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सोमवार, 2 जनवरी 2023

रचनाकार :- आ. रुपेश यादव औराई जी

कलम बोलती है साहित्य समूह
दिनांक 02/01/2023
 विषय  "नया साल"
विषय क्रमांक 532

कोई रो रहा है कोई गा रहा है 
लेकिन नया साल मना रहा है।

कोई रजाई में पड़ा है 
कोई नहाने के लिए खड़ा है
कोई पानी के लिए चिल्ला रहा है
 लेकिन नया साल मना रहा है।

कोई ठंड से कांप रहा है 
कोई उठकर अलाव ताप रहा है
 कोई बिना नहाए ही खा रहा है 
लेकिन नया साल मना रहा है।

कोई घूमने जा रहा है 
कोई घूम घूम कर आ रहा है
कोई घर पर ही भजन गा रहा है
लेकिन नया साल मना रहा है।

कोई घर गिरस्ती में लगा है 
कोई जीवन की मस्ती में लगा है 
कोई दोस्तों की महफिल सजा रहा है
लेकिन नया साल मना रहा है।

कोई नौकरी करके आ रहा है 
कोई नौकरी पर जा रहा है 
कोई घर पर ही दिमाग लगा रहा है
लेकिन नया साल मना रहा है।

संदेश देने की झड़ी लगी है 
मोबाइल पर भीड़ बड़ी लगी है 
कोई जमकर बतिया रहा है 
लेकिन नया साल मना रहा है।
 स्वरचित मौलिक 
रुपेश यादव औराई भदोही उत्तर प्रदेश

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