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शनिवार, 7 जनवरी 2023

रचनाकार :- आ. ममता यादव जी.. रचना का शीर्षक :-सलोना बचपन



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रोते - बिलखते दुनिया में आकर,
सुनहरे सपनों के पंख लगाकर।
बचपन की गलियारों से होकर,
स्वर्णिम जीवन की आस लगाकर।

नटखट सलोने बचपन की याद,
अब रमता है मेरे तन - मन में।
कितना सरल कितना निश्छल,
वो प्यारा बचपन था जीवन में।

कागज़ की  कश्तियां  बनाना,
मिट्टी ले खिलौनों संग खेलना,
बारिश के पानी में छपाक लगाना,
सखी-सहेलियों संग मेला देखना।

फूलों सा था वो नाज़ुक बचपन,
कितना सुखमय था मेरा बचपन।
गुज़रे लम्हों का खुशनूमा बचपन,
आज भीगा है यादों का अंतर्मन।

ममता यादव ✍️
मुंबई महाराष्ट्र 
स्वरचित एवं मौलिक रचना

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