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मंगलवार, 17 जनवरी 2023

रचनाकार :- आ. देवेश्वरी खंडूरी जी, शीर्षक :- संगम




"क़लम ✍️ बोलती है" साहित्य समूह
मंच को प्रणाम 🙏🙏
विषय -संगम
क्रमांक संख्या 538
दिनांक- 16-1-2023
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                 🙏जय मां शारदे 🙏
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संगम नदियों के मिलन का स्थल बड़ा ही विहंगम ,
संगम की पवित्रता से मिट जाते जीवन के गम।

संगम पर स्नान करने से तन पवित्र, पाप कट जाते हैं,
संगम के दर्शन मात्र से मन वही रम जाता है।

नदियों का संगम जहां हो, वह तीर्थ स्थल बन जाता है, 
संगम पर पूजा-पाठ करते,मन भक्तिभाव जग जाता है।
रिमझिम बरसात का धरा से होता संगम,
गहन लताएं पेड़ों से करती आलिंगन।

बादल छाए,गगन गुनगुनाए, दोनों का हुआ मिलन,
धरा मुस्कुराए , अपनी प्यास बुझाने को बारीस की बूंदों से हुआ संगम।

देवेश्वरी खंडूरी ,
देहरादून उत्तराखंड।

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