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गुरुवार, 13 जनवरी 2022

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. ज्योति नव्या श्री 🏆🏅🏆

नमन मंच
कलम बोलती है साहित्य समूह
क्रमांक:-383
दिनांक-10/1/ 2022
विधा :-काव्य
विषय:-हिंदी
शीर्षक:- भारत की मुख बिंदी
-------------------------------------

अपनी पहचान को,
      भूल न जाना शान को,
भारत की मुख बिंदी,
       आत्म स्वाभिमान को।

देश की सरताज को,
      वेद पुराण की भाष को,
सदा कंठो में सजाना,
       मान अभिमान को।

छूती हिंदी हृदय को
      झलकाती संस्कृति को,
स्तुति गुणगान कर,
       दिखाना जहान को।

देवनागरी लिपि को,
       सुंदर प्रतिलिपि को,
उमंग संग चढ़ाना,
       नित्य परवान को।

       ज्योति कुमारी
  रामगढ़, झारखण्ड
घोषणा:-मौलिक/प्रकाशित

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. नलिनी बाजपेयी जी 🏆🏅🏆

नमन-मंच
   दैनिक विषय क्रमांक-383
   विषय-विश्व हिंदी दिवस
       दिनाँक-10.01.22
*~~~~~~~~~~~~~~~~*
           *सुगम सरल हिंदी*

सुगम,सरल,मनोहर 
लगती हिंदी बोली,
हिन्दोस्तां के लोगों की 
अभिव्यक्ति से भरती झोली।

सबके मन में भाव भरे 
भारतेंदु की निज भाषा,
जन-जन के विचारों और 
विकास की गढ़ती परिभाषा।

हिंदी का मान बढ़े,विश्व 
हिंदी दिवस पर ऐसी आशा,
निज भाषा माँ भारती के भाल पर 
अमर बिंदी से चमके है प्रत्याशा।

संस्कृत से जन्मी,मीरा,
रसखान जायसी ने नेह से लपेटी,
भारत की आन,बान,शान 
संग उत्थान को समेटी।

सिरमौर बने फिर विश्व गुरु 
का खिताब मिले ऐसे भाव अर्पित,
उर को करें झँकृत,कालजयी 
रचनाओं को सृजन कर करें समर्पित।

      नलिनी बाजपेयी
  संबलपुर,कांकेर,(छ.ग.)

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ अल्का मीणा जी 🏅🏆🏅🏆

नमन मंच कलम बोलती है 🙏🏻
विषय-हिन्दी
विधा-स्वैच्छिक
दिनांक-10/1/22
दिवस-सोमवार

सादर अभिवादन 🙏🏻

यहां की माटी मेरी शान
अभिमान यहां की भाषा है,
देश है मेरा भारत महान
मेरी हिंदी मेरा अभिमान।

तिरंगा झंडा है मेरा मान 
अनेकता में एकता यहां की परिभाषा है,
हर भारतवासी करे गुमान
मेरी हिंदी मेरा अभिमान।

भिन्न भिन्न हैं प्रांत यहां के
भिन्न भिन्न है पहनावा,
भिन्न भिन्न है बोली भाषा
भिन्न भिन्न है खान पान,
प्रांत क्षेत्र से.... सबसे ऊपर
मेरी हिंदी मेरा अभिमान।

हिंद देश के हम हैं निवासी
दिल से करो सब सम्मान,
हिंदी से पहचान हमारी
मेरी हिंदी मेरा अभिमान।

अल्का मीणा
नई दिल्ली
स्वरचित एवं मौलिक रचना

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ दामोदर मिश्र बैरागी जी 🏅🏆🏅

#कलम बोलती है साहित्य मंच को नमन।
#क्रमांक : 383
#दिन : सोमवार से मंगलवार तक।
#दिनांक : 10 से 11 जनवरी 2021.
#विषय : हिंदी।
#विधा : सायली छंद।

           ।रचना।

स्वाभिमान,
मातृभाषा पर,
महता दुनिया जाना,
हिंदी दिवस,
मनाया।

हिंदी,
बोल चाल,
की भाषा रही,
सदा पुरातन,
अपनी।

भारतेंदु,
ने सजाया,
तुलसी, प्रेमचंद, दिनकर,
इसके विद्वान,
रचनाकार।

हिंदी,
अपनी शान,
 दुनिया ने देखा,
सनातन संस्कृति,
महान।

सम्मानित,
मातृ सम्मान,
प्रभु करे हो,
इसकी सार्वभौमिक,
विस्तार।

                स्वरचित मौलिक और अप्रकाशित।

                दामोदर मिश्र बैरागी,
                मेदनीनगर पलामू झारखंड।

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ अर्चना सिंह 'जया' जी 🏅🏆🏅

# नमन मंच 
# विषय- हिंदी 
# क्रमांक-383
# दिनांक- 10-1-2022 
🌷✍ 
 हिन्दी हैं हम (कविता )

देवनागरी लिपि है हम सब का अभिमान,

हिन्दी भाषी का आगे बढ़कर करो सम्मान।

बंद दीवारों में ही न करना इस पर विचार,

घर-द्वार से बाहर भी कायम करने दो अधिकार।

कोकिला-सी मधुर है, मिश्री-सी हिन्दी बोली,

उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम सबकी हमजोली।

भिन्नता में भी है, यह सदा एकता दर्शाती,

लाखों-करोंड़ों भारतीय दिलों में जगह बनाती।

दोहा, कविता, कहानी, उपन्यास, छंद,

हिन्दी भाषी कर लो अपनी आवाज बुलंद।

स्वर-व्यंजन की सुंदर है यह वर्णशाला,

सुर संगम-सी मनोरम होती वर्णमाला।

निराला, दिनकर, गुप्त, पंत, सुमन,

जिनसे महका है, हिन्दी का शोभित चमन।

आओ तुम करो समर्पित अपना तन मन,

सींचो बगिया, चहक उठे हिन्दी से अपना वतन।

"हिंदी हैं हम"- गीत सारा हिन्दुस्तान गाता,

आत्मीयता, व्यवहारिकता है हमें दर्शाता।

"हिंदी राष्ट्र धरोहर है" सदा हैं इसके आभारी,

देश-विदेश में पहचान कायम करती, हिंद प्यारी।

           ------ अर्चना सिंह 'जया'
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. नीरू बंसल जी 🏅🏆🏅

नमन मंच कलम बोलती है
विषय हिंदी
विधा स्वतन्त्र
दिनांक 10/1/2022
नमन मंच

सारा संसार मना रहा है
आज हिंदी दिवस हिन्दी
तो रस की खान हमारी
हिंदी की करवाती पहचान
हम है हिन्दुस्तानी भाषा है
हमारी हिन्दी ही हम सबको
है अपनी भाषा पर सबसे ही
ज्यादा बोली जाती मान रही
हमारा है सबको भाती है हिन्दी
लेकिन आज के इस नये दौर
में बच्चे भटक रहे हैं छोड़ कर
अपनी मातृभाषा को विदेशी
सभ्यता की ओर बढ़ रहे हैं।

नीरू बंसल हनुमान गढ राजस्थान स्वरचित

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. प्रभात राजपूत''राज''गोंण्डवी जी 🏅🏆🏅

जय मां शारदे
मंच को नमन
#कलम बोलती साहित्य समूह
#दिनांक :- १०-०१-२०२२
#वार :- सोमवार
#विषय :- विश्व हिंदी दिवस
#विधा:- स्वैच्छिक

हिंदी भाषा मेरी मातृभाषा है, मेरी जननी है, हिंदी भाषा के बगैर हम अधूरे हैं। हिंदी हमारी आन, बान, शान और जग में महान भाषा है‌। यह हमें सारे विश्व में गौरव प्रदान कर आती है और हमें शांति का पाठ पढ़ाती है। हिंदी भाषा निरक्षर को साक्षर बनाकर सारे जग में महान बनाती है, बिना ज्ञान के हम पशु के समान हैं, और ज्ञान महेश सिर्फ भाषा से ही मिलता है, हमारी हिंदी भाषा विश्व प्रसिद्ध भाषा है। और भाषाओं की गुरु हमारी हिंदी भाषा मानी जाती है, विश्व गुरु अर्थात जगतगुरु मातृभाषा अर्थात हमारी हिंदी भाषा ही है। हिंदी भाषा हमें स्वाभिमान सिखाती है, हमारा अभिमान बचाती है, और हमें एक पथ पर पर ले चलकर हमें महान बनाती है।

