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शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. नीता अग्रवाल जी 🏅🏆🏅

सादर नमन *कलम बोलती है* मंच
शीर्षक - #विश्व_हिन्दी_दिवस 
विधा - गीतिका सृजन

विश्व पटल पर छा रही, हमारी शान है हिंदी । 
खूब जमाये रंग यह, वतन का मान है हिंदी । 

सुर की सुंदर साधिका, सुकोमल सी
सुभाषित सी, 
मनभावन सी मधुर यह, महा वरदान है हिंदी । 

सरस सहज लिपि नागरी, विरल भंडार शब्दों का, 
संस्कृत सगी लाड़ली, जुवां की जान है हिंदी । 

अभिधा लक्षणा व्यंजना समासों रीति गुण वाली, 
छंद अलंकारों सजी, रसों की आन है हिंदी । 

जयशंकर की 'कामायनी', महादेवी रचें 'यामा', 
सुमित्रानंदन 'पल्लव', निराला 'दान' है हिंदी । 

आंग्ल मुखौटा धारिणी, रिझाती मानिनी बनकर, 
सौतन बन आ घुसी, बड़ी हलकान है हिंदी । 

सरकारों जागो अभी, मिटाओ मोह अंग्रेजी, 
मानो नामुमकिन नहीं,वतन सम्मान है हिंदी । 

       -- नीता अग्रवाल
              #स्वरचित

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. टी. के. पांडेय जी 🏅🏆🏅

स्वामी विवेकनंद जी के बताए वाक्यांश को उतारने, अपने जीवन को उन्नत करने के परिदृश्य को, अनूठे कागज पर उतारने की अनूठी पहल। 
देखिए

युव हुंकार
___

यह समाज जिस रूप में ढालोगे, ढलेगी, जैसे चलोगे, चलेगी। 
एक के होने से अनेक होते हैं बढ़ना जरूरी है। अब समय आपका इंतजार नहीं कर सकता देख रहे हैं कहाँ से कहाँ आ गए क्या थे क्या हो गए फिर भी। अचेत निश्तेज अबाक हतप्रभ विचार शून्य अलग थलग बैठे हैं। नहीं आओगे क्या। 

देखिये इन्हीं तत्वों का समावेश किया गया है आपके इस प्रसंग में। 

युव हुंकार
_________

मन कहता है, घर घर जा कर कहूँ, उठो, युग के युवराज। 
जिससे, बदल सकूँ दुनियाँ में, बिघटित मानवता का राज। 

कहूँ युवा से तेरी शक्ति बदलेगी, काला कानून। 
व उबाल आयेगी युग में खौलेगी, युवकों में खून। 

जिस समाज में चोर, उचक्के जमा लिया हो गंदा पाँव। 
चलो, देश के युवा बदलने रूढ़ वादी वाला,हर गाँव। 

आज बदलने को आतुर हम, दुनियाँ भर के बदले भाव। 
युग को दिखा, युवा में शक्ति, स्वामी जी का प्रखर प्रभाव। 

आज विश्व को पुनः चाहिए, वही तेज स्वामी जी की। 
आज बदलने को आतुर हम, रहा शेष खामी जो भी। 

नारायण, किस असमंजस में पड़े, खड़े हो मेरे तात। 
बढ़ो, बढ़ाओ, आओ, बैठो तभी बनेगी, बिगड़ी बात। 

टी के
दिल्ली

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ सुनीता चमोली जी 🏅🏆🏅

कलम✍🏻बोलती है साहित्य समूह मंच को नमन जय माँ शारदे विषय क्रमांक-:383
विषय-:हिंदी विधा -:गीत                                                          
रचना-:मौलिक /अप्रकाशित
दिनांक-:10/01/2022                                              
                        -हिंदी - (विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में)
कोई कहता तुम वेदों में छुपी हो 
कोई कहता तुम कहानियों में छुपी हो
कोई कहता तुम कविताओं में छुपी हो
कोई कहता तुम गीतों में छुपी हो
कोई कहता तुम काव्यों ने छुपी हो
कोई कहता तुम महाकाव्यों में छुपी हो मैं कहती तुम हर दिल में छुपी हो
कोई कहता तुम राजभाषा हो कोई कहता तुम राष्ट्रभाषा हो                                            
कोई कहता तुम शब्दकोश हो कोई कहता भाषाओं की जननी हो
कोई कहता तुम भाषा सौंदर्य हो विश्व पटल पर परचम लहराया है
जन्म लेते ही मैंने हिंदी सुनी थी
जब माँ का स्पर्श मुझे मिला था।
जब संसार में पहला कदम रखा था
मेरी हर सांसें हर स्वर हिंदी थी
जो शब्द बनकर मुझे दुलारती थी 
आज भी जीवन इसी पर निर्भर है
कर्म तन भक्ति नित नयन ये है
मेरे लिए तो प्रण-प्राण है हिंदी
बुद्धि प्रकाशित चित्त प्रफुल्लित
हृदय प्रेम से भर भर जाता है तनमन आनंदित हो जाता है
वैभव से परिपूर्ण हो जाता है
जब-जब "हिंदी" स्वर आता है।
     - सुनीता चमोली

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. मनोज कुमार चंद्रवंशी जी 🏅🏆🏅

#नमन कलम बोलती है साहित्य समूह
#दिनांक-10/01/2022
#दिन- सोमवार
#विषय- हिंदी 
#विधा- पद्य (कविता) 

हिंदी भाषा संस्कृति सुता बहु भाषाओं की जननी,
हिंदी में साहित्य सृजन की अथाह वेग समायी है।
हिंदी भाषा में सुरम्य ताल, लय, यति, गति है,
हिंदी भाषा की छवि जन-जन को अति भायी है॥

वसुंधरा में उन्मुक्त, प्रखर राष्ट्र की गान हिंदी।
हर भारतवासी के हृदय की,अभिमान है हिंदी॥

निज राष्ट्र की सरल,सुबोध, सुवाच्य, हिंदी भाषा,
सुहृद, सुग्राह्य भाषा जग में क्या कोई और है।
हिंदी संस्कृति विविध्य को एक सूत्र में समेटी है,
हिंदी अखिल विश्व में दैदीप्यमान, सिरमौर है॥

संगीत, नवगीत, छंद की माधुर्य तान है हिंदी।
प्रबुद्ध, साहित्य साधक का,अभिमान है हिंदी॥

परिनिष्ठित हिंदी कवि वृंदो का रही भाषा है,
हिंदी मानव जीवन को नित अलंकृत करती है।
हिंदी जीवन में ज्ञान-विज्ञान की अथाह समंदर,
हिंदी भाषा जीवन उपवन को झंकृत करती है॥

हर प्रबुद्ध भारतवासी के, उर की जान है हिंदी।
सशक्त, समृद्ध राष्ट्र की, अभिमान है हिंदी॥

हिंदी भाषा कभी स्वतंत्रता की चिंगारी बनी,
हिंदी यथार्थ धरा में जन -जन मे फैलायी हर्ष।
हिंदी कभी स्वतंत्रता सेनानियों की भाषा बनी,
हिंदी से कामयाब हुई राष्ट्र की स्वतंत्रता संघर्ष॥

भावों की अभिव्यक्ति राष्ट्र की शान है हिंदी।
सर्व जन का लोकप्रिय भाषा अभिमान है हिंदी॥

                        ✍रचना
                  स्वरचित एवं मौलिक
                 मनोज कुमार चंद्रवंशी
         बेलगवाँ जिला अनूपपुर मध्यप्रदेश 
         मोबाइल नंबर - 9399920459

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. तरुण रस्तोगी "कलमकार"जी 🏅🏆🏅

🙏नमन मंच 🙏
#कलम_बोलती_है_
साहित्य_समूह 
#आयोजन संख्या ३८३
#विषय हिंदी
#कविता
#दिनांक १०/०१/२१
#सादरसमीक्षार्थ
प्रस्तुति संख्या ०१

