#कलम बोलती है साहित्य मंच
#विषय-क़मांक-383
#दिनांक-11/01/2021
#विषय- हिन्दी
#विधा- कविता
भाषाएं हम सब सीखे पर
निज भाषा का मान रहे
कथनी करनी में ना हो अंतर
हिन्दी का दिल में सम्मान रहे
हिन्दी मेरी मातृभाषा है
इसका हमको भान रहे
निज भाषा और जननी पर
जीवन पर्यन्त हमें गुमान रहे
वेद पुराण रामायण की देववाणी
संस्कृत से जन्मी हिन्दी का मान रहे
हिन्दी हिन्द हिंदुस्तानी की बाणी
सर्वत्र विश्व में पहचान रहे
हिन्दी हिन्द हिन्दुस्तान की भाषा के
अस्तित्व की हमें पहचान रहे
तुलसी सूर रसखान की भाषा
हिन्दी पर सदा अभिमान रहे
भारत माता के भाल की बिन्दी
हिन्दी का सदा गुणगान रहे
जायसी मीरा भारतेंद्रु ने पाली
हिंदी पर हमें स्वाभिमान रहे
गौरवशाली भाषा हमारी हिन्दी
हिन्दुस्तानी राज्यभाषा ही ना बनी रहे
फलक पर हिन्दी लाकर हमको
राष्ट्रभाषा का हिन्दी सम्मान सहे
प्रमोद तिवारी
दिबियापुर
औरैया
उत्तर प्रदेश