हिंदी भाषा हमें संस्कार सिखाती है, शिष्टाचार सिखाती है, तहजीब सिखाती है, एक दूसरे से बात करने का तरीका सिखाती है, बड़ों का आदर करना और छोटों से प्यार करना सिखाती है। हिंदी भाषा हमारे जीवन में एक मिठास से एहसास बोलती है जिसे हम अपने शब्दों के माध्यम से दूसरों के समक्ष रख सकते हैं। हिंदी भाषा हमें गीत, ग़ज़ल और कविता का माध्यम से सुर का आनंद भी कराती है, जिससे हम आत्मविभोर होकर हमारी आत्मा को शांति मिलती है और हम मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। हिंदी भाषा हमारी मातृभाषा है इसे हमें नहीं भूलना चाहिए यह हमें सारे जग को बताना चाहिए और अपने आसपास के लोगों को इस के ज्ञान के बारे में बताना चाहिए जिससे हम अपनी मातृभाषा को अपनी मां के समान मानकर हमेशा, हमेशा के लिए पूजा करें।

स्वरचित रचना
प्रभात राजपूत''राज''गोंण्डवी
 गोंडा, उत्तर प्रदेश

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. सीमा शर्मा जी 🏅🏆🏅

नमन मंच 
कलम बोलती है साहित्य समूह 
विषय -हिंदी 
दिन -सोमवार
 दिनांक -10 /1/2022
 क्रमांक -383

स्वर्ग से उतरी शिव के शीश पर 
चंद्र सी है अपनी हिंदी 
पावन है इसकी गाथाएं 
है पवित्र अपनी हिंदी
स्वर्ग से उतरी शिव के शीश पर.....

रामायण का ज्ञान है हिंदी
गीता वेद पुराण है हिंदी 
हिंदू हिंदी सिंधु हिंदी 
देवनागरी लिपि है हिंदी 
स्वर्ग से उतरी शिव के शीश पर चंद्र सी है .....

भारत का संविधान है हिंदी 
जन-जन की पहचान है हिंदी 
बालक के मुंह से जो निकले 
वह भोली मुस्कान है हिंदी
 स्वर्ग से उतरी शिव के शीश पर चंद्र सी है......
रह जाते हम मूड अगर ना होती हिंदी
जैसे नारी का श्रृंगार अधूरा हो बिन बिंदी
स्वर्ग से उतरी शिव के शीशे पर चँद्र सी है अपनी हिंदी।।

स्वरचित एवं मौलिक 
सीमा शर्मा कालापीपल

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘ जी 🏅🏆🏅

नमन मंच 
कलम_ बोलती है 
10.1.2022
सोमवार 
विषय क्रमांक - 383
विषय - हिन्दी 
विधा - गीत ( स्वैच्छिक )

         “ हिन्दी “

हिन्द देश की भाषा हिन्दी,हिन्दू हिन्दुस्तान है 
मातृभूमि की भाषा हिन्दी,भारत की पहचान है।।

विश्व पटल पर धूम मचाती,
सबके ही मन को है भाती 
नव विहान सी है मुसकाती
यही हमारी जीवन थाती
सदियों से बोली जाती है,
भारत का अभिमान है 
मातृभूमि की भाषा हिन्दी,
भारत की पहचान है ।।

भाषा अपनी अजर-अमर है
सबका हित ही सर्वोपरि है 
बाँध रही है एक सूत्र में
प्रति पल सुरभित नया सफ़र है
भावों की अभिनव अभिव्यक्ति,
मधुरिम-मोहक गान है
मातृभूमि की भाषा हिन्दी, 
भारत की पहचान है।।

जात -पाँत का भेद नहीं है
अपनाया जो लगा सही है
तुलसी-सूर,रहीम,कबीरा
मीरा और रसखान यहीं है 
पंत,प्रसाद,निराला ही तो, 
देश की अपनी शान हैं
मातृभूमि की भाषा हिन्दी, 
भारत की पहचान है ।। 

स्वरचित 
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘ 
फ़रीदाबाद, हरियाणा

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. बीना नौडियाल खंडूरी जी 🏅🏆🏅

नमन् साथियों🙏
जय माँ शारदे 🙏
कलम बोलती है साहित्य समूह... 
दिनांक.. १०/१/२०२२.
विषय.... " हिन्दी "
विधा... लेख.

जैसा कि आप सभी को विदित है , कि आज विश्व हिन्दी दिवस है । 
    हमें अपनी हिन्दी भाषा पर अभिमान है, गर्व है। 
 हम अपने बच्चों की शिक्षा, भले ही इंग्लिश मीडियम में करवायें, पर हमें अपने बच्चों को हिन्दी भाषावादी ही बनाना चाहिए, मैं मानती हूँ, कि इंटरनेशनल भाषा जो कि इंग्लिश है, उसकी शिक्षा लेना व अपने बच्चों को दिलवाना अति आवश्यक है, कार्यक्षेत्र के लिए, विदेश में कार्य करने हेतु या हमारे व्यवसाय के लिए , बेशक हमें अच्छी इंग्लिश आनी चाहिए, परन्तु हम इंग्लिश भाषा सीखते ही, अपने हिन्दुस्तानियों के साथ भी इंग्लिश में ही बात करना गौरवान्वित होते हैं, कि हमें तो अच्छी इंग्लिश आती है, उसको तो इंग्लिश आती ही नहीं, और हम अपने को " वेल एजुकेटेड " समझने लगते हैं। 
       इंग्लिश का प्रयोग वहाँ पर किया जाना चाहिए, जहाँ पर अतिआवश्यक हो, अपने हिन्दुस्तानियों के सामने इंग्लिश भाषा बोलकर "शो ऑफ" करने की जरूरत क्यों 
पड़ती है? पड़नी तो नहीं चाहिए । 
        मैं पिछले बीस साल आबू धाबी ( यू.ए.ई.) रहीं हूँ, 
वहाँ पर सभी स्थानीय अपनी भाषा में ही बोलते हैं, यहाँ तक कि, जिन्हें वहाँ पर अपना व्यवसाय करना होता है, उन्हें उनकी स्थानीय भाषा आनी चाहिए, वहाँ के दुकानदार अरबी भाषा का प्रयोग करते हैं, स्थानीय नागरिकों के साथ, क्योंकि वो अपनी ही भाषा में सामान खरीदेंगें, बात करते हैं। 
   तो फिर हम अपनों के साथ अपनी ही भाषा में बात करने में हिचकिचाते क्यों हैं, क्योंकि हम इंग्लिश मीडियम से शिक्षा ग्रहण कर लेते हैं क्या इसलिए???? 
 अंत में, मैं तो यही कहूँगी, कि मुझे तो अपनी " हिन्दी भाषा " में गर्व है अभिमान है ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। 
जयहिंद, जय भारत🇮🇳..... 

मेरी कलम, मेरे विचार... 
बीना नौडियाल खंडूरी पूर्व अध्यापिका.
देहरादून...

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. निभा राजीव जी 🏅🏆🏅

नमन मंच 
#कलम_बोलती_है_साहित्य_समूह 
#विषय: हिन्दी
#दिनांक:10/01/22

हिन्दी दिवस की शुभकामनायें🙏🏻🙏🏻💐💐
        
* हिन्दी *  
(विधा: मुक्तक; 
मापनी: 1222 1222 1222 1222)

अखिल संसार में जगमग, सदा द्युतिमान हिंदी है, 
गगन की नाप ले सीमा, सतत अनुमान हिंदी है,
यही संस्कृत सुता, अरु देश की दुर्लभ धरोहर है, 
सभी भाषा परख ले थाम, अनुसंधान हिंदी है।

हमारी राष्ट्रभाषा, देश का अभिमान हिंदी है,
सिखाए एकता के गीत , मोहक तान हिंदी है,
पदों अरु गद्य,छंदों से, अलंकृत साज है करती, 
सहज सुगठित मृदुलता से, सिखाती ज्ञान हिंदी है।

दिखाती राह गुरु बनकर, भरे संज्ञान हिंदी है,
हमें है गर्व हम सब की, बनी पहचान हिंदी है,
बजा परदेश में डंका, झुका सिर मान हैं करते,
सुनाए जो जगत सारा, वही गुणगान हिंदी है।

सजी जो हिंद के मुख पर, वही मुस्कान हिंदी है, 
मधुर प्राचीन भाषा, देश का सम्मान हिंदी है, 
मगर अब लोग अंग्रेजी, अधर रख गर्व करते हैं,
सदा अब देश में अपने, सहे अपमान हिंदी है।

मिले शुचि प्रीत अपनापन जहाँ, वो स्थान हिंदी है,
हमारे देश की प्रभुता और उत्थान हिंदी है,
करो सेवा सदा इसकी, बनो अस्तित्व के रक्षक,
यही पूजा, यही वंदन, हमारा मान हिंदी है।

