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रविवार, 17 अप्रैल 2022

लघुकथा आयोजन.. पाठशाला (आ. आरती गुप्ता जी)

#कलम ✍️बोलती है साहित्य समूह
#नमन मंच
#दो दिवसीय लेखन
#दिनांक- १५/०४/२०२२ से १६/०४/२०२२
# विधा- लघुकथा#
#विषय- पाठशाला
# दिन- शनिवार
🙏🙏🙏
सीमा कुछ दिनों से बहुत परेशान थी ,रह - रह कर उसे मोहन के प्रश्न कांटो की तरह चूभ रहे थे, पर करती भी, तो क्या करती? वह खुद भी अनपढ़ थी पाठशाला किसे कहते हैं? कम उम्र में ही सीमा की शादी रघु से हो गई ।रघु अक्सर काम के सिलसिले में बाहर ही रहता था ,उधर 1 साल में सीमा को एक प्यारा सा लड़का पैदा हुआ जो बिल्कुल कृष्ण के मनमोहक रूप की तरह लगता था 
सीमा ने उसका नाम भी मोहन ही रखा पर मोहन की तबीयत अक्सर खराब रहती थी डॉक्टरों को दिखाने पर उसे पता चला कि मोहन को मिर्गी की बीमारी है और यह मस्तिष्क में किसी गड़बड़ी के कारण होता है ,जिससे बार-बार दौरे पड़ते हैं ,डॉक्टरों ने साफ-साफ कहा की फिलहाल 10 वर्षों तक मोहन की देख भाल करने की ज्यादा आवश्यकता है, धीरे - धीरे बढ़ती उम्र के साथ मोहन की यह बीमारी भी ठीक हो जाएगी इसी वजह से सीमा ने मोहन का दाखिला स्कूल में नहीं करवाया ।
मोहन 6 वर्ष का हो चुका था अपने दोस्तों को स्कूल जाते एक साथ खेलते मस्ती करते देख उसके मन में भी पाठशाला जाने का विचार आया था और उसने इसी बारे में अपनी मां सीमा से बात की थी ,तभी से सीमा मोहन की तबीयत को लेकर ज्यादा ही चिंतित रहती थी।
कुछ दिनों बाद मोहन की मौसी रीता उसके घर आई मोहन ने अपनी मौसी से पूछा ?मौसी पाठशाला क्या होती है ? मौसी ने कहा बेटा पाठशाला वह पवित्र स्थान हैं ,जहां पर बहुत सारे बच्चे बिना किसी भेदभाव के एक ही छत के नीचे बैठकर एक साथ शिक्षा प्राप्त करते हैं , दूसरे शब्दों में पाठशाला को हम स्कूल भी कहते हैं ।
मोहन ने कहा, मौसी मुझे भी पाठशाला जाना है , मां को बोलो ना कि वह मुझे पाठशाला जाने दे।
दीदी क्या तुमने अभी तक मोहन का दाखिला स्कूल में नहीं करवाया ?सीमा तुम तो जानती हो ना रीता मोहन की तबीयत के बारे में ।
हो सकता है ,स्कूल जाने से, बच्चों के साथ खेल कूद करने से मोहन शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनेगा । शायद तुम ठीक कह रही हो तो हम कल ही गांव के स्कूल जाकर मोहन का दाखिला करवाएंगे तुम भी चलोगी रीता साथ में?
अगले दिन सुबह पाठशाला जाकर सीमा ने मोहन का दाखिला करवाया।अब मोहन भी बाकी बच्चों के साथ पाठशाला जाने लगा।

स्वरचित
आरती गुप्ता (अंतरा)
रायपुर छत्तीसगढ़

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रचनाकार :- आ. संगीता चमोली जी

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