नमन मंच 🙏🙏
कलम बोलती साहित्य समूह
विषय -बदरी और चाँद
सूखे -सूखे से पत्ते हैं शाख पर,
सब्ज़ पत्तो ने आड़ दे आस जगाई है।
बदली मे छिपे -छिपे से चाँद की,
हल्की सी झलक से रोशनी जगमगाई है।
विमन्सक सन्नाटा सा है हर तरफ,
यूं लगा अल्हड़ सी गज़ल किसी ने गुनगुनाई है।
एक लम्हा जब महसूस किया तुमको,
यूं लगा रूह मेरी इत्र मे नहा आई है।
मुसाफिर सा था अन्धी सी दौड़ का,
जब खोज की तो भीतर ही मंजिल पाई है।
रजनी कपूर
जम्मू
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