हिंदी भाषा का ज्ञान जान ले देश और जहान।
तभी बढ़ेगी देश की शान महकेगा सारा हिंदुस्तान।
मेरा अभिमान हिंदी है मेरी जान हिंदी है।
मातृभाषा हमारी प्यारी बड़ी हिंदी,
चमकती दुल्हन के माथे पर जैसे बिंदी।
यह जन-जन की दुलारी बड़ी प्यारी भाषा हिंदी हमारी।
लिखे हिन्दी में सदा सभी कहानी, कविता, छंद , मुक्तक या शायरी।
हिंदी में लिखता रहूंँगा भरता रहूंगा डायरी।
कभी न कार्य करूंगा यह बंद।
मेरा अभिमान हिंदी है मेरी जान हिंदी है।
हिंदी भाषा की शान निराली,   
सरलता से समझ में आने वाली।
हिंदी भाषा को हम-सब मिलकर बनायेंगे ,
इसको राष्ट्रभाषा का दर्जा मिलकर दिलाएंगे।
जन जन तक पहुंचा देंगे यह प्यारा संदेश    
मेरा अभिमान हिंदी मेरी जान हिंदी है।

तरुण रस्तोगी "कलमकार"
 मेरठ स्वरचित
🙏🌹🙏

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. ललित भट्ट जी 🏅🏆🏅

#कलम बोलती है साहित्य मंच को नमन।
#क्रमांक : 383
#दिन : सोमवार से मंगलवार तक।
#दिनांक : 10 से 11 जनवरी 2021.
#विषय : हिंदी।

जन-जन की यह भाषा प्यारी,
हिंदी भाषा हम सब की दुलारी।
विश्व पटल पर इसका उत्थान करें हम,
जन-जन तक पहुंचाने का काम करें हम।।

यह नहीं मात्र एक बोली एक भाषा है,
टूटे रिश्तो को जोड़ें ऐसी आशा है।
हो विश्व पटल पर चर्चा हिन्दी हिंदुस्तान की,
हर हिंदुस्तानी के दिल की अभिलाषा है।।

हिंदी एक ऐसी भाषा जो अनमोल है,
इसके कई पर्याय कई विलोम है।
कितनी प्यारी सरल मीठी भाषा है,
जग में हर कोई बोले मेरी जिज्ञासा है।।

यह भाषा नहीं नूतन कई पुरानी है,
दिनकर तुलसी मीरा जैसे कईयों की यह वाणी है।
इसके एक-एक पग आगे बढ़ने की बड़ी कहानी है,
जन-जन तक इसको पहुंचाने की मन में हम ने ठानी है।।
                     ललित भट्ट ✍️🙏
हल्द्वानी नैनीताल उत्तराखंड 🙏

विषय :- हिन्दी. ।रचनाकार :- आ. जय हिन्द सिंह 'हिन्द'जी 🏅🏆🏅

नमन कलम बोलती है साहित्य समूह
बिषय क्रमांक - 383
बिषय - हिन्दी 
विधा - गीत 
            हिन्दी राष्ट्र धरोहर है 
***************************************
हिन्दी बोली है मनमोहक, लिपि इसकी मनोहर है । 
जन-जन की भाषा यह मेरी, हिन्दी राष्ट्र धरोहर है ॥
             राजभाषा हिन्दी हमारी 
             हिन्दी में सब कार्य करें, 
             बन जाए यह राष्ट्र भाषा 
             ऐसा हम प्रयास करें, 
हिन्दी है हिन्द की पहचान, देश की गुलमोहर है । 
जन-जन की भाषा यह मेरी, हिन्दी राष्ट्र धरोहर है ॥
             लोरी लगती वाचन में है 
             सुनने में मिसरी लगती, 
             पास आया जो हिन्दी के  
             उसके उर को भा उठती, 
विविध विधाओं से परिपूर्ण, लगती एक सरोवर है । 
जन-जन की भाषा यह मेरी, हिन्दी राष्ट्र धरोहर है ॥
              दोहा चौपाई कुण्डलियाँ
              हिन्दी का श्रृंगार करें, 
              रस छन्द अलंकार लक्षणा
              इसका साज बुहार करें, 
लोक बोलियों की जननी यह,वाणी अति मनोहर है । 
जन-जन की भाषा यह मेरी, हिन्दी राष्ट्र धरोहर है ॥
              वैश्विक भाषा हिन्दी बने
              हम कर्म प्रधान यतन करें, 
              भग जाएगी देश से इंग्लिश 
              दृढ़ इच्छा से करम करें, 
मंदारिन अँग्रेज़ी जर्मन से, यह लगा रही सरवर है । 
जन-जन की भाषा यह मेरी, हिन्दी राष्ट्र धरोहर है ॥
                                 रचना स्वरचित © 
                                 जय हिन्द सिंह 'हिन्द' 
                                 आजमगढ़, उ0 प्र0

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ राजेन्द्र कुमार'राज'जी 🏅🏆🏅

#नमन मंच
#कलम बोलती है साहित्य समूह
#क्रमांक:-383
#दिनांक-10/1/ 2022
#विधा :-काव्य
#विषय:-हिंदी
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आन है, बान है, हम सब की जो पहचान है।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक एकता में जो हमें पिरोये, वो हिंदी भाषा महान है-2।।
विविधताओं का देश हमारा
अलग-अलग है यहां धर्म प्यारा,
जाति-प्रथा, बोली औऱ संस्कृति,
वेश-भूषा भी बदलती रहती
इन सबकी बना के माला
एकता का प्रतीक हमारा।
हम सबको जो प्यार दिलाती,
आपस में सम्मान दिलाती ,
विचारों का आदान-प्रदान करती,
सबको एक सूत्र में पिरोती,
माथे पर जिसके बिंदियाँ सजती है।।
वो ही भाषा जिसे हम हिंदी कहते हैं।
हम भारतीयों की वो शान है।।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक
एकता में हमें पिरोये, वो हिंदी भाषा महान है।।

माना जननी संस्कृत है,
पर है हिन्दी इसकी लाड़ली।
सब भाषाओं को साथ लिए,
चलती है ये भाषा पावनी।।

नहीं है किसी भाषा से वैर इसका,
ख्याल रखें ये सभी देशवासियों का,
यूं तो देश में अनेक भाषाएं है।
पर सजे जो माथे पर वो बिंदी है हिन्दी।।

अनेक अंगों से बना ये पुतला,
कहलाता है शरीर हमारा।
इसका ख्याल रखता है मष्तिष्क,
वैसे ही विभिन्नताओं के देश में
शक्ति का केन्द्र है हिन्दी।।

हर के रंग में बसी हुई,
ये हिन्दी सबकी जान है।
आन है, बान है, हम सबकी जो पहचान है,
कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
एकता में हमें पिरोये,
वो हिंदी भाषा महान है।।
वो हिंदी भाषा महान है।।

जय हिंद, जय हिन्दुस्तान।।

✍️स्वरचित व मौलिक रचना
लेखक-राजेन्द्र कुमार'राज'
श्रीमाधोपुर, सीकर
राजस्थ

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ गार्गी राजेन्द्र गैरोला जी 🏅🏆🏅

नमन मंच कलम बोलती है साहित्य समूह 
दिनांक:10/1/22
विषय:हिंदी
विधा:कविता

हिंदी ही हमारी अद्भुत दिव्य पहचान है
हिंदी ही हमारी मातृभाषा की शान है
विश्व में हिंदी भाषा की अन्तहीन मंथन है
हिंदी भाषा ही ज्ञान विज्ञान का जीवन है ।

हिंदी का लचीलापन विश्व का विश्वास है
हिंदी विस्तारित प्रखर प्रेरित प्रबुद्ध प्रकाश है
जन जन की उदीयमान प्रतिमान पहचान है
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा सर्वश्रेष्ठ विश्वास है।

हिंदी ज्ञान विज्ञान धर्म साहित्य प्रकाश है
राजनैतिक चरित्र का अन्तहीन इतिहास है
हिन्दोस्तान की सार्वभौमिक ज्ञान प्रकाश है
जाति धर्म साहित्य सांस्कृतिक विश्वास है।

मेरी महान आदर्श मातृभाषा हिंदी है
वेदों पुराणों की पुण्याह पहचान हिंदी है
राजभाषा अमूर्तरूप बन साजती हिंदी है
शब्दावलियां सदा विराजती हिंदी है।

स्वरचित मूल रचना
रचनाकार:गार्गी राजेन्द्र गैरोला 
देहरादून,उत्तराखंड।

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. सुनीता शर्मा जी 🏅🏆🏅

सभी मंच वासियों को अंतराष्ट्रीय हिंदी दिवस की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं।

आज का विषय,,,
 हिंदी

मेरी मातृ भाषा , मेरा मान है हिंदी
मेरे भारत की पहचान है हिंदी।
में हर्षित हूँ,में गर्वित हु
स्वयं अर्जित किया समान है हिदी।

वेदों पुराणों की भाषा है हिंदी
फूलो में गुथी अभिलाषा है हिंदी।

गीता का पूरा सार है हिंदी
रामायण का संस्कार है हिंदी।

भारत माता के भाल का सम्मान है हिंदी
कवि की कल्पना और पहचान है हिंदी।

हमारे भावों ओर विचारों में है हिंदी
हमारे मजबूत इरादों में है हिंदी।

हमारी सोच में तन की खरोच में
इश्क में प्यार में हमारे हर व्यहवार में
मन की पीड़ा में,
  हर खेल में हर क्रीड़ा में
हर सवाल में,हर जवाब में
हमारे गुण, हमारे विचार में

पायल की झनकार में
शब्दो से खेलते हर फनकार में।

ह्रदय की स्पंदन है हिंदी

हा मेरी मातृ भाषा मेरा मान है हिंदी
मेरे भारत की पहचान है हिंदी।

भारत माता की जय।

सुनीता शर्मा रचनाकार।

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. मंजू लोढ़ा, जी 🏅🏆🏅

नमन मंच विषय "हिन्दी"10-1-2022 “हमारी राष्ट्रभाषा बने हिंदी’’

मेरी मातृभाषा है हिंदी
पुष्प की अभिलाषा है हिंदी
भारत के सभी प्रांतों को
एक धागे में पिरोती है हिंदी।

हजार वर्ष का समृद्ध साहित्य है हिंदी
‘स्वयंभू’ का पडम चरिया (पदम चरित) है हिंदी
कबीर की वाणी-साखी
मीरा का गोपाला है हिंदी।

सुरदास की बाल लीला
बिहारी का श्रृंगार रस
रहीम के दोहे – सोरठे – बरवै
संतोष धन है हिंदी।

रैदास का चंदन पानी
खुसरो की पहेलियाँ-मुकरियाँ
नवीन की उर्मिला के गले में
तुलसी के पद पिरोती है हिंदी।

गुप्त की भारत-भारती 
मिश्र की त्रिकाल संध्या आरती
सुभद्रा के ‘बिखरे-मोती’
देशभक्ति का ‘बहता झरना’ हैं हिंदी।

भारतेंन्दु की खड़ी बोली 
कालिदास का मेघदूत
मुल्ला दाऊद की प्रेमकथा चंद्रायन
पं द्विवेदी का जागरण सुधार काल हैं हिंदी।

गुरु नानक की ‘जपुजी’ 
जायसी की पद्मावत 
सुमन का जीवन के गान 
अज्ञेय का पद्य और गद्य हैं हिंदी।

बच्चन की मधुशाला
धर्मवीर की कनुप्रिया
प्रसाद की कामायनी
महादेवी के गीतों की खानी है हिंदी।

युगवाणी पंत की पुकारती है हिंदी
दिनकर की रसवंती बातें है हिंदी
चंद बरदाई का पृथ्वीराज रासो
प्रेमचंद की अद्भुत कहानियां है हिंदी।

निराला की राम शक्ति पूजा महाकविता है हिंदी
दुष्यंत की अनमोल गजलें
भगवती की चित्रलेखा
नीरज का प्रेम रस प्याला है हिंदी।

, शिवानी , मृदुला सिन्हा
पुष्पा भारती, फणीश्वरनाथ रेणु,
कमलेश्वर ,देवीकनंदन खत्री, गुलेरी, नरेन्द्र कोहली,
भीष्म सहानी-यशपाल, जैनेद्र कुमार
अनगिनत साहित्यकारों की कलम है हिंदी।

इस छोटी सी कविता में समेट सकती नहीं
हिंदी साहित्य के रतनों को
एक-एक अमूल्य धरोहर है
कोहिनुर है हमारी हिंदी।

सच कहूँ तो एक अनुपम वरदान है हिंदी
साहित्य की जान है हिंदी
फिजी, मारिशियस, मालद्वीप, सुरीनाम,
दक्षिणी अफ्रीका ,त्रिनिदाद तथा विश्व की सवा सौ विश्वविद्यालय में बड़े गर्व से बोली और पढ़ी जाती है हिंदी।

यह हिंदी साहित्य उपवन है बड़ा निराला
कभी न मुरझाये ऐसे विभिन्न महकते फूलों का
नमन-नमन-नमन
हमारे माथे की बिंदिया है हमारी हिंदी।

‘अभिमान से कहो हमारी राजभाषा ही नहीं
राष्ट्रभाषा भी हो हिंदी।
मंजू लोढ़ा, स्वरचित

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. मीनाक्षी दीक्षित जी 🏅🏆🏅

सादर नमन कलम बोलती है मंच
१०/०१/२०२२ सोमवार
विषय क्रमांक - ३८३
विषय - हिन्दी
विधा - स्वैच्छिक (दोहे)

हिन्दी में ही सार है, हिन्दी में तकरार।
हिन्दी में ही भावना, हिन्दी में ही प्यार।।०१।।

हिन्दी ही उत्थान है, हिन्दी ही सम्मान।
हिन्दी अपनी साधना, हिन्दी ही अभिमान।।०२।।

इग्लिश की बैसाखियाँ, कब छोड़ेंगे आप।
हिन्दी के जज्बात भी, क्यों लगते अभिशाप।।०३।।

हिन्दी हिन्दुस्तान में, माँग रही है भीख।
जीवन जीने के लिए, थोड़ी हिन्दी सीख।।०४।।

हिन्दी दर्दे हाल है, संस्कार बदहाल।
अँग्रेजी के गुलगुले, उड़ा रहे कंगाल।।०५।।

हिन्दी दिवस मनाइए, कल जाएँगे भूल।
हाय-हलो की भोर में, अँग्रेजी अनुकूल।।०६।।

✍️मीनाक्षी दीक्षित
भोपाल मध्यप्रदेश

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ कवि संत कुमार ' सारथि' जी 🏅🏆🏅

कलम बोलती है मंच को नमन।
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 विषय-हिंदी दिवस
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दिनांक 10-01-22

मेरे प्यारे भारत की , हिंदी भाषा है पहचान।
हिंदी पर है गर्व सभी को , भारत माता की है शान

सदा सुहागन हिंदी भाषा ,संस्कारों की है ये खान।
स्वाभिमान से ,ओतप्रोत यह मेरा प्यारा हिंदुस्तान ।
अंग्रेजी का साम्राज्य ,कुकुरमुत्ते ज्यों फैल रहा
हिमायत में पढें‌ कसीदा और स्यापा भी झेल रहा।

हिंदी की दुर्दशा देखकर शोणित मेरा खौल रहा
भारत में इंग्लिश का जादू सिर चढ़कर अब बोल रहा।
दोयम दर्जे जीने को हिंदी भाषा अभिशप्त हुई
उर्दू हिंदी में भेद करा कर ,अन्य भाषा मुक्त हुई।

संस्कारों की जननी है, हिंदी से मेरा देश महान
 राष्ट्रभाषा हिंदी पर सारा, गर्व करेगा हिन्दुस्तान।

संस्कारों की भाषा हिंदी रचनात्मकता का है भंडार
इनके कण कण में बसता है भारत माता का है प्यार। 

कवि संत कुमार ' सारथि' नवलगढ़

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ अनुजा दुबे"पूजा"जी 🏅🏆🏅

नमन मंच🙏
कलम बोलती है साहित्य समूह
विषय:- हिंदी
दिन:- सोमवार/ 10 जनवरी 2022

*हिंदी भाषा- प्यारी भाषा*

भारत है देश हमारा,और हिंदी है इसकी भाषा,
प्यारा है देश मुझको,और प्यारी है हिंदी भाषा।

अद्भुत,अलौकिक है ये,अद्वितीय है ये भाषा,
है विश्व की यह सबसे प्राचीन सिद्ध भाषा । 

है क्रांति की परिभाषा,वीरों की है यह भाषा
है स्वाभिमान इसमें,यह गर्व की परिभाषा ।।

