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शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023

रचनाकार :- आ दमयंती मिश्रा जी, शीर्षक :-धूल


नमन मंच कलम बोलती है।
क्रमांक _५४६
दिनांक _३/२/२०२३
विषय _धूल 
 विधा  _लघुकथा
राम, श्याम व शंकर तीनों भाई साथ साथ रहते थे ।समय के साथ सोच बदलती है ।राम सबसे बड़ा समझदार, कर्तव्य निष्ठा, ईमानदारी सत्यनिष्ठ स्वभाव वाला था । विवाद करना व लालच स्वहित  के लिए झगड़ा  नहीं चाहता था ।
छोटे भाईयों ने उसे कुछ न दे कर माता पिता की जिम्मेदारी उसे सौंप दी ।वह मेहनत से परिवार को पालते हुए बच्चों को शिक्षित करना चाहता था ।साथ ही मां, पिता जी सेवा भी ईश्वर मानकर करता था ।
बच्चे अपने पिता मदद करते हुए आगे बढ़ रहे थे ।एक दिन माता पिता ने कहा बेटा हमारे पास कुछ नहीं है ।धन दौलत भाईयों ने ले लिया तुझे देख कर बहुत अफसोस होता है ।
शंकर बोला मां पिता जी धन दौलत तो धूल जैसे है ।आज से कर नहीं । आपकी सेवा मेरा परम कर्म कर्तव्य है ।आपके चरणों की धूल मुझे मिल रही है इसका तिलक करने से बहुत बहुत संतोषजनक धन की प्राप्ति होती उससे बड़ा धन ओर कोई नहीं ।
उसके बच्चे सुन रहे थे ।जब पढ़ कर अच्छी पोस्ट पर आरुड़ हुए तो बेटी ने दोनों खुलो को स्वर्ग बना दिया ।बेटा को सुशील सर्वगुण संपन्न बीबी मिली । उसने अपने दोनों हाथों से मां पिता सेवा की व अपने कर्म कर्तव्य को पूजा समझकर कार्य किया ।
वह कहता भ्रष्टाचार बेईमानी से कमाया धन धूल माटी है ।जो चला जाता साथ इज्जत भी धूल में मिल जाती ।
अतः दोस्तों परिवार समाज देश को आगे बढ़ाना हो तो दुर्गुणों को छोड़कर सत्य अहिंसा परमो धर्म सिद्धांत पर चलो । कभी भी आपका जीवन धूल सदृष्य न हो गया।
स्वरचित दमयंती मिश्रा गरोठ मध्यप्रदेश

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