#कलम बोलती है
#विधा काव्य
#विषय यादें
सदा दिल दुखायेंगी यादें तुम्हारी
न हम भूल पाये शहादत वो भारी
कहीं लाल बिछुड़ा कहीं भाई खोया
हुई है अकेली कहीं प्राण प्यारी
लिया खूब बदला तसल्ली मिली भी
मगर मांग सूनी खिली फिर न क्यारी
बहुत कायराना है हरकत तुम्हारी
है कैसी ये नफरत है कैसी बीमारी
तबाही के तुम रास्ते पर चले हो
संभल जाओ वरना बनोगे भिखारी
स्वरचित विमलेश
नमन मंच
जवाब देंहटाएंकविता को सम्मान देने के लिए बहुत-बहुत आभार आदरणीया