विविधता में एकता का रूप हिंदी भाषा,
भिन्न जाति और धर्म का प्रारूप हिंदी भाषा ।।

बोलचाल की है,सीधी सरल यह भाषा,
भावों से है परिपूर्ण, सुन्दर सहज यह भाषा ।।

एक दूसरे के हॄदय को है,जोड़ती ये भाषा,
है गर्व हमे इस पर,ये प्यार की अभिलाषा।।

संस्कृति का है दर्पण,संस्कारों की ये भाषा,
हमको हमारी जान से,प्यारी है हिंदी भाषा।।

अधिकार मेरा तू है,अभिमान मेरा तू,
सब भावनाएं तुझसे,सम्मान मेरा तू।
पहचान "पूजा"की तू,तुझको नमन है हिंदी,
तुझको नमन तुझकोनमन,तुझको नमन है हिंदी।।

अनुजा दुबे"पूजा"
अप्रकाशित/पूर्णतः मौलिक
तुमसर,नागपुर(महा.)
सर्वाधिकार सुरक्षित@

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. रश्मि शुक्ल रीवा जी 🏅🏆🏅

🙏 सादर नमन मंच 🙏
विषय क्रमांक - ३८३
विषय - हिंदी
विधा - चौपाई
दिनांक - १०/०१/२०२२
स्वरचित- रश्मि शुक्ल रीवा (म.प्र)
***************************

*हिंदी*
माथे की शोभा जो बिंदी,
भारत के ललाट पर हिंदी।
हिंदी अपनी है सुखकारी,
इसमें मिली बोलियाँ सारी।।

यश हिंदी का कह नहीं पाए,
अलंकार रस छंद समाए ।
लेखक कवियों के मन भाए,
अगणित कविता गीत बनाए।।

मीठी सहज सरल है भाषा,
भावों की अनुपम परिभाषा।
हिंदी तो है शान हमारी,
सुंदर ये पहचान हमारी ।।

हिंदी में लिख के चौपाई,
आप सभी के बीच सुनाई।
हिंदी लिखे पढ़े अरु बोलें,
उन्नत की नाव राहे खोलें ।।
***
✍️ स्वरचित- रश्मि शुक्ल रीवा (म.प्र)

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. राजकुमारचौहान जी 🏅🏆🏅

आज #विश्व_हिन्दी_दिवस पर #छंदमुक्तसृजन...
दिनांक:१०/०१/२०२२
आयोजन क्रमांक:383
हिन्दी दिवस

★विश्व हिन्दी दिवस★
आज कमाल हो गया
कुछ टाईधारी आये..
कला मंच पर चढ़े
जिद पर अड़े
आयोजक खड़े
देखते रहे
पढ़े लिखे लोग थे...
दर्शक भौचक्के
रह गए हक्के बक्के
आगन्तुक शुरू हुए
गला सा संदूक निकाला
धूल झाड़कर खोला
चिथड़ों से ढकी 
एक पुस्तक निकाली
उसे पोंछकर टेबल पर रखा
अब जनता को तका
पुस्तक पर पुष्पहार रखा
एक टाईधारी बोला
हे मैन..यू नो
आज हिन्दी दिवस होता
सब इसको सैल्यूट करो
सभी खड़े होकर सिर झुकाने लगे
लग रहा था श्रद्धांजलि देने खड़े
दो मिनिट आंग्लभाषाई भाषण हुआ
फिर हिन्दी पुस्तक को कैद मिली
संदूक में सुला दिया गया
टाईधारी पढ़ेलिखे लोगों द्वारा..

--#राजकुमारचौहान
       शिवपुरी मप्र

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ अरुण ठाकर , जिन्दगी जी 🏅🏆🏅

मंच को नमन 🙏
कलम बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक : 383 

विषय : हिन्दी 
विधा : कविता 
दिनांक : 10/1/2022
" विश्व हिन्दी दिवस "
    
        " हिन्दी "
      **********

सहज सरल सुन्दर है हिन्दी ,
हिन्दी प्रीत प्यार की भाषा ।

रखती है सद्भाव सरल मन ,
आदर , आदर्श विश्वास परिभाषा ।

 ज़न ज़न की ये बोली प्यारी , 
 भाषा मधुर , नम्रता सभ्यता सारी ।

 सभ्य मानवता संस्कार निहित सब ,
जीवन दर्शन विधि विधान है सारी ।

बहुत निकट है ये ममता जीवन के ,
शब्द शब्द ये रहस्य समझाती ।

सब को ले साथ सकल ब्रह्म ,
मानवता का पाठ पढ़ाती ।

शुद्ध सच सोच विचार प्रतिपल ,
गीत सुधा रस बरसाती ।

हिन्दी है ये सब की भाषा ,
विश्व पटल विश्वास समझाती ।

           कलम ✍
       अरुण ठाकर , जिन्दगी 
       जयपुर , राजस्थान ।

स्वरचित : मौलिक 
अप्रकाशित ।

    मंच का आभार 🙏

विषय :- हिन्दी । रचनाकार :- आ. रानी कोष्टी जी 🏅🏆🏅

नमन--मंच
*हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई*
दिनांक---११-०१---२०२२
विषय----हिन्दी 
विधा-----हाइकु

*************************
**1**
मत शर्माए 
हिंदी हिन्दोस्तान की
बोलें शान से

**2**
अंत हिन्दी का
कौन कर पाएगा
मारा जाएगा 

**3**
हैं हिन्दी शब्द 
पिरोना है आसान 
भावों के मोती

**4**
सम्मान हिन्दी 
हमारा अभिमान
देश की शान

**5**
हिंदी हमारी
लगे बहुत न्यारी
जान से प्यारी

************************
रानी कोष्टी 
गुना म प्र
 स्वरचित एवं मौलिक

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. सरिता कुमार जी 🏅🏆🏅

# नमन मंच 
# कलम बोलती है मंच 
# विषय - हिंदी 
# विषय क्रमांक - ३८३

# हिंदी भाषा 

भाषाओं के मेलें में 
एक भाषा है अनमोल 
हमारी भाषा "हिंदी"
एक "प्रेम" के दस पर्याय 
प्रेम कहो या नेह 
राग कहो या अनुराग 
स्नेह कहो या प्रीत 
प्यार कहो या लगाव 
इश्क कहो या रस्क 
या कहो आशक्त ....
अंग्रेजी में है एक लफ्ज़ 
बस L O V E लव ।

पांव के है अनेकों पर्याय 
पैर कहो या चरण 
पद कहो या कदम 
अंग्रेजी में बस L E G लेग ।

आंखों को कहते हैं 
नेत्र , नयन , दृष्टि , नज़र 
लोचन , चक्षु , नैन 
अंग्रेजी में बस E Y E आई ।

स्वरचित 
सरिता कुमार 
फरीदाबाद

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. डॉ.अवधेश तिवारी "भावुक"जी 🏅🏆🏅

नमन मंच
विषय क्रमांक 383
11/01/2022
विषय-हिन्दी

विश्व हिन्दी दिवस (10 जनवरी) की हार्दिक शुभ कामनाओं
 के साथ ...

हिन्दी

भारत माता के माथे पर
शोभित सुन्दर बिन्दी है ,
सरस,सरल,मृदु शब्दों वाली
अपनी भाषा हिन्दी है ।

शब्दों का भण्डार असीमित
संस्कृति की संवाहक है,
देवनागरी लिपि वाली यह
जन-मन प्रेरणा दायक है ।

राष्ट्र-प्रगति में बने सहायक
ऐसी भाषा हिन्दी है ।
भारत माता के माथे पर
शोभित सुन्दर बिन्दी है ।

प्रचुर साहित्य, समृद्ध व्याकरण
की अद्भुत यह खान है,
भारत माता के गौरव को
देती यह पहचान है।

हर भाषा से रखे समन्वय
ऐसी भाषा हिन्दी है ,
भारत माता के माथे पर
शोभित सुन्दर बिन्दी है ।

गाँधी,सुभाष,गुरुदेव,पटेल ने
हिन्दी को सम्मान दिया ,
संविधान ने भी हिन्दी को
राज भाषा का मान दिया ।

भारत के जन-गण के मन को
गुंजित करती हिन्दी है ,
भारत माता के माथे पर
शोभित सुन्दर बिन्दी है ।

डॉ.अवधेश तिवारी "भावुक"
नई दिल्ली

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ रुचि मित्तल जी 🏅🏆🏅

#कलम_बोलती_है_साहित्य_समूह 
#क्रमांक - 383
#दिन- मंगलवार
#दिनांक - 11-01-2022
#विषय - हिंदी
#विधा- पद्य

