जय शारदे माँ।
कलम✍ बोलती है साहित्य समूह।
क्रमांक-532
दिनांक--३|०१|२३,सोम.मंगल.
विषय- नव वर्ष, छंद-मुक्त कविता।
(समीक्षार्थ प्रस्तुति)
नई ऊर्जा,नई खुशियाँ लेकर आया नव वर्ष।
गम की रैना बीत गयी छाया है चहुं ओर हर्ष।
सूर्य रश्मियाँ जगमगातीं सुखद आशीष लिए।
आओ करें स्वागत इसका बाहों के हार लिए।
नयी सौगात के पुष्पों से सुसज्जित करके।
आशाओं के दीप जलाएं,उन्नति के नये आयाम लिए,चिंता,कष्टों को भूलकर नव मार्ग लिए।
अब ना आये कोई महामारी नव संताप लिए।
भ्रातृभाव,की अभिलाषा के संग उम्मीद लिए।
नया सवेरा मुस्काया,आशाओं के पंख लिए।
सुख,समृद्धि फैले एक नया उल्लास लिए ।
जन कल्याण की भावना से हम नव वर्ष का सत्कार करें।
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©️स्वरचित मौलिक रचना।
शोभा वर्मा--०३|०१|२३
देहरादून,उत्तराखंड।
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