निभा राजीव
सिन्दरी, धनबाद, झारखंड
स्वरचित और मौलिक रचना

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. ज्योति महाजन जी 🏅🏆🏅

#नमन मंच
#कलम बोलती है साहित्य समूह
#विषय क्रमांक 383
#विषय हिंदी
#विधा स्वैच्छिक
#दिनांक 10/1/22

हिंद देश की हिंदी तुम
रहती सब के दिलों में तुम
संस्कृत से उद्गम हुआ तुम्हारा
व्याकरण शास्त्र ने और निखारा।

विश्व स्तर पर तुम्हारी पहचान
तुम से ही भारत का मान
वैज्ञानिक लिपि का सर पर ताज
शब्दकोश से भरा भंडार।

भविष्य की भाषा कहलाती तुम
साहित्य की गरिमा बढ़ाती तुम
अपनत्व का बोध कराती तुम
जन-जन के हृदय में समाती तुम।

एकता के सूत्र में बांधती तुम
कितने ही कृत्य संवारती तुम
रसखान, सूरदास, प्रेमचंद, निराला
इनकी रचनाओं की जान हो तुम।

मीरा की भक्ति है तुमसे
सुभद्रा की राष्ट्रीय चेतना तुमसे
महादेवी की प्रचलित रचनाओं का
सबसे सुंदर आधार हो तुम।

मीठी हो ,प्यारी हो करणप्रिया
दोहा ,मुक्तक ,चौपाई ,सोरठा
साहित्यिक विशेषताओं से भरी हो तुम
लेखनी में मेरी पहचान हो तुम।

ह्रदय से नमन है मेरा तुमको
इसको दिल से स्वीकारना तुम
इसको दिल से स्वीकारना तुम।

स्वरचित एवं मौलिक🌹
ज्योति महाजन
गाज़ियाबाद

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. आरती सिरसाट जी 🏅🏆🏅

नमम मंच
#कलम_बोलती_है 
#विषय:- हिन्दी
#दिनांक:- 10/01/2022

शीर्षक:- "हिंदी"

राष्ट्र का मान है
सम्मान है हिंदी...!
भारत की आन है
पहचान है हिंदी...!!

मीरा की कृष्ण के 
प्रति भक्ति है हिंदी...!
सुरदास के सूर 
में शक्ति है हिंदी...!!

निराशा में भी आशा
की किरण है हिंदी...!!
कभी शब्द तो कभी
शब्दों का अर्थ है हिंदी...!!

राधा कृष्ण के परिशुद्ध 
प्रेम की परिभाषा है हिंदी...!
प्रकृति का मधुर 
स्वर है हिंदी..!!

मानव की मानवता
का अस्तित्व है हिंदी...!
'निराला' की कविता
का रस है हिंदी...!!

पवन की पुरवाई में 
समाई है हिंदी...!
नभ की काली 
घटाओ में है हिंदी...!!

माटी की खुशबू में 
महकती है हिंदी...!
वीरों के लहू में 
धडकती है हिंदी...!!

     लेखिका:- आरती सिरसाट
                  बुरहानपुर मध्यप्रदेश
        मौलिक एंव स्वरचित रचना।

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. सुधीर श्रीवास्तव जी 🏅🏆🏅

नमनमंच
#कलम_बोलती_है_साहित्य_समूह 
दिनांक-10.01.2021
विषय-हिंदी
विधा-कविता

************
ये कैैसी विडम्बना है कि
पचहत्तर साल बाद भी 
हमारे देश की अपनी 
राष्ट्र भाषा नहीं है,
हमारी मातृभाषा
सिर्फ़ राजभाषा है।
ये कैसा दुर्भाग्य है कि
अपनी मातृभाषा को
हम अपना कहने में भी शरमाते हैं,
खाते हैं हिन्दी का और 
गुणगान अंग्रेज़ी का गाते हैं।
अब सहन नहीं होता
बंद हो ये भद्दा मजाक
अनिवार्य करो हिन्दी शिक्षा,
अब हिन्दी को राजभाषा से
राष्ट्र भाषा बनाओ
अब और न बेशर्मी दिखाओ,
भारत के जन जन को
हिन्दी की शपथ दिलाओ
सबको हिन्दी पढ़ाओ।
★सुधीर श्रीवास्तव
      गोण्डा(उ.प्र.)
©मौलिक, स्वरचित,

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. शिव मोहन सिन्हा जी 🏅🏆🏅

आदरणीय मंच को नमन
विषय। . हिन्दी
दिनांक 10-01-2022

हिन्दी मेरी पहचान

   मोहब्बत की ये भाषा है, मेरी पहचान है हिन्दी
   बड़ी मीठी जुबां है, और हमारी शान है हिन्दी
   तुम्हें क्यूँ शर्म आती है, नहीं तुम बोलते हिन्दी
   हमारी मातृ भाषा है,हमारी जान है हिन्दी।

   मैं आवाहन ये करता हूँ, देश के उन युवाओं से
   सभी नेताओं से और दूसरी उन राजभाषाओं से
   न ही कमजोर है हिन्दी, न ही लाचार है हिन्दी
   करोड़ों की ये भाषा है,हमारा अभिमान है हिन्दी।

   कि इसमें एक खूबी तो नये शब्दों के ग्रहण की है
   वो स्टेशन हो,इंजन हो या मशीनों के मिलन की है
   मुझको गर्व है कि यू एन में भी है चर्चा मेरी हिन्दी
   मनाओ जश्न हिन्दोस्ताँ की घर घर बोलती हिन्दी।

   किले का द्वार खोलो तुम कि अब हिन्दी का युग आता
   पढ़ो विज्ञान हिन्दी में कि अब हिन्दी का युग आता
   कि तुम भी गुनगुनाओ गीत और लिखो कहानी भी
   बहुत समृद्ध है भाषा, कि अब हिन्दी का युग आता।

                 शिवमोहन सिन्हा
                 लखनऊ उ.प्र.

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. पूनम सिंह जी 🏅🏆🏅

नमन मंच 
हिन्दी की महत्ता 

हिन्दी है दिलो की भाषा ,
हिन्दी भारत की है भाषा,
इसकी सहेली सब भाषा,
सुख-दुख की व्यक्ती,भाषा,
मानव भाव,-रस उदगार ,
अभिव्यक्त,जीवन-श्रृंगार ,
रस- छन्दो से पूर्ण समृद्ध 
लालित्य,अंलकार है बद्ध। 
व्याकरण समर्थ यथार्थ- 
गतिविधान समर्थ,सक्रिय--
अर्थ पूर्ण,समर्थ,शब्द संधान 
देशज,लोक भाषाओं का
समावेश,बदले अर्थ पाकर
परिवेश,कवियों के भावो का
उदगार,जन-मन के उद्वेलन 
आधार,कवित्व मे सब रस-
समाते,सुन कर जन मानस
आनन्द उठाते,सूर-तुलसी
बहु साहित्य कार,जिन्हे पढ़
कर,जानते हम सब 'हिन्द 
भाषा का व्यवहार।
पूनम सिंह जी 

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. संध्या शर्मा श्रेष्ठ*जी 🏅🏆🏅


#नमन मंच 🙏
#कलम बोलती हैं साहित्य समूह
#विषय - हिंदी
#विधा - कविता
#दिनांक - १०/१/२०२२
#दिन - सोमवार

*✍🏻हिंदी..।।*

वह हमें भाने लगी
हम उसे अपनाने लगे
सफलता की सीढ़ी की
ओर कदम बढ़ाने लगे।।

अ , आ से क , ख 
की ओर बढ़ने लगे
सफलता का पाठ
पढ़ने लगे
जीवन को सुसज्जित 
करने लगे।।

जीवन की सुंदरता के
मोती पिरोने लगे
हम एक दूसरे की मिठास
 को संजोने लगे।।

विचार विनिमय के संबोधन 
से एक दूसरे से जुड़ने लगे
हमारी मातृभाषा से प्रेम करने
 लगे 
हमारे अस्तित्व को स्थापित
 करने लगे।।

हम एक दूसरे के प्रेम के
आदर्श स्थापित करने लगे
हम एक दूसरे में समाने लगे।।

आने वाला कल भविष्य होगा
हिंदी का प्रचार दूर दूर तक होगा
हिंदी का संबोधन हर एक के मुख
 पर होगा।।

*संध्या शर्मा श्रेष्ठ*
औझर ( मध्य प्रदेश )

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. शोभा वर्मा जी 🏅🏆🏅


नमन मंच। 
✍ कलम बोलती है साहित्य समूह। 
प्रतियोगिता क्रमांक-३८३
विषय-"हिंदी"
विधा छंद-मुक्त कविता 
प्रतियोगिता एवं समीक्षार्थ प्रस्तुति 
दिनांक-१०|०१|२२(सोमवार)
रचियता-शोभा वर्मा,देहरादून 
            उत्तराखंड। 

विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। 

*"हिन्दी हिन्द की शान"*
*******************

"अ"से अनपढ को साक्षर करने का दम है हिन्दी में। 
"ज्ञ" से ज्ञानी बनाने का हुनर मान है हिंदी में।
"क" से कर्म करके जीवन बिताने का कर्म बतलाती।
"ख" से खुश रहने का जतन हर पल है बतलाती।
******************************
सरलता, सहजता,और सुबोधता 
 की अद्भुत शक्ति समाई है हिंदी में।
मन के भावों की सरल अभिव्यक्ति की कुंजी समायी है हिंदी में।
परायों को भी अपना बना लेने की क्षमता समायी है हिंदी में।
*****************************
उठे जो भाव हिंदी में, करें इजहार हिंदी में।
करें इनकार हिंदी में, करें इसरार हिंदी में। 
लुटा कर ढाई आखर का यह सरमाया जमाने में,
जमाने को बता दें हम है कि कितना प्यार हिंदी में।
******************************
साहित्यिक मंच की"शोभा" बढ़ाती है हमारी हिन्दी । 
हिंद के मस्तक पर गर्व का मान है हमारी हिंदी।
मां के आंचल के माधुर्य का आभास है हिंदी।
फिर कैसे ना करें हम कि" हिंद की शान है हिंदी"।
शोभा वर्मा-१०|०१|२२
स्वरचित मौलिक रचना। 
(सर्वाधिकार सुरक्षित)

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. अल्का गुप्ता "प्रियदर्शिनी" जी 🏅🏆🏅

नमन मंच
#कलम_बोलती_है_साहित्य_समूह 
विषय क्रमांक-383
#दिनांक -10/01/2022
विषय-हिंदी दिवस
विधा-कविता

हिंदी हमारी शान
**************

हिन्द की शान है हिन्दी, हमारी जान है हिन्दी
देश की आन है हिन्दी, वतन का मान है हिन्दी
जनमत की पुकार है हिन्दी, हृदय की पुकार है हिन्दी
मेरे जज़्बात हैं हिन्दी,मेरी आवाज़ है हिन्दी।

हमारी अभिव्यक्ति हो हिन्दी,दिलों पर राज करे हिन्दी
महकता किरदार बने हिन्दी, मेरी सांसों में बसी हिन्दी।
हमारी शक्ति है हिन्दी, आत्मविश्वास है हिन्दी
भाल मां के सजे बिन्दी, चमकता तारा हो हिन्दी।

हमारी शक्ति है हिन्दी, हमारी भक्ति है हिन्दी
हमारे रक्त में हिन्दी,सभी आसक्त हो हिन्दी।
हिन्द की परिभाषा है हिन्दी, अद्वितीय भाषा है हिन्दी।
अलौकिक आनंद है हिन्दी,मेरी अभिलाषा है हिन्दी।

जन्मी संस्कृत से है हिन्दी, अलौकिक आशा है हिन्दी।
लिपि देवनागरी है इसकी, वेदों से प्रकटी है हिन्दी।
राष्ट्र व राज भाषा बनी हिन्दी, विश्व में सम्मानित हो हिन्दी।
सजे हर भाल बन बिन्दी, कहे 'अलका' मुझे प्यारी बड़ी हिन्दी।

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।

मंगलवार, 11 जनवरी 2022

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. सुनील कुमार जी 🏅🏆🏅

नमन मंच 
#कलम बोलती है साहित्य समूह 
प्रतियोगिता क्रमांक- 383 
दिनांक 10/01/2021
दिन- सोमवार 
#विषय- हिंदी 
विधा- स्वैच्छिक/ कविता 
शीर्षक-हिंदी हिंदुस्तान की
*************************************
हर मजहब हर इंसान की
रामायण गीता और पुराण की
हिंदी भाषा है हिंदुस्तान की।

कबीर सूर तुलसी रसखान की 
गौतम-गांधी और सुभाष की
हिंदी भाषा है हिंदुस्तान की।

जय जवान-जय किसान की 
जय भारत देश महान की 
हिंदी भाषा है हिंदुस्तान की।

जन-जन के अभिमान की
मान और सम्मान की
हिंदी भाषा है हिंदुस्तान की।

ज्ञान और विज्ञान की 
हिन्द संस्कृति के पहचान की
हिंदी भाषा है हिंदुस्तान की।

युगों-युगों से शान रही है 
हिंदी हिंदुस्तान की
रक्षा हमको करनी है 
इसके मान और सम्मान की।

राष्ट्रभाषा एक दिन बनेगी 
हिंदी हिंदुस्तान की
कीर्ति पताका जग में फहरेगी
हिंदी हिंदुस्तान की।

************************************
स्वरचित- सुनील कुमार
जिला- बहराइच, उत्तर प्रदेश।

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. सुधा चतुर्वेदी मधुर जी 🏅🏆🏅

नमन मंच
कलमकार कुंभ 
विषय .....हिंदी 
विधा .....कविता 
10-01-22

गौरव हमारी हिन्दी है , 
  अभिमान हिन्दुस्तान का । 
     अनेक भाषा महके पुष्प हैं , 
        पर हार सूत्र हिन्दी मात का । 

कहीं विश्व में निज निवास हो , 
     प्रवास कहीं किसी स्थान का । 
      जीवन आधार हिन्दी मात है, 
        मेरी पहचान हिन्दीभाषिका। 

भाल पर उज्ज्वल बिन्दी सजी , 
  फिर क्यों सिसकती हिन्दी माँ ? 
     एकता सूत्र को साधे खड़ी रही,  
        मायूस सी क्यों है हिन्दी माँ ? 

क्यों असहाय खड़ी है हिन्दी माँ , 
   क्यों पीर अश्रु की धार बही । 
     जो राष्ट्र की भाषा कहलाये , 
       क्यों नारों की मोहताज हुई । 

हिन्दी में शिक्षा ग्रहण करो , 
   ये समान भाव है दिखलाती । 
    ना वर्ण है लघु और दीर्घ कोई , 
     अर्द्धवर्ण की संबल बन जाती। 

साहित्यों की आधार शिला , 
  विस्तृत परचम फैलाये हैं । 
    कभी वीर बनी श्रंगार सजी , 
      कभी भक्ति के गीत सुनाये हैं । 

प्रेमचन्द कहानी हैं सर्वोत्तम , 
  भारतेंदु ने निबन्ध सजाये हैं । 
    पंचतंत्र के शिक्षावद किस्से , 
       सब हिन्दी से रच पाये हैं । 

हिन्दी में ही संवाद हों सब , 
  हिन्दी लिपि ही दफ्तर में हो। 
    हिन्दी का मान बढ़े नभ सम , 
      हिन्दी ही प्रिय राष्ट्र धरोहर हो । 

स्वरचित अप्रकाशित रचना 
      सुधा चतुर्वेदी 
          मुंबई

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. दिनेश विकल जी 🏅🏆🏅

नमन मंच
#कलम बोलती साहित्य समूह
दिनांक-10/01/22
विषय क्रमांक- 383
विषय-विश्व हिंदी दिवस
शीर्षक- अभिमान हिन्दी है*
विधा-कविता
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
भारत माता का अभिमान हिंदी है।
देश के मस्तक पे शोभायमान बिंदी है।

संस्कृत यदि नानी है,तो जननी हिंदी है। 
और सभी भाषाओं की भगिनी हिंदी है।

सूरदास को कृष्ण के दरश कराती हिंदी है।
मीरा को पति रूप में कृष्ण मिलाती हिंदी है।

तुलसीदास से राम कथा सुनवाती हिंदी है।
कबीर के दोहों से हमें ज्ञान कराती हिंदी है।

रसखान रहीम को भक्ति सिखलाती हिंदी है।
भड्डरी और घाघ से कहावतें रचवाती हिंदी है।

भूषण से छत्रसाल प्रशंसा करवाती हिंदी है।
 वीरता मनु की सुभद्रा से सुनवाती हिंदी है।

पंचवटी काव्य गुप्त जी से रचवाती हिंदी है।
बच्चन जी की मधुशाला ले जाती हिंदी है।

काका हाथरसी से पेट फड़वाती हिंदी है।
सुरेंद्र शर्मा की पत्नी से मिलवाती हिंदी है।

हरिओम पवांर से सैना में जोश दिलाती हिंदी है।
नीरज जी के कारवां संग हमे चलाती हिंदी है।