हिंदुस्तान के मस्तक पर यह
अक्षत, चंदन, रोली है,
यह है मेरे हिंद की बिंदी
हिंदी मेरी बोली है

स्वर,व्यंजन से सजी हुई है
अलंकार श्रृंगार है......
दोहा, छंद, श्लोक, चौपाई 
इसका अनुपम संसार है

सर्वशिक्षा अभियान की
बनी ये सूत्रधार है 
भारत देश के हर बन्दे को 
इससे निष्छल प्यार है

भारतेंदु जी की ये स्नेहिल 
वाणी का सिरमौर है
इसके जैसी दूजी भाषा 
न दुनिया में और है

अडिग हिमालय से भी ऊंची
विश्व मे इसकी शान है
महादेवी और दिनकर जी के 
शब्दों की ये जान है

अवधि ब्रज भाषा और उर्दू 
इसकी प्यारी बहने हैं 
मैथिली भोजपुरी हरियाणवी
इसके सुंदर गहने हैं

संस्कृत से जन्मी है ये 
जो ऋषियों की वाणी है
इसके आगे शीश झुकाता 
भारत का हर प्राणी है

अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ 
हिंदी मेरा अभिमान है
हिंदी मेरी श्वाव श्वास में
बहती बन कर प्राण है

हिंदी मेरे राष्ट्र का गौरव 
हिंदी है मेरी पहचान
जन गण मन से होता है
मेरे भारत का गुणगान....

  ✍रुचि मित्तल
   अमरोहा(उत्तर प्रदेश)

विषय :- हिन्दी. ।रचनाकार :- आ कवि छगनलाल मुथा जी 🏅🏆🏅

#कलम_बोलती_है_साहित्य_समूह 
#विषय :- हिन्दी
विषय क्रमांक ३८३
#विधा:- स्वैच्छिक
#दिनांक- ११/०१/२०२२
***********************
हिन्दी हमारी आन हैं, हिन्दी हमारी जान हैं।
हिन्दी हमारी शान हैं, हिन्दी पर अभिमान हैं।
हम हिंद के वासी हैं, भाषा हमारी हिन्दी हैं।
भारत माता के माथे की शोभा, ये बिंदी हैं।
साहित्यकारों की लेखनी को सुहाती हिन्दी हैं।
कवियों की रचनाओं को भी प्यारी हिन्दी हैं।
भारत छोड़ो आंदोलन की भाषा भी हिन्दी थी।
स्वतंत्रता सेनानियों के रग रग में बहती हिन्दी थी।
देश रहो परदेश रहो मुथा हिन्दी को अपनाना हैं।
अपने बच्चों को हिन्दी का ज्ञान दिलाना हैं।
**************************
स्व रचित- कवि छगनलाल मुथा-सान्डेराव (ओस्ट्रेलीया)

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :-आ. अनामिका_वैश्य_आईना जी 🏅🏆🏅

विषय क्रमांक 383
शीर्षक- हिन्दी 

जीवन की अभिलाषा हिन्दी 
भावों की परिभाषा हिन्दी
हिन्दी माँ भारत की है शान
सदा करें इसका गुणगान..

माँ जैसी ही ममत्व भावना
हिन्दी है हृदय की साधना
हिन्दी से अपना स्वाभिमान
मत समझें वाचन में अपमान..

घर-समाज की पाठशाला 
हिन्दी माँ हृदय की दुशाला 
हिन्दी हिन्दू अरु हिंदुस्तान
विश्व में हिन्दी से पहचान..i

गद्य-पद्य दोहे और छंद 
चमत्कारी हैं शब्द हर चंद 
राष्ट्र का गौरव अरु शान
हिन्दी माँ रखो सब मान..

शब्द-शब्द थपकी देता है
कष्ट सभी ही हर लेता है
हिन्दी वेदना, गीत अरु तान
हिन्दी नव चेतना का वरदान..

हिन्दी के महत्त्व को पहचानें
महिमा-गरिमा जाने अरु मानें
हिन्दी माँ का जो करे अपमान 
कड़क दण्ड का हो प्रावधान.. 

वर्तनी संस्कृति आत्मा व्याकरण 
स्वर व्यंजन अस्मिता आचरण 
कवि-लेखकों की हिन्दी खान
प्रचार-प्रसार का रखिए भान.. 

#अनामिका_वैश्य_आईना
#लखनऊ

गुरुवार, 13 जनवरी 2022

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ राधा शैलेन्द्र जी 🏅🏆🏅

नमन मंच

"हिन्दी मेरी प्यारी हिन्दी"
--------------------------

मेरी हिन्दी,मेरी प्यारी हिन्दी
चाहे कुछ भी बोलूं पर जो मिठास
तुम्हारे अंदाजे बयां में है किसी और में नहीं!
मैं जब लिखती हूं तुम देवनागरी से
दिल की भाषा बन जाती हो
मेरे शब्दों की इतने प्यार से सजाती हो
की तुम्हारी भाषा हमारी राष्ट्रभाषा बन जाती है!
कौन कहता है कि मात्र एक दिन है तुम्हारा
तुम तो लोरी बन बच्चें को हर दिन सुलाती हो!
मैं खुश हूं बहुत ही खुश
क्योंकि तुम्हारे वर्चस्व का परचम
अब विश्व में भी लहरा रहा है
हिंदुस्तान की आवाज 
हर भारतीय की पहचान हो तुम
मेरी हिंदी मेरी जज्बात की आवाज हो तुम!
जब सारी भाषा मौन हो जाती है 
तुम्हारी गूंज चारों दिशाओं में गूंजती है
मंदिर की घंटी,आरती की थाली में सजी
पुष्प तुम! 
हमारी सभ्यता और संस्कृति की परिचायक तुम
हिन्दी राष्ट्र धरोहर तुम🙏

राधा शैलेन्द्र
भागलपुर

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ राकेश तिवारी "राही जी 🏅🏆🏅

जय माँ शारदे
हिन्दी 
--------------

हिंद की पहिचान- हिन्दी ।
इस वतन की शान- हिन्दी ।।
भारती माँ के मुकुट पे ,
बिन्दी का अभिमान- हिन्दी ।।

जन-गण-मन का मान- हिन्दी ।
राष्ट्र का सम्मान- हिन्दी ।।
भाषायें है प्रिय सभी पर ,
गौरव-गाथा गान- हिन्दी ।।

हिन्द की हिन्दी मेरी, इस विश्व का कल्याण है ।
इस वतन की शान है ये, मान है सम्मान है ।।
हम सभी भाषा से हिन्दी को ही ऊँचा मानते ,
हिन्दी है मेरी कलम, इसपे मुझे अभिमान है ।।

राकेश तिवारी "राही"
------------------------

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. मंजुला शर्मा जी 🏆🏅🏆

है अलंकार से सजी , बिंदी से श्रृंगार ।
हिंदी भाषा शान है , अपनाओ साभार ।।
अपनाओ साभार , मान करना है इसका ।
बोली का आधार , देश विदेश में फैली ।।
मीठे इसके गान , सहज सरस है सुनना ।।
करना इससे प्यार , राष्ट्र का अलंकार है ।।

मंजुला शर्मा

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. श्रीमती प्रेम सिंह जी 🏆🏅🏆

कलम बोलती है साहित्य समूह
दिनांक-10/1/2022
विषय-हिंदी
विधा-हाइकु छंद
विधा-हाइकु छंद

 हिंदी का ज्ञान,
सबको दे सम्मान
विश्व कल्याण।।

देवनागरी
विश्व में लिपि मान
गुणों की खान।।

हिंदी विश्व में,
भारत पहचान
राष्ट्र महान।।

हिंदी का मान,
सब करे सम्मान
हो अभिमान।।

हिंदी हमारी,
सर्वोच्च न्यारी भाषा
सबकी प्यारी।।

श्रीमती प्रेम सिंह
विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🙏🌹

विषय :- हिन्दी । रचनाकार :- आ. कुमारी चंदा देवी स्वर्णकार जी 🏆🏅🏆

#नमन मंच 
#कलम बोलती है साहित्यिक समूह
 #विषय हिंदी 
#विधा लघु कथा 
#हिंदी की महत्व

