नमन मंच
कलम बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक_ 562
विषय पथिक तू चलता चल
विधा कविता
दिनांक ..13 मार्च 2023
वार : सोमवार
ओ पथिक तू चलता चल
राह में होंगे थकान के पल,
नहीं रुक पथ में तू कभी
जीत के पाएगा सुखद पल|
मंज़िल नहीं है अब दूर तेरी
साहस की तेरे आयी घड़ी,
कंटको को तब तू रौंद देना
पथ में होगी फूलों की लड़ी|
निडर चल ज्यों नदिया बहे
राह में प्रस्तर खंड भी मिले,
सागर से मिलने चलती जाती
अपनी राह वो खुद बनाती|
तूफानों से नहीं डरना तुझको
पथ विमुख नहीं होना तुझको
राह अडिग अटल पर्वत सा
विपत्तियों से है लड़ना तुझको|
सपने सब तूने जो देखे थे कल
हकीकत में उनको रंगता चल,
सूर्य तेज या गहराई सागर लिए
पथ पे पथिक तू चलता चल|
रचनाकार का नाम- संजीव कुमार भटनागर
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
मेरी यह रचना मौलिक व स्वरचित है
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