कितनी सारी खूबियों वाली ये भाषा हिंदी है।
तभी सभी देशवासियों का अभिमान हिंदी है।
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
ग्वालियर। दिनेश विकल
उपरोक्त कविता स्वरचित एवं मौलिक है।। दिनेश विकल

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. दिनेश प्रताप सिंह चौहान" जी 🏅🏆🏅

"नमन कलम बोलती है साहित्य समूह"
10/01/2022--सोमवार
दैनिक विषय क्रमांक=383
विषय=हिंदी
विधा=स्वैच्छिक
प्रतियोगिता एवं समीक्षा हेतु 
===================================
एक श्राद्ध जैसा मान,... , . . कहे यह दिवस हिन्दी,
   एक बोझ जैसा जान,. . . कहे यह दिवस हिन्दी।
    यूँ वर्ष भर तो,. ........... . कोई ख़बर लेता नहीं पर,
    एक दिन का बस बखान,. . कहे यह दिवस हिन्दी।
  ना चले दफ़्तरों में,. . .. . . . और न नौकरी मिले,
 एक व्यर्थ डिग्री मान,. . . कहे यह दिवस हिन्दी।
  तकनीकी किसी शिक्षा की,. . . . भाषा नहीं है बनी,
 बस झूठा व्योम तान,. . . . कहे यह दिवस हिन्दी।
 बस वोट के लिए ही,.. . . . . इसका इस्तेमाल हो,
सत्ता का अस्त्र जान,. . . .कहे यह दिवस हिन्दी।
संवैधानिक बोझ समझ, .. . . . . . . . मनाते इसे,
मजबूरी सा श्रीमान,. . . . . कहे यह दिवस हिन्दी।
जो भी रहे सत्ता में,. . . . . .सबने दिखावा किया,
   हैं धूर्त सब, पहचान, . . . . . कहे यह दिवस हिन्दी।
===================================
"दिनेश प्रताप सिंह चौहान" (स्वरचित)
(एटा=यूपी)

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. भावना भारद्वाज जी 🏅🏆🏅

मंच को नमन 🙏🙏
दिनांक _10/1/22
विषय क्रमांक _383
विषय _हिंदी 
समीक्षा हेतु 🙏🙏😊

*हमारी मातृ भाषा हिन्दी*
💐💐💐💐💐💐💐💐
पहला शब्द हिंदी में, जब मैने बोलना शुरू किया.
पहला शब्द हिंदी में, जब मैने लिखना शुरू किया. 
पहला शब्द हिंदी में, सुबह सवेरे उठते ही, 
पहला शब्द हिंदी में, मै गीत कोई भी गुनगुनाऊ.
कियुकी हिंदी ही मेरी धड़कन मे, 
हर श्वास ॐ ही रटती हैं, जो मिलता मेरी हिंदी मे. 

     मातृ भाषा हिंदी 
माँ संस्कृत के गर्भ से उत्पन्न, 
देश विदेश की अनेको भाषाएँ. 
हिंदी का स्थान हैं अग्रजा का, 
क्युकी फैली जो चारो दिशाएं. 

सबसे व्यापक, सबसे विस्तृत, 
इसके शब्दकोष की नहीं सीमाएं. 
संख्य, असंख्य साहित्य इसमें, 
कितने ही ऋषि मुनि, कवि, साहित्यकारों ने, 
नाम अपना इतिहास मे दर्ज करवाए. 

इतना संपन्न हो कर भी, अपने ही घर मे, 
घुट घुट कर क्यों जीती हैं. 
हैं इतना सब कुछ देकर भी, 
सम्मान सेआगे क्यों नही बढ़ती हैं. 

आज हैं *हिंदी दिवस *
तो क्यों न प्रण उठाये हम. 
मात्र भाषा हिंदी को जगत मे, 
अंतर्राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिलाये हम. 

बादल रहा हैं समय अब जब, 
भारत विश्व गुरु बनने की राह पर अब, 
गर्व से मातृभाषा हिंदी की, 
विश्व पटल पर छवि बनाये. 

            भावना भारद्वाज ✍

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. नवल किशोर पटेल जी 🏅🏆🏅

नमन मंच
#कलम बोलती है साहित्य समूह
दिनांक १०,१,२०२२
विषय हिंदी
विद्या हाइकु
देश की शान
भाषा सुलभ मान
हिंदी महान्
सरलतम
जन जन की भाषा
मधुर वाणी
राष्ट्रभाषा है
शान है साहित्य की
जन की आशा
भाषा प्रेम की
राष्ट्र धरोहर है
एकता सेतु

स्वरचित हाइकु
डा नवल किशोर पटेल

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ सुखमिला अग्रवाल,’भूमिजा’ जी 🏅🏆🏅

कलम बोलती है साहित्य समूह 
नमन मंच 
विषय क्रमांक-383
दिनांक-10/1/22
दिन-सोमवार
विषय-हिन्दी
विधा- (कविता)
शीर्षक-गौरव गाथा

****************

हिंदी गौरव गाथा है ,
मेरे भारत देश की,
घनी घनी छाँव में है पलती,
सुरक्षा समग्र परिवेश की ।

भारत की पल्लवित ऋचा,
गौरव गान सरल सरिता ,
वैज्ञानिक वेद भाषा,
सहज ज्ञान की है वनिता।

हिंद धरा जिसका उदगम ,
सुशोभित जिसका है कण कण,
जन जन के उर निवासिनी,
मधुर सरस निर्झर छल छल ।

अभिमान हमारा हिन्दी भाषा,
संस्कृति की है परिभाषा,
उज्ज्वल,अनुपम, समृद्धशाली,
सुदृढ राष्ट्र की है आशा। 

***************
सुखमिला अग्रवाल,’भूमिजा’
©स्वरचित एवं मौलिक

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. अनीता शर्मा जी 🏅🏆🏅

नमन मंच
#कलम_बोलती_है_साहित्य_समूह 
  क्रमांक:383
 विषय:हिंदी
  10,01,22

  ऐ मेरी प्यारी हिंदी 
  भारत माँ के भाल पर बिंदी
   क्यों दया को अनुभूत करे?
    हम नालायक बच्चे तेरे 
   तेरे अधिकार की न बात करें।

   हम तो हैं नादान माता 
   तुझसे क्षमा मांगते हैं
   बात दया की न अब करना
    तेरा अधिकार मांगते हैं।

    अनिता शर्मा**त्रिवेणी**
       देवास(मध्य प्रदेश,)

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. गगन खरे जी 🏅🏆🏅

हिन्दी मातृभाषा राष्ट्रभाषा हिन्दी के बढ़ते कदम विश्व साहित्य में।
््््््््््््््।््््

हिन्दी साहित्य जगत में सर्वोपरि है हमारी
 मातृभाषा हिंदी, राष्ट्रीयकरण सकारात्मक सोच लिए जागृतिपथ अग्रसर , विश्वधरातल में अपनी छाप छोड़ती शांति प्रिय उद्देश्यों में एकरूपता प्रदान करतीं , अपनी पहचान बनाती मातृभाषा राष्ट्रभाषा हिंदी ।

कलयुग में शशक्त माध्यम हमारी मातृभाषा राष्ट्रभाषा 
हिंदी हैं।
अपनी लोकप्रियता और स्वीकार्यता विश्व में कथनी करनी में कोई अंतर नहीं होने, जल्दी समझना एक उत्साह के समान, उत्कृष्टता लिए हर पहलू पर खरी उतरती हमारी मातृभाषा राष्ट्रभाषा हिन्दी ही हैं ।

कड़े संघर्ष और आजादी के बाद आज दूरदृष्टी पका ईरादा देती हैं हमारी-आपकी मातृभाषा राष्ट्रभाषा हिन्दी फिर से भारत को विश्वगुरु बनाने में अपना योगदान रखतीं हैं । 
शिक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता आत्मविश्वास हमारे वेद पुराणों ने धर्म निरपेक्षता बीना भेदभाव किए विश्व को जागृतिपथ अग्रसर किया गगन आज हमारी मातृभाषा राष्ट्रभाषा हिन्दी अपनी जिम्मेदारी की भूमिका पूरी तरह निभा रही हैं ।
हमारे महापुरुषों, साहित्यकारों , रचनाकारों, इतिहासकारों, वैज्ञानिकों ने सार्थक प्रयास किया है, हिन्दी दिवस पर सभी देशवासियों को हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई तहदिल से
          गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश इन्दौर



विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. ® आई जे सिंह जी 🏅🏆🏅

नमन मंच 
#कलम_बोलती_है_साहित्य_समूह 
दिनांक 10/ 01/ 2022
#विषय: हिंदी 

#हिंदी_प्रेम_हृदय_भरलें

हिंदी गौरव भाषाओं का, चाँद लगे इसका बिंदू।
जोड़ रही है सिक्ख ईसाई,और सदा मुस्लिम हिंदू।।
विश्व विख्यात हिंदी भाषा, परचम अपना लहराती।
है सुशोभित अलंकारों से, रस वाणी से बरसाती।।

