विषय-पाठशाला
विषय क्रमांक-424
दिनांक-15/4/2022
✍️लघुकथा
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प्राइमरी स्कूल की उच्च कक्षा उतीर्ण कर T C प्राप्त करने के बाद राजकीय संस्कृत विद्यालय में कक्षा 6 में प्रवेश के समय मेरी आयु 8 वर्ष ही थी।
मुझे आज भी याद है रास्ते में गांव का ही एक व्यक्ति जो मेरे से बहुत बड़ा है, ने मुझसे पूछा क्या करता है बे? मैंने कहा कक्षा6 में पढ़ता हूं। तो उसने मेरी उम्र व कद को देखकर कुछ अपशब्द कहे और कहा देखते हैं क्या? करेगा पढ़ कर।
उसी दिन मैंने मन में ठान ली पढ़ लिखकर इसे कुछ करके दिखाना है, घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण मजदूरी भी करनी पड़ती थी।
पर वो बात एक टीस बनकर मेरे मन में चुभती रहती थी।
पढ़ने का समय कम ही मिलता था और न ही इतना हमारे यहां पढ़ाई को अधिक महत्व दिया जाता था पर वो बात रह रहकर चुभती रहती थी। तो रात्री को पढ़ने के लिए समय निकालता और अध्ययन किया करता था।
समय बीतता गया पाठशाला में अध्ययन के साथ-साथ उसके द्वारा किया गया अपमान कुछ करने के लिए मजबूर करता रहा और उसकी बदौलत आज में सरकारी सेवा में कार्य कर रहा हूँ।
आज भी वो व्यक्ति जब भी मुझे कहीं मिलता है तो उसकी कहि बात याद आती है, मुझे नहीं पता उसको वो बात याद है या नहीं पर मुझे आज भी याद है और में तो उसे अपना मार्गदर्शक मानकर नमन, प्रणाम करता हूँ पता नहीं वो चुभने वाली बात अगर मुझे नहीं कहता तो इस मुकाम पर पहुँचता या कहीं मजदूरी करता रहता।
स्वरचित व मौलिक, स्वगठित भी।
राजेन्द्र कुमार राज
श्रीमाधोपुर, सीकर
राजस्थान
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