मां आप जल्दी से मुझे हिंदी पर कुछ लेख बता दीजिएगा कल हमारी स्कूल में हिंदी पर मुझे कुछ बोलना है नहीं बोलूंगा तो पनिशमेंट मिलेगा आप तो जानती हैं ना मैं इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ता हूं वहां ज्यादा हिंदी बस नहीं पढ़ाया जाता है इसलिए मुझे परेशानी होती है एक बार मैंने वहां पर हिंदी में बोल दिया था तो 1 पीरियड कक्षा के बाहर खड़ा रहा पनिशमेंट मिला था बच्चे की बात सुनकर मां कहती है मेहंदी के विषय में कुछ नहीं जानती जा अपनी दादी के पास वही हिंदी में बहुत रामायण सीता पड़ती रहती है आज कुछ बता देंगे कि क्या है हिंदी के विषय में बच्चा भागता हुआ दादी के पास जाता है दादी से बोलता है दादी मुझे जल्दी से कुछ बता दीजिए हिंदी में कल मुझे स्कूल में लेक्चर देना है नहीं तो मेरा सबके सामने इंसर्ट हो जाएगा दादी सोचती है काश यह बच्चा समझ सकता कि हिंदी हमारी कितनी ज्यादा जरूरी है और वह उसके सिर पर हाथ फिरती है हिंदी के विषय में से समझा नहीं लगती है और उसे अज्ञात रूप से वह सब मानवीय मूल्यों से विकसित करना शुरू कर देती है जो उसके लिए आवश्यक है और वह उसे बताती है कि बेटा एक दिन कि नहीं सब दिन की है बच्चे को समझ में आ जाता है वह कहता है दादी में अब तुम्हारे पास प्रतिदिन बैठकर हिंदी पढ़ लूंगा क्योंकि हिंदी हमारी माता है और हमें हिंदी इस सेवा और हिंदी से प्रेम करना बहुत जरूरी है कुमारी चंदा देवी स्वर्णकार जबलपुर मध्य प्रदेश

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' जी 🏆🏅🏆

#नमन_मंच🙏
#कलम_बोलती_है_साहित्य_समूह 
#विषय_क्रमांक-383
#विषय-#हिंदी
#विधा-#कविता
#दिनांक-#10जनवरी2022
#शीर्षक - #हिंदी_भाषा_सबसे_अच्छी
_____________________

हिंदी भाषा सबसे अच्छी,
लगती हमको प्यारी हैं।
सारे जग में देख लिया,
यह सबसे बड़ी निराली हैं।...

हिन्दोस्तां की ज़ुबान है,
भारतवंशी का अभिमान है।
प्यारें वतन की शान है,
हम सबकी पहचान है।

हिंद राष्ट्र की आशा हिंदी,
हम सब मातृभाषी है।
सारे जग में बोली जाये,
बस इसके अभिलाषी है।

गणराज्य की अधिकारिक भाषा,
हमारी संस्कृति का प्रतीक है।
राष्ट्रभक्ति को प्रेरित करती,
धारा प्रवाह में बड़ी सटीक है।

दुनिया में सम्मान है इसका,
हमें स्वाभिमान दिलाती है।
गौरव भाव जगाती सब में,
निम्न उच्च का भेद मिटाती है।

रचनाकार ..✍️
महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता'
सीकर, राजस्थान

(मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित है। मेरी यह रचना मौलिक, स्वरचित एवं अप्रकाशित है।)

विषय :- हिन्दी । रचनाकार :- आ. नृपेन्द्र कुमार चतुर्वेदी जी 🏆🏅🏆

#कलम बोलती है साहित्य समूह
 #मंच को सादर नमन।
# दो दिवसीय आयोजन
# विषय क्रमांक 383
 #विधा-- कविता।
 #विषय --हिंदी ।
#दिनांक-- 10 जनवरी 2022
#दिन--- सोमवार
्््््््््््््््््

राष्ट्रभाषा मातृ भाषा,देश का सम्मान बढ़ाती है हिन्दी ।
अभिमान स्वाभिमान,गौरव की प्रतीक है हिंद की हिंदी।
देश की आन बान शान ,सुहाग का सिंदूर है हिन्दी। चूड़ी कंगन कुंडल मुदरी ,पायल बिछिया है हिन्दी।

 हमारा प्यारा हिंदुस्तान का,सम्मान बढ़ाती है हिंदी।
विंध्य हिमाचल की चोटी का,सम्मान बढाती है हिंदी।
हिन्दी को हमने पहचाना,राष्ट्र भाषा है इसको माना।
 फिर भी है यह देश,जनाना, गुलामी का ओड़े बाना।

मानसिकता हमें अपनी अब ,खुद बदलनी चाहिए। गुलामी की जंजीरों की ,कड़ियों को तोड़ देना चाहिए।

 थोपी हुई अंग्रेजी से हमको, अब मोह त्यागना चाहिए। भाषा पराई है कह उसे अब,प्यार से छोड़ देना चाहिए।

कार्य सरकारी सब अंग्रेजी में,उनको हमें छोड़ना होगा। हिन्दी में सब कार्य संचालित, यह कानून बनाना होगा।

 मातृभाषा ,राष्ट्रभाषा,हिन्दी पर गर्व करना चाहिए। हिंदी दिवस है सौगंध ले,सब कार्य हिंदी में होना चाहिए।

 मैं यह घोषित करता हूं कि यह मेरी स्वरचित अप्रकाशित मौलिक रचना वह आपको प्रकाशन की अनुमति देता हूं।
नृपेन्द्र कुमार चतुर्वेदी
 एडवोकेट।
प्रयागराज उत्तर प्रदेश

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ नरेन्द्र श्रीवात्री स्नेह जी 🏆🏅🏆

नमन मंच
कलम बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक 383
विषय हिन्दी
विधा कविता
दिनाँक १०/१/२०२१
दिन सोमवार
संचालक आप औऱ हम

हिन्दी हमारी मातृ भाषा।
हिन्दी हमारी राज भाषा।
हिन्दी हमारी शान है।
हिन्दी हमारी जान है।
हिन्दी का मान करें।
हिन्दी में सब काम करें।
हिन्दी बोलें हिन्दी पढ़ें
हिन्दी लिखें हम।
हर प्रान्त हर जिले हर शहर
हर गाँव कस्बे में हो हिन्दी।
हिन्दी हमारी आन है
हिन्दी हमारी शान है
हिन्दी का मान करें।
हिन्दी हो घर घर की भाषा।
हिन्दी हो जन जन की भाषा।
हिन्दीका गुणगान करें।
हिन्दी का मान करें।
आज मना रहे हम,
विश्व हिन्दी दिवस।
दे रहा विश्व हिन्दी को सम्मान,
पर अपने ही घर में हो रहा अपमान।
अंग्रेजी को हम भूल न पाए ।
अब भी अंग्रेजी बोलना अपनी
शान समझते।
सिखा रहे बचपन से बच्चों को
हैलो हाय टाटा बाय बाय,
मम्मी पापा अंकल आन्टी।
भूल गए अपने संस्कार।
हिन्दी का मान बढ़ाना होगा,
हिन्दी को अंतराष्ट्रीय भाषा ,
कामान दिलाना होगा।

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित मौलिक रचना।
नरेन्द्र श्रीवात्री स्नेह
बालाघाट म. प्र.

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. कंचन वर्मा जी 🏆🏅🏆

#सादर_नमन_मंच
#कलम_बोलती_है_साहित्य_समूह 
दिनांक - 10/01/2022
वार - सोमवार
विषय - विश्व हिंदी दिवस
विधा - स्वैच्छिक

हिंद देश की शान है हिंदी, हम सबकी पहचान है हिंदी।
कभी संज्ञा कभी विशेषण, कभी सर्वनाम है हिंदी।
देवनागरी लिपि है सुंदर, सरल सरस नाम है हिंदी।
रस छंद अलंकार सुंदर,तत्सम तद्भव का मान है हिंदी
है राज्य का ललाम मस्तक, भाषाओं मे महान है हिंदी।
सीधी सरल व्याकरण, जन जन में अभिराम है हिंदी।
हिंदी ने सबको अपनाया, शब्द अनेक भाषा से पाया।
हिल मिल जाती हर भाषा से, सबकी ही शान है हिंदी।
समृद्ध शब्द कोश का सागर, अति सुंदर है यह भाषा।
सफल हो लेखनी सब की, लेखन में अभिराम है हिंदी।

स्वरचित एवं मौलिक
कंचन वर्मा 
शाहजहांपुर 
उत्तर प्रदेश

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :-आ. ज्योति सिंह जी 🏆🏅🏆

नमन मंच
बिषय - हिंदी दिवस
विधा - कविता

मातृरूपेण हिंदी
जबसे मैंने होश संभाला,
तुने भाषा से परिचय करवाया,
संस्कारों का जननी बन,
मुझको मुझसे मिलवाया।
तु हर कालखंड की साक्षी,
ऋषि-मुनियों की वाणी,
वेद-ऋचाओं की जननी,
हिंदवासियों की शान है।
देश-विदेशों में पहचान है।
स्वर-व्यंजनों से सुशोभित,
रस,छंद,अलंकार से सुसज्जित,
गीत-गजल की मधूर शान है,
तुलसी की चौपाई में,
कबीरा की वाणी में,
मीरा, रसखान, सुर की भक्ति में,
भारतेन्दु, निराला, दिनकर
निराला, महादेवी की कविता में
तुझसे ही अभिमान है।
हे मातृरूपेण हिंदी
जबतक भारतवर्ष रहेगा,
तेरा स्वभिमान रहेगा ।

ज्योति सिंह
स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. ज्योति नव्या श्री 🏆🏅🏆

नमन मंच
कलम बोलती है साहित्य समूह
क्रमांक:-383
दिनांक-10/1/ 2022
विधा :-काव्य
विषय:-हिंदी
शीर्षक:- भारत की मुख बिंदी
-------------------------------------

अपनी पहचान को,
      भूल न जाना शान को,
भारत की मुख बिंदी,
       आत्म स्वाभिमान को।

देश की सरताज को,
      वेद पुराण की भाष को,
सदा कंठो में सजाना,
       मान अभिमान को।

छूती हिंदी हृदय को
      झलकाती संस्कृति को,
स्तुति गुणगान कर,
       दिखाना जहान को।

देवनागरी लिपि को,
       सुंदर प्रतिलिपि को,
उमंग संग चढ़ाना,
       नित्य परवान को।

       ज्योति कुमारी
  रामगढ़, झारखण्ड
घोषणा:-मौलिक/प्रकाशित

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. नलिनी बाजपेयी जी 🏆🏅🏆

नमन-मंच
   दैनिक विषय क्रमांक-383
   विषय-विश्व हिंदी दिवस
       दिनाँक-10.01.22
*~~~~~~~~~~~~~~~~*
           *सुगम सरल हिंदी*

सुगम,सरल,मनोहर 
लगती हिंदी बोली,
हिन्दोस्तां के लोगों की 
अभिव्यक्ति से भरती झोली।

सबके मन में भाव भरे 
भारतेंदु की निज भाषा,
जन-जन के विचारों और 
विकास की गढ़ती परिभाषा।

हिंदी का मान बढ़े,विश्व 
हिंदी दिवस पर ऐसी आशा,
निज भाषा माँ भारती के भाल पर 
अमर बिंदी से चमके है प्रत्याशा।

संस्कृत से जन्मी,मीरा,
रसखान जायसी ने नेह से लपेटी,
भारत की आन,बान,शान 
संग उत्थान को समेटी।

सिरमौर बने फिर विश्व गुरु 
का खिताब मिले ऐसे भाव अर्पित,
उर को करें झँकृत,कालजयी 
रचनाओं को सृजन कर करें समर्पित।

      नलिनी बाजपेयी
  संबलपुर,कांकेर,(छ.ग.)

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ अल्का मीणा जी 🏅🏆🏅🏆

नमन मंच कलम बोलती है 🙏🏻
विषय-हिन्दी
विधा-स्वैच्छिक
दिनांक-10/1/22
दिवस-सोमवार

सादर अभिवादन 🙏🏻

यहां की माटी मेरी शान
अभिमान यहां की भाषा है,
देश है मेरा भारत महान
मेरी हिंदी मेरा अभिमान।

तिरंगा झंडा है मेरा मान 
अनेकता में एकता यहां की परिभाषा है,
हर भारतवासी करे गुमान
मेरी हिंदी मेरा अभिमान।

भिन्न भिन्न हैं प्रांत यहां के
भिन्न भिन्न है पहनावा,
भिन्न भिन्न है बोली भाषा
भिन्न भिन्न है खान पान,
प्रांत क्षेत्र से.... सबसे ऊपर
मेरी हिंदी मेरा अभिमान।

हिंद देश के हम हैं निवासी
दिल से करो सब सम्मान,
हिंदी से पहचान हमारी
मेरी हिंदी मेरा अभिमान।

अल्का मीणा
नई दिल्ली
स्वरचित एवं मौलिक रचना

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ दामोदर मिश्र बैरागी जी 🏅🏆🏅

#कलम बोलती है साहित्य मंच को नमन।
#क्रमांक : 383
#दिन : सोमवार से मंगलवार तक।
#दिनांक : 10 से 11 जनवरी 2021.
#विषय : हिंदी।
#विधा : सायली छंद।

           ।रचना।

स्वाभिमान,
मातृभाषा पर,
महता दुनिया जाना,
हिंदी दिवस,
मनाया।

हिंदी,
बोल चाल,
की भाषा रही,
सदा पुरातन,
अपनी।

भारतेंदु,
ने सजाया,
तुलसी, प्रेमचंद, दिनकर,
इसके विद्वान,
रचनाकार।

हिंदी,
अपनी शान,
 दुनिया ने देखा,
सनातन संस्कृति,
महान।

सम्मानित,
मातृ सम्मान,
प्रभु करे हो,
इसकी सार्वभौमिक,
विस्तार।

                स्वरचित मौलिक और अप्रकाशित।

                दामोदर मिश्र बैरागी,
                मेदनीनगर पलामू झारखंड।

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ अर्चना सिंह 'जया' जी 🏅🏆🏅

# नमन मंच 
# विषय- हिंदी 
# क्रमांक-383
# दिनांक- 10-1-2022 
🌷✍ 
 हिन्दी हैं हम (कविता )

देवनागरी लिपि है हम सब का अभिमान,

हिन्दी भाषी का आगे बढ़कर करो सम्मान।

बंद दीवारों में ही न करना इस पर विचार,

घर-द्वार से बाहर भी कायम करने दो अधिकार।

कोकिला-सी मधुर है, मिश्री-सी हिन्दी बोली,

उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम सबकी हमजोली।

भिन्नता में भी है, यह सदा एकता दर्शाती,

लाखों-करोंड़ों भारतीय दिलों में जगह बनाती।

दोहा, कविता, कहानी, उपन्यास, छंद,

हिन्दी भाषी कर लो अपनी आवाज बुलंद।

स्वर-व्यंजन की सुंदर है यह वर्णशाला,

सुर संगम-सी मनोरम होती वर्णमाला।

निराला, दिनकर, गुप्त, पंत, सुमन,

जिनसे महका है, हिन्दी का शोभित चमन।

आओ तुम करो समर्पित अपना तन मन,

सींचो बगिया, चहक उठे हिन्दी से अपना वतन।

"हिंदी हैं हम"- गीत सारा हिन्दुस्तान गाता,

आत्मीयता, व्यवहारिकता है हमें दर्शाता।

"हिंदी राष्ट्र धरोहर है" सदा हैं इसके आभारी,

देश-विदेश में पहचान कायम करती, हिंद प्यारी।

           ------ अर्चना सिंह 'जया'
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. नीरू बंसल जी 🏅🏆🏅

नमन मंच कलम बोलती है
विषय हिंदी
विधा स्वतन्त्र
दिनांक 10/1/2022
नमन मंच

सारा संसार मना रहा है
आज हिंदी दिवस हिन्दी
तो रस की खान हमारी
हिंदी की करवाती पहचान
हम है हिन्दुस्तानी भाषा है
हमारी हिन्दी ही हम सबको
है अपनी भाषा पर सबसे ही
ज्यादा बोली जाती मान रही
हमारा है सबको भाती है हिन्दी
लेकिन आज के इस नये दौर
में बच्चे भटक रहे हैं छोड़ कर
अपनी मातृभाषा को विदेशी
सभ्यता की ओर बढ़ रहे हैं।

नीरू बंसल हनुमान गढ राजस्थान स्वरचित

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. प्रभात राजपूत''राज''गोंण्डवी जी 🏅🏆🏅

जय मां शारदे
मंच को नमन
#कलम बोलती साहित्य समूह
#दिनांक :- १०-०१-२०२२
#वार :- सोमवार
#विषय :- विश्व हिंदी दिवस
#विधा:- स्वैच्छिक

हिंदी भाषा मेरी मातृभाषा है, मेरी जननी है, हिंदी भाषा के बगैर हम अधूरे हैं। हिंदी हमारी आन, बान, शान और जग में महान भाषा है‌। यह हमें सारे विश्व में गौरव प्रदान कर आती है और हमें शांति का पाठ पढ़ाती है। हिंदी भाषा निरक्षर को साक्षर बनाकर सारे जग में महान बनाती है, बिना ज्ञान के हम पशु के समान हैं, और ज्ञान महेश सिर्फ भाषा से ही मिलता है, हमारी हिंदी भाषा विश्व प्रसिद्ध भाषा है। और भाषाओं की गुरु हमारी हिंदी भाषा मानी जाती है, विश्व गुरु अर्थात जगतगुरु मातृभाषा अर्थात हमारी हिंदी भाषा ही है। हिंदी भाषा हमें स्वाभिमान सिखाती है, हमारा अभिमान बचाती है, और हमें एक पथ पर पर ले चलकर हमें महान बनाती है।

हिंदी भाषा हमें संस्कार सिखाती है, शिष्टाचार सिखाती है, तहजीब सिखाती है, एक दूसरे से बात करने का तरीका सिखाती है, बड़ों का आदर करना और छोटों से प्यार करना सिखाती है। हिंदी भाषा हमारे जीवन में एक मिठास से एहसास बोलती है जिसे हम अपने शब्दों के माध्यम से दूसरों के समक्ष रख सकते हैं। हिंदी भाषा हमें गीत, ग़ज़ल और कविता का माध्यम से सुर का आनंद भी कराती है, जिससे हम आत्मविभोर होकर हमारी आत्मा को शांति मिलती है और हम मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। हिंदी भाषा हमारी मातृभाषा है इसे हमें नहीं भूलना चाहिए यह हमें सारे जग को बताना चाहिए और अपने आसपास के लोगों को इस के ज्ञान के बारे में बताना चाहिए जिससे हम अपनी मातृभाषा को अपनी मां के समान मानकर हमेशा, हमेशा के लिए पूजा करें।

स्वरचित रचना
प्रभात राजपूत''राज''गोंण्डवी
 गोंडा, उत्तर प्रदेश

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. सीमा शर्मा जी 🏅🏆🏅

नमन मंच 
कलम बोलती है साहित्य समूह 
विषय -हिंदी 
दिन -सोमवार
 दिनांक -10 /1/2022
 क्रमांक -383

स्वर्ग से उतरी शिव के शीश पर 
चंद्र सी है अपनी हिंदी 
पावन है इसकी गाथाएं 
है पवित्र अपनी हिंदी
स्वर्ग से उतरी शिव के शीश पर.....

रामायण का ज्ञान है हिंदी
गीता वेद पुराण है हिंदी 
हिंदू हिंदी सिंधु हिंदी 
देवनागरी लिपि है हिंदी 
स्वर्ग से उतरी शिव के शीश पर चंद्र सी है .....

भारत का संविधान है हिंदी 
जन-जन की पहचान है हिंदी 
बालक के मुंह से जो निकले 
वह भोली मुस्कान है हिंदी
 स्वर्ग से उतरी शिव के शीश पर चंद्र सी है......
रह जाते हम मूड अगर ना होती हिंदी
जैसे नारी का श्रृंगार अधूरा हो बिन बिंदी
स्वर्ग से उतरी शिव के शीशे पर चँद्र सी है अपनी हिंदी।।

स्वरचित एवं मौलिक 
सीमा शर्मा कालापीपल

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘ जी 🏅🏆🏅

नमन मंच 
कलम_ बोलती है 
10.1.2022
सोमवार 
विषय क्रमांक - 383
विषय - हिन्दी 
विधा - गीत ( स्वैच्छिक )

         “ हिन्दी “

हिन्द देश की भाषा हिन्दी,हिन्दू हिन्दुस्तान है 
मातृभूमि की भाषा हिन्दी,भारत की पहचान है।।

विश्व पटल पर धूम मचाती,
सबके ही मन को है भाती 
नव विहान सी है मुसकाती
यही हमारी जीवन थाती
सदियों से बोली जाती है,
भारत का अभिमान है 
मातृभूमि की भाषा हिन्दी,
भारत की पहचान है ।।

भाषा अपनी अजर-अमर है
सबका हित ही सर्वोपरि है 
बाँध रही है एक सूत्र में
प्रति पल सुरभित नया सफ़र है
भावों की अभिनव अभिव्यक्ति,
मधुरिम-मोहक गान है
मातृभूमि की भाषा हिन्दी, 
भारत की पहचान है।।

जात -पाँत का भेद नहीं है
अपनाया जो लगा सही है
तुलसी-सूर,रहीम,कबीरा
मीरा और रसखान यहीं है 
पंत,प्रसाद,निराला ही तो, 
देश की अपनी शान हैं
मातृभूमि की भाषा हिन्दी, 
भारत की पहचान है ।। 

स्वरचित 
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘ 
फ़रीदाबाद, हरियाणा

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. बीना नौडियाल खंडूरी जी 🏅🏆🏅

नमन् साथियों🙏
जय माँ शारदे 🙏
कलम बोलती है साहित्य समूह... 
दिनांक.. १०/१/२०२२.
विषय.... " हिन्दी "
विधा... लेख.

जैसा कि आप सभी को विदित है , कि आज विश्व हिन्दी दिवस है । 
    हमें अपनी हिन्दी भाषा पर अभिमान है, गर्व है। 
 हम अपने बच्चों की शिक्षा, भले ही इंग्लिश मीडियम में करवायें, पर हमें अपने बच्चों को हिन्दी भाषावादी ही बनाना चाहिए, मैं मानती हूँ, कि इंटरनेशनल भाषा जो कि इंग्लिश है, उसकी शिक्षा लेना व अपने बच्चों को दिलवाना अति आवश्यक है, कार्यक्षेत्र के लिए, विदेश में कार्य करने हेतु या हमारे व्यवसाय के लिए , बेशक हमें अच्छी इंग्लिश आनी चाहिए, परन्तु हम इंग्लिश भाषा सीखते ही, अपने हिन्दुस्तानियों के साथ भी इंग्लिश में ही बात करना गौरवान्वित होते हैं, कि हमें तो अच्छी इंग्लिश आती है, उसको तो इंग्लिश आती ही नहीं, और हम अपने को " वेल एजुकेटेड " समझने लगते हैं। 
       इंग्लिश का प्रयोग वहाँ पर किया जाना चाहिए, जहाँ पर अतिआवश्यक हो, अपने हिन्दुस्तानियों के सामने इंग्लिश भाषा बोलकर "शो ऑफ" करने की जरूरत क्यों 
पड़ती है? पड़नी तो नहीं चाहिए । 
        मैं पिछले बीस साल आबू धाबी ( यू.ए.ई.) रहीं हूँ, 
वहाँ पर सभी स्थानीय अपनी भाषा में ही बोलते हैं, यहाँ तक कि, जिन्हें वहाँ पर अपना व्यवसाय करना होता है, उन्हें उनकी स्थानीय भाषा आनी चाहिए, वहाँ के दुकानदार अरबी भाषा का प्रयोग करते हैं, स्थानीय नागरिकों के साथ, क्योंकि वो अपनी ही भाषा में सामान खरीदेंगें, बात करते हैं। 
   तो फिर हम अपनों के साथ अपनी ही भाषा में बात करने में हिचकिचाते क्यों हैं, क्योंकि हम इंग्लिश मीडियम से शिक्षा ग्रहण कर लेते हैं क्या इसलिए???? 
 अंत में, मैं तो यही कहूँगी, कि मुझे तो अपनी " हिन्दी भाषा " में गर्व है अभिमान है ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। 
जयहिंद, जय भारत🇮🇳..... 

मेरी कलम, मेरे विचार... 
बीना नौडियाल खंडूरी पूर्व अध्यापिका.
देहरादून...

रचनाकार :- आ. संगीता चमोली जी

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