गद्य पद्य की प्रभा अनोखी, देवों की भाषा लगती।
मान राजभाषा का पाया, मुकुट सदृश हिंदी सजती।।
देश विदेशों में हिंदी की, जनता आज मुरीद हुई।
हिंदी की बिंदी लोगों की, ज्यों चन्दा अरु ईद हुई।।

हिंदी भाषा के स्वर व्यंजन, लगते हैं जैसे मोती।
शालीनता मातृ भाषा की, कभी नहीं हिंदी खोती।।
 नमस्कार प्रणाम हिंदी के, उर को यूँ छू जाते हैं।
भर जाते हैं प्रेम भाव से, सदाचार सिखलाते हैं।।

हर बच्चा अक्षर पहला ही, यूँ हिंदी में माँ बोले।
हर्षित होता हृदय मात का,जब निज बच्चा मुहँ खोले।।
सम्पूर्ण राष्ट्र अब अपना ये, हिंदीमय बन जाना है।
हिंदी में खुद काम करेंगे, हिंदी में काम कराना है।।

बिन निज भाषा के कोई भी, नहीं राष्ट्र उन्नति करता।
निज भाषा निज बोली से ही, विश्वास मनुज में भरता।।
हिंदी न कभी मरने देंगे, प्रण भारतवासी करलें।
हर दिन हिंदी दिवस मनेगा, हिंदी प्रेम हृदय भरलें।।

(स्वरचित एवं मौलिक)
- ©® आई जे सिंह
 

विषय :- हिन्दी । रचनाकार :- आ सतीश कुमार नारनौंद जी 🏅🏆🏅

नमन मंच-कलम बोलती है साहित्य समूह
विषय-हिंदी
विधा कविता
दिनांक-10-1-22

""""""""""""अनुरागी हैं हम हिंदी के""'''""""""""""
                   ----------------
अनुरागी हैं हम हिंदी के, निज गौरव पर अभिमान करें।
विश्व में संभ्रांत वाणी की,उत्कर्णता का व्याख्यान करें।

स्वर-व्यंजन हुई सुसज्जित, शुचि संस्कृति की शान है।
तेरा हर आश्व मधु सम, कोकिला रसीका व्याख्यान है।
यह देव-ग्रंथों की वाणी है, मेरे भारत का स्वाभिमान है।
पुनरावृति देती मृत्युंजय,उत्कण्ठित प्रवरता विद्यमान है।

आदिकाल सुशोभित थी, 'गौरख-हठयोग'आधार रही।
स्वयंभू की परमचरिउ में, देवसेन के 'श्रावकाचार'रही।
रोड़ा की 'राउलवेली'में, नखशिख- वर्णन- श्रृंगार बही।
विद्यापति लसित हुए जब,'कीर्तिलेता- कंठहार' बही।

आलावर संतों से होकर, तेरा संप्रदायों में वास लिखा।
रामानंद ने 'देववाणी' में ,भक्ति पर ही 'भास्य'लिखा।
कबीरदास की बनी खिचड़ी,तेरा दुनिया ने स्वाद चखा।
आदि ग्रंथ के 'महला'में, गुरु नानक ने'रहीरास'लिखा।

भारतेंदु से द्विवेदी-प्रेमचंद, दिनकर और निराला गुप्त। 
देवनागरी यशस्वी संताने, प्रभूत उतुंग न होगी सुप्त।
वर्णमाला में है वैज्ञानिकता ,फैली कीर्ति न होगी लुप्त।
वर्ण-शब्द-वाक्य-वर्तनी, हैं यति- गति-रस- छंद मस्त ।

रहे 'हिंदी'हिंद की प्राण-पवन ,ऐसा कृत अनुष्ठान करें।
विश्व में संभ्रांत वाणी की,उत्कर्णता का व्याख्यान करें।

सतीश कुमार नारनौंद
जिला हिसार हरियाणा
स्वरचित और मौलिक

विषय :- हिन्दी । रचनाकार :- आ. शिवशंकर लोध राजपूत 🏅🏆🏅

नमन मंच 
#कलम बोलती है साहित्य समूह 
#प्रतियोगिता क्रमांक :383
#विषय :हिन्दी 
#शीर्षक :विश्व हिंदी दिवस
#विधा :कविता 
#दिनांक :10/01/2022

*विश्व हिंदी दिवस*

हमारी हिंदी भाषा,
हमारा अभिमान है
हमारी संस्कृति, मातृभाषा, 
भारत राष्ट्रभाषा महान है
जन-जन में व्यापक, 
सर्वत्र क्षेत्र में बोली जाती 
हिंदी भाषा महान है
हिंदी को राष्ट्रभाषा का, 
दर्जा मिला 1947 में
हमारी भाषा हमारा अभिमान है 
'क'अक्षर से शुरू वर्णमाला 
देवनागरी लिपि मे
हिंदी भाषा व्याकरण 
से शब्द निखार है 
हिंदी भाषा महान है
हमारी भाषा हमारा अभिमान है 
सब क्षेत्रो को जोड़ने वाली है भाषा 
सर्वत्र बोली जाने वाली भाषा 
आओ मिलकर इसका, 
और प्रचार, प्रसार करें 
विश्व हिंदी दिवस पर भाषा, 
हिंदी का गुणगान करें 
हमें गर्व है हम भारतीय यही 
हमारी भाषा हमारा अभिमान है

शिवशंकर लोध राजपूत ✍️
(दिल्ली)
व्हाट्सप्प no. 7217618716

रचना स्वरचित व मौलिक है !

विषय :-हिन्दी ।रचनाकार :- आ रीता मिश्रा तिवारी जी 🏅🏆🏅

#नमन 🙏 मंच
#कलम बोलती है साहित्य समूह
#विषय क्रमांक _383
#विषय_हिन्दी
#विधा_स्वेक्छिक
#दिवस_सोमवार
#दिनांक_10.1.2022

#मेरी हिंदी
**********
हिंदी की बिंदी मेरे माथे की बिंदी हिंदी
हिंद देश की भाषा हिंदी बोली मेरी हिंदी

संपूर्ण जगत की बोली हिंदी
क्रांति की लहर है हिंदी
वीर की है वीरता हिंदी

हिंद देश की भाषा हिंदी

हमारी मातृभाषा राष्ट्र भाषा हिंदी
हिंदी को भुला कर हमने 
लगाया गले अंग्रेजी को
हिंदी की महत्ता को जाने
अपनी स्वतंत्रता को पहचाने

हिंद देश की भाषा हिंदी

हिंदी है अभिमान हमारा 
हिंदी से है हिंदुस्तान हमारा
हिंद देश के हैं हम निवासी
हिंदी है जान हमारी

हिंद देश की भाषा हिंदी

है हमें जान से भी प्यारी
हमारी मातृ भाषा हिंदी
कितनी मीठी कितनी सुरीली
सारे जहां से अच्छी भाषा हिंदी
हिंदी है हम वतन हैं, है हिंदुस्तान हमारा

हिंद देश की भाषा हिंदी बोली मेरी हिंदी
माथे की बिंदी मेरी हिंदी ।

मौलिक स्वरचित✍️
रीता मिश्रा तिवारी
भागलपुर बिहार
१०.१.२०२२

सोमवार, 10 जनवरी 2022

विषय :- हिन्दी। रचनाकार :- आ. शम्भूसिंह रघुवंशी जी

कलम बोलती है
विषय क्रमांक-383
10/1/2022/सोमवार
-----

*हिंदी*
काव्य
---
देश का मान बढाती हिंदी।
उच्च श्रेणी की अपनी हिंदी।
करते जयजय कार सभी यहां,  
जिंदा रहेगी भारत में हिंदी।

लगती ललाट पर सुंन्दर बिंदी।
ऐसी ही सब भाषाओं मे हिंदी।
आलोक सभी इसी से फैलता,
सत्य संस्कृति सम्मान है हिंदी।

ये भारत का अभिमान है हिंदी।
सब भाषाओं की जान है हिंदी।
संस्कृत है भाषाओं की जननी,
पर भाषाओं की शान है हिंदी।

रच बस गई पूरे भारत में हिंदी।
फैल गई है जनमानस में हिंदी।
नित हिंदी का अस्तित्व बडा है,
बोलें गली,गांव ,शहर में हिंदी।

माना कुछ खिचड़ी हुई है हिंदी।
देखें फिरभी जीवंत हुई है हिंदी।
हिंदी दिवस मना एकदिन पूछते,
लगता कुछ तो बेबस हुई है हिंदी।

स्वरचित,
        शम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
गुना म.प्र.

