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शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022

#लघुकथा_आयोजन.. पाठशाला (आ. मंजु माथुर जी)

जय मां शारदा  
मंच को नमन  
दिनांक 15 अप्रैल 2021
 विषय पाठशाला 
विधा लघु कथा
स्वरचित एवं मौलिक
रश्मि के पास विद्या का फोन आया ।विद्या चकित रह गई। आज इतने दिन बाद सखी का फोन क्यों आया ।दोनों सखियां पुरानी यादों में खो गई  विद्या ने पूछा अरे तुझे मेरी याद कैसे आ गई तो रश्मि ने कहा आज मैं यहां गांव आई हुई हूं ।मार्केटिंग करने जा रही थी रास्ते में अपनी पाठशाला मिली ।पुरानी यादें ताजा हो गई और सबसे ज्यादा याद तुम्हारी आई आकर तुम्हें फोन कर रही हूं।
हां उस समय का तो पाठशाला का अनुभव बहुत शानदार है। याद है हम लोग नाव में बैठकर स्कूल जाया करते थे।
 सभी जाति समुदाय के लड़के और लड़कियां होते थे पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं था ।अपन कितनी मस्ती करते थे और सच कहूं तो उस नाव की यात्रा में साथियों द्वारा लाए गए बाजