विषय -- लघुकथा (पाठशाला)
दिनांक --१५/०४/२२
पाठशाला
ममता, मैं तो अपने बिट्टू से बहुत परेशान हूं आए दिन मोहल्ले वालों की शिकायत, लड़ाई, झगड़ा, सुन-सुन के तंग आ गई कुछ समझ नहीं बन रहा करूं तो करूं क्या ऐसा दीप्ति ने चेहरे पर तनाव भरे भावों से कहा ... ममता ने गंभीर भाव से सुना फिर पूछा कि बिट्टू पढ़ता कहां है . ममता ने कहा कॉन्वेंट में, तब दीप्ति ने कहा कि यदि बुरा न मानो तो मैं एक बात कहूॅं, तो ममता ने कहा इसमें बुराई की क्या बात है ।
मुझे तो समस्या का हल मिल जाए क्योंकि अब मैं बहुत तंग आ चुकी हूॅं रोज-रोज की शिकायतें सुनकर... तब दीप्ति ने कहॉं पहले मुझे भी ऐसी शिकायतें रोज मिलती थी मेरे व्यू की पर मेरे पड़ोस में रहने वाली चाची ने मुझे सलाह दी की व्यू का नाम सरकारी पाठशाला में लिखवा दो... जहां शिक्षा के साथ संस्कार की भी शिक्षा दी जाता है ।
मैंने फिर वैसा ही किया और व्यू का नाम पाठशाला में लिखवा दिया तब से मुझे व्यू से कोई शिकायत नहीं है । दीप्ति की बात सुनकर ममता के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव थे और वह तुरंत घर गई और अगले दिन ही उसने अपने बेटे बिट्टू का नाम सरकारी पाठशाला में लिखवा दिया, तब से बिट्टू कि कोई शिकायत नहीं आती और आज बिट्टू बहुत ही संस्कारी और गुणी छात्रों में गिना जाता है ।
पूर्व सैनिक
प्रमोद कुमार चौहान
कुरवाई विदिशा मध्यप्रदेश
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