#देश का मान बढ़ाती हिंदी#
काव्य,
10/1/2022/सोमवार

रविवार, 9 जनवरी 2022

विषय 👉🏻हिन्दी ।रचनाकार :-आ ममता झा जी 🎖️🏆🏅

आज विश्व हिंदी दिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामना।हिंदी हमारी शान है।मैं हिंदी पर कविता लिखने की कोशिश कर रही हूँ ।
नमन कलम बोलती है साहित्य समूह 
विषय क्रमांक-383
विषय-हिन्दी
*******************************
       🌹हिंदी🌹
हिंदी मेरे हृदय में समाई,
सबसे सुंदर भाषा है।
सरित लेखनी से बही हिंदी,
हिंदी राष्ट्र की भाषा है।
************************
सरल सुबोध पर है भारी,
अंग्रेजी से जंग है जारी।
सम्मान की ये है अधिकारी,
जन जन की है ये दुलारी।
************************
हर दिन हर पल करते हैं हम,
अपनी राष्ट्रभाषा का सम्मान।
रोज मनाओ हिंदी दिवस,
बनाओ इसे अपना अभिमान।
***********************
हिंदी से है हिन्दुस्तान की पहचान,
सब कहते हैं सीना तान।
संस्कृत से संस्कृति है हमारी,
विश्व में आज है अपनी पहचान।
************************
दी सीख जिन्होंने धर्म की हमको,
तुलसी, कबीर संत महान।
जन्म हुआ मानवता का हिंदी से,
हिन्दू मुस्लिम सीख ईसाई समान।
************************
सभी कवियों ने हिंदी अपनाई,
हिंदी का महत्व है भाई।
हिंदी में सीखे पढना हम,
अ से अज्ञान से ज्ञ से ज्ञानी।
************************
सीखो अन्य भाषाओं को भी,
पर अपनाओ अपनी भाषा।
दुनियाँ में बतलाओ सबको,
हिंदी हमारी है राष्ट्रभाषा।
************************
ममता झा
डालटेनगंज

विषय 👉🏻हिन्दी ।रचनाकार :- आ. अरविंद सिंह "वत्स" जी 🏅🏆🎖️

नमन--कलम बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक------------------383
विषय-------------------------हिन्दी
तिथि----------------10/01/2022
वार------------------------सोमवार
विधा---------------सरसी छन्द गीत
मात्राभार--------------------16,11

                             #हिन्दी

हिन्दी भाषा शान हिन्द की,हिन्द करे अभिमान।
हिन्दी गौरव है भारत की,जन जन का अरमान।।

माता जिसकी संस्कृति भाषा,जिनसे प्यारा शब्द।
पढ़ - पढ़ हिन्दी के अक्षर को,प्रमुदित सारा अब्द।।
अक्षर - अक्षर में सम्मोहन,शब्द - शब्द वरदान।
हिन्दी भाषा शान हिन्द की,हिन्द करे अभिमान।।

हिन्दी पर जो बिन्दी लगती,मस्तक की वह शान।
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई,खुश रहते रहमान।।
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम , पढ़ता हिन्दुस्तान।
हिन्दी भाषा शान हिन्द की,हिन्द करे अभिमान।।

सकल विश्व में नाम हमारा,हिन्दी से पहचान।
गाँव शहर को हिन्दी प्यारी,पढ़ता सकल जहान।।
झण्डा लहरे अखिल विश्व में,बढ़ता है सम्मान।
हिन्दी भाषा शान हिन्द की,हिन्द करे अभिमान।।

पगडण्डी हो या चैराहा , हिन्दी ही हर मोड़।
जोड़ न धरती पर है इसका,और न दिखता तोड़।।
केशव तुलसी सन्त कबीरा,हिन्दी मस्त जबान।
हिन्दी भाषा शान हिन्द की,हिन्द करे अभिमान।।

सकल विश्व को लगती प्यारी,हिन्दी पढ़े विदेश।
शब्द -शब्द में प्रेम झलकता,लगते शब्द विशेष।।
शैलानी भी पढ़ते हिन्दी,करता विश्व बखान।
हिन्दी भाषा शान हिन्द की,हिन्द करे अभिमान।।

अरविन्द सिंह "वत्स"
प्रतापगढ़
उत्तरप्रदेश

विषय 👉🏻हिन्दी ।रचनाकार :-आ कुलभूषण सोनी जी

10 जनवरी , सोमवार
        💥🙏#हिंदी_दिवस🙏💥  
        🙏शीर्षक शब्द : #हिंदी,🙏
           🙏🏵#मुक्तक 🌹🙏
🙏🏵🙏🏵🙏🌹🙏🏵🙏🏵

             🌹#रचना नंबर-एक🌹

अनेकता में जहां एकता , भारत मां के मान की.

सर्वधर्म समभाव भावना , भाषा सुरभित गान की.

सत्य सनातन संस्कृति जिसकी , मर्यादा ही वेद हैं -
व्याप्त वही भाषा रग-रग में ,#हिंदी हिंदुस्तान की.
                         🌹🏵🙏
         रचयिता : कुलभूषण सोनी, दिल्ली

विषय 👉🏻हिन्दी ।रचनाकार :- आ. आर. बी. जी 🏅🏆🏅

नमन मंच

#कलम बोलती है साहित्य समूह
प्रतियोगिता क्रमांक 383
दिनांक 10/01/2022
विषय हिंदी

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
हिंदी भाषा को समर्पित कविता

कितना शुद्ध है हिंदी भाषा का अस्तित्व आओ समझे 
स्वर व्यंजन के मेल से शब्दों का निर्माण हुआ
जो लिखा गया वैसी ही ध्वनि हुई 
वैसा ही संचार हुआ ।

मौन कुछ भी नहीं होता हिंदी में
सभी वर्णों का मोल यहां समान है 
अस्तित्व हीन होना तो दूर की बात है
अक्षर आधा हो तो भी सिर चढ़ कर बोलता है
हमें तो बिंदी पर भी अभिमान है।
 
ऐसी कोई ध्वनी नहीं 
जिसका लोप हिंदी में हो 
संगीत सरल कितना भी हो
स्वर सभी हर भाषा में मिलते नहीं 
चाहे अंग्रेजी हों या अन्य में हों ।

व्याकरण कितना सुन्दर और समृद्ध है 
ये रस , छंद और अलंकार से जानो 
विदेशी भी सीख लेते हैं सहजता से
हिंदी की सरलता और सौम्यता को पहचानो।

कितने भाषाई आघात हुए 
जाने कितने शाब्दिक संक्रमणों को झेला है 
अंग्रेजी माध्यम में अर्थ दंड भी देना पड़ता है
जब भी कोई हिंदी में बोला है ।

पर भाषा हिन्दी हमारी 
हमारे प्राणों में बसती है 
तन का श्रृंगार तो कैसे भी कर लो 
पर आत्मा तो सदैव ईश्वर की ही होती है ।

दिवस हिन्दी एक दिन का नहीं 
ये युगों-युगों की बात है 
अहंकार मिलेगा नहीं यहां 
सब में मिलकर भी अलग अस्तित्व हो जाती है
तभी हिंदी, भाषा प्रेम की कहलाती है ।

                       स्वरचित 🙏
                                        ,,,,,,,,,R.B
©सर्वाधिकार सुरक्षित हैं

विषय 👉🏻हिन्दी । रचनाकार :-आ संध्या सेठ जी 🎖️🏆🏅

#नमन मंच
#कलम बोलती है साहित्य समूह 
क्रमांक 383
विषय- हिंदी 

शब्द है छोटा लेकिन भाव 
बहुत ही गहरा है,
हिंदुस्तान है पहचान मेरी 
तो हिन्दी मेरा चेहरा है।

सबल अडिग हिन्दी ने ही 
आजादी का प्रचम लहराया,
कश्मीर से कन्याकुमारी 
तक फिर से तिंरगा फहराया।

मेरी हिन्दी भाषा ने ही 
सभ्यताओं को जोड़ा, 
एकजुट करके पूरे भारत 
को अंग्रेजी का भ्रम तोड़ा।

हिन्दी के पीछे सभ्यता चली
सभ्यता चली और फूली फली,
हिन्दी के सामर्थ्य से थी 
आजादी की मशालें जली।

नत मस्तक हूँ हिन्दी को मैं हिन्दी
मेरी शान और मेरा अभिमान है, 
वतन पर मेरी जान न्यौछावर तो
हिन्दी पर दिल कुर्बान हैं।

शब्द है छोटा लेकिन भाव 
बहुत ही गहरा है,
हिंदुस्तान है पहचान मेरी तो 
हिन्दी मेरा चेहरा है।

जय हिंद जय हिंदी

संध्या सेठ

विषय 👉🏻हिन्दी ।रचनाकार :-आ बेलीराम कनस्वाल जी 🏅🏆🎖️

नमन मच
कलम बोलती है साहित्य समूह।  
दिनांक -10/01/2022
विषय -हिंदी 
विधा- कविता 

हिंददेश की शान है हिंदी,
  जन जन का अभिमान है हिंदी।
     हर अंतस में रची बसी इक,      
        गरिमामय पहचान है हिंदी।। 

विराजित जिह्वा में शब्दों की,
  मधुरिम मीठी खान है हिंदी ।
     एकत्व जगाने वाली अतुलित,
         धरती पर वरदान है हिंदी।। 

पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण,
   सबकी इक पहचान है हिंदी। 
      कवि के शब्दों की क्यारी में,
          सुंदर इक उपमान है हिंदी।। 

रत्न जड़ित शब्दों से गूंथी, 
   मणियों की माला है हिंदी।
      बैर भाव हर भेद भुलाकर,
         मधुरस की हाला है हिंदी ।।

सरस सुबोध मीठी अति प्यारी, 
   ये भाषा है सुख देने वाली।
       महिमा अद्भुत है हिंदी की, 
           प्रेम रस बरसाने वाली।।

घनघोर तिमिर में जलती लौ ये,
   पथ आलोकित करती हिंदी।
       मूकों के मुख में भी मधुरिम,
         शब्द सुसज्जित करती हिन्दी।। 

बासंती रुत भीनी खुशबू ,
    मधुकर सी फुलवारी हिंदी।
         अपनत्व भाव जगाने वाली,
              हम सबकी है प्यारी हिंदी।।

हिंद देश का मान है हिंदी ,
    हम सबकी पहचान हिंदी।
        रोम- रोम में रची बसी यह, 
          अपनेपन की खान है हिन्दी।। 

स्वरचित-
बेलीराम कनस्वाल 
घनसाली,टिहरी गढ़वाल, उतराखण्ड।

विषय 👉🏻हिन्दी ।रचनाकार :-आ रूपेश कुमार जी 🎖️🏆🏅

हिंदी मेरी भाषा 
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हिंदी मेरी मातृभाषा ,
हिंदी मेरी जान !

हिंदी के हम कर्मयोगी ,
हिंदी मेरी पहचान ,
हिंदी मेरी जन्मभूमि ,
हिंदी हमारी मान ,
हम हिंदी की सेवा करते है ,
हम जान उसी पे लुटाते है ,

हिंदी हमारी मातृभाषा ,
हिंदी हमारी जान !

है वतन हम हिंदुस्तान के ,
भारत मेरी शान ,
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा ,
हिंदी हमारी एकता ,
हिंदी में हम बस्ते है ,
हिंदी मेरी माता ,

हिंदी है हमारी मातृभाषा ,
हिंदी मेरी जान !

हिंदी मेरी वाणी ,
हिंदी मेरा गीत , ग़ज़ल ,
हिंदी के हम राही ,
हिंदी के हम सूत्रधार ,
हिंदी मेरी विश्व गुरु ,
हिंदी मेरी धरती माता ,

हिंदी है हमारी मातृभाषा ,
हिंदी मेरी जान !

~ रुपेश कुमार©️
चैनपुर, सीवान, बिहार

विषय 👉🏻हिन्दी ।रचनाकार :-आ निकुंज अमर जानी जी 🏅🏆🎖️

'जय माँ शारदे '
विषय क्रमांक-383
विषय- हिन्दी 
दिनांक-10-01-2022
समीक्षा हेतु सादर प्रेषित है। 
विधा- कविता 

हिन्दी 
--------
सुन्दर मुहावरों व कहावतों से 
अभिमंडित है हमारी भाषा हिन्दी 
गौरवशाली, गौरवप्रदायनी,ज्ञानदायिनी 
भाषा यह----
संस्कृति का नित् नित् सिंचन करती यह 
सरल है, सुबोध है 
अंधकार में आशा की किरण है यह महान ग्रन्थों में संग्रहित 
इसने दिये संदेश अनेक 
अनुभूतियों के बुनती ताने बाने 
भावनाओं से करीब होते अन्जाने 
माध्यमों में चमकती अत्याधिक 
पारस्परिक संवादों को गढ़ती निर्विवाधिक----
पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण 
हिन्दी की आन, बान और शान है 
भारतवर्ष की राजभाषा 
उसकी पहचान है-----
यह वह पावन गंगा सी 
जिसमें समाहित प्रादेशिक भाषाऐं भी 
हर एक का करती सत्कार है 
छंद,अंलकार से सुसज्जित 
इसका हर एक शब्द है 
कर्णप्रिय यह बन जाती 
जब मात्राओं में घोली जाती 
संगीत के सात सुरों में जा बसती 
कितने गीत-काव्य सहजता से रच देती----
ज्ञान की ऐसी ज्योत जलाती 
विज्ञान का भी आधार बन जाती 
निज भाषा का मुझे अभिमान है 
हिन्दी है हमसे, हिन्दी से हम है 
हिन्दुस्तान के आभामंडल पर यह 
सूर्य की किरणों पर अंकित 
गौरवगान है----
हिन्दी भाषा महान है 
हिन्दी भाषा महान है---।

---- निकुंज शरद जानी 
स्वरचित और मौलिक कविता सादर प्रेषित है।

विषय 👉🏻हिन्दी । रचनाकार :- आ. गोविंद प्रसाद गौतम जी 🎖️🏆🏅

नमन मंच
#कलम बोलती है
#विषय  हिंदी
#विधा  पद्य
#दिनांक  10 जनवरी 2022,सोमवार

देववाणी  संस्कृत जननी
हिन्दी भाषा प्रिय प्रणाम।
तुम बिन जीवन है अधूरा
हम सफल करें हर काम।

हिन्दी अभिव्यक्ति माध्यम
हिन्दी अर्चन  ईश्वर पूजन।
हिन्दी से हम कवि करते हैं
हिन्दी साहित्य प्रिय सृजन।

हिन्दी मात्र नहीं यह भाषा
हिन्दी पूर्ण करे अभिलाषा।
हिन्दी गौरव हिन्दी सौरभ
हिन्दी पूर्ण, करे हर आशा।

हिन्दी मुक्तक ,प्रबंध काव्य 
हिन्दी शब्दकोष है व्यापक।
हिन्दी आन मान शान जग
हिन्दी ज्ञान का भव्य दीपक।

हिन्दी छंद अलंकार सौष्ठव
हिन्दी व्याकरण अति सुगम।
हिन्दी विश्वव्याप्त भाषा यह
हिन्दी गौरव जग में सर्वोत्तम।

हिन्दी दिवस पर एक सुझाव
हिन्दी ज्ञान , सागर गम्भीर है।
हिन्दी का नित प्रचार कीजिये
हिन्दी सुरम्य, मलय समीर है।

स्वरचित, मौलिक
गोविंद प्रसाद गौतम 
कोटा,राजस्थान।

गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

रचनाकार :- आ टी. के. पांडेय जी 🏆🥇🏆

आम आदमी

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लेखन द्वारा टी के पांडेय
दिल्ली
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कलम को समर्पित
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आम आदमी का क्या कीमत, दर दर ठोकर खाता जाता। 
इधर, चपाता लगा रहा है, उधर चपाता और लगाता। 

शेष हाथ खाली खाली है, मन की वह मुश्कान कहाँ है
आम आदमी हूँ मै साहब, मेरा वह पहचान कहाँ है। 

सड़कों के झोपड़ पट्टी में, सदियों से मैं रहता आया। 
आम आदमी हूँ, मै भाई । 
झूठे वादों से नहलाया। 

दर्द ,व्यथा ,वेदना सहुँ मैं, छल प्रपंच सर नहीं कहीं है। 
दो लत्ति खाता हूँ भाई, कह कर जाता जिसका जी है। 

आम आदमी की ताकत को देखा नहीं, दिखाता हूँ मैं
मैने ही सरकार बनाई, गीत ध्वनि की गाता हूँ मैं। 

आम आदमी, आह सुना क्या, ईश्वर भी आ कर बसते हैं। 
मेरी झोपड़ में आ देखो, आम लीची कितने ससते हैं। 

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त्रिपुरारी
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रचनाकार :- आ. संगीता चमोली जी

नमन मंच कलम बोलती है साहित्य समुह  विषय साहित्य सफर  विधा कविता दिनांक 17 अप्रैल 2023 महकती कलम की खुशबू नजर अलग हो, साहित्य के ...