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गुरुवार, 12 जनवरी 2023

रचनाकार :- आ. अरविन्द सिंह "वत्स" जी, शीर्षक :- प्रेम तपस्या और साधना

नमन-------कलम बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक-----------------------536
विषय------------प्रेम तपस्या और साधना
तिथि---------------------11/01/2023
वार------------------------------बुद्धवार
विधा------------------सरसी छन्द में गीत
मात्राभार-------------------------16,11

            #प्रेम_तपस्या_और_साधना

प्रेम  तपस्या  और  साधना,जीवन में अनमोल।
नेक कर्म से रिश्ता जोड़ो,हे ! मानव दृग खोल।।

त्याग तपस्या अरु परमारथ,करते रहिये भक्ति।
हिय  की व्याधा सकल कटेगी,ईश्वर देंगे शक्ति।।
कठिन साधना में रत रहिये,प्यारी मधुरम बोल।
प्रेम  तपस्या  और  साधना,जीवन में अनमोल।।

लोभ  मोह  से मोह न करिये,सच्चे मन से कर्म।
जीव - जन्तु  की सेवा करके,भू पर करिये धर्म।।
नष्ट कीजिये नहीं किसी को,बनें नहीं बकलोल।
प्रेम  तपस्या  और  साधना,जीवन में अनमोल।।

नरम  हृदय  में  मानवता का,बने सदा आवास।
कट  जायेगा  संकट पथ का,करें और विश्वास।।
सत्य  मार्ग पर चलते जायें,रखें न मन में झोल।
प्रेम  तपस्या  और  साधना,जीवन में अनमोल।।

निश्चल  मन  में  पाप  न  आये,रहिये इससे दूर।
कभी न बनिये क्रूर धरा पर,कभी न मद में चूर।।
दोष न आये वाणी में भी,मधुर-मधुर रस घोल।
प्रेम  तपस्या  और  साधना,जीवन में अनमोल।।

सरल बहुत है प्रभु को पाना,भाव रखें निश्वार्थ।
बुरी  बला है धन की लालच,सदा करें परमार्थ।।
कड़ी तपस्या करते रहिए,वत्स बजा कर ढोल।
प्रेम  तपस्या  और साधना,जीवन में अनमोल।।

अरविन्द सिंह "वत्स"
प्रतापगढ़
उत्तरप्रदेश

3 टिप्‍पणियां:

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