जय माँ शारदे
नमन मंच
#कलम बोलती है साहित्य समूह
#दैनिक विषय क्रमांक - 547
दिनांक - 06/02/2023
#दिन : सोमवार
#विषय - आओ वक्त के साथ चलें
#विधा - गीत
#संचालिका - आ. शशि मित्तल अमर जी
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वक्त के साथ चलें हम, कदम से कदम मिलाकर।
मिले मौका बढ़ जाए आगे, हम वक्त को हराकर।।
साथ में वक्त की धार के , जो कोई संग बहता,
चलता जो वक्त के साथ में, हरदम आगे रहता।
रह जाए अगर तू पीछे, नहीं वक्त से गिला कर,
मिले मौका बढ़ जाए आगे, हम वक्त को हराकर।।
करता जो सलाम वक्त को, किस्मत बदल जाती,
बनता गुलाम वक्त का, सफलता हाथ नहीं आती।
मान ले वक्त की बात को, नहीं वक्त से सिला कर,
मिले मौका बढ़ जाए आगे, हम वक्त को हराकर।।
वक्त है दौड़ लगाता, अतीत नहीं वक्त को भाता,
साथ वक्त के जो दौड़े, जीवन में सब कुछ पाता।
राह रोके वक्त अगर, रख दे तू वक्त को हिलाकर,
मिले मौका बढ़ जाए आगे, हम वक्त को हराकर
मौलिक और स्वरचित
जगदीश गोकलानी "जग, ग्वालियरी"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
बहुत बहुत बधाई।
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