसास होता
कुंभ में होता जनता का संगम|
अरुणोदय में सूर्य चंद्र का संगम
तिमिर से ज्यों प्राची किरण मिलन,
अद्भुत होता यह दृश्य विहंगम
प्रकृति का खेल है सुंदर मनोरम|
माटी बरखा बीज का संगम
पल्लवित हो जाता नव जीवन,
कुछ संगम हैं अनोखे अद्भुत
क्षितिज पे धरा अंबर का मिलन|
नए आविष्कार जन्म लेते हैं
होता ख़ोज कल्पना का संगम,
अकल्पनीय कार्य कर जाओगे
करा हौंसलें उम्मीद का संगम|
रचनाकार का नाम- संजीव कुमार भटनागर
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
मेरी यह रचना मौलिक व स्वरचित है
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