दिनांक 15.4.2022
विषय क्रमांक 424
विषय पाठशाला
विधा लघु कथा
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मैं जब पाठशाला में शिक्षक थी उस समय मेरे बच्चे बहुत छोटे छोटे थे!
नित्य प्रातः ही घर की जिम्मेदारी रहती थी और बच्चों को भी विद्यालय के लिए तैयार करना होता था!
सच बहुत भागमभाग लगा रहता, काम के साथ ही उनके गृहकार्य कभी परीक्षा की तैयारी तो कभी असाइंमेंट और भी ना जाने क्या क्या❓
नये कक्षा में जाते ही नये किताब कापियाँ स्टेशनरी! बच्चों के साथ बडे़ उत्साहित हो मिल कर सब निपटाते थे!
सच पाठशाला की शिक्षा हमारे जीवन की अमुल्य धरोहर है और सच्चे ज्ञान का भंडार भी! हम सामाजिक वातावरण के साथ मित्रता और प्रगतिशील होना अर्जित करते हैं!
किरन पाण्डेय
मौलिक गोरखपुर उत्तर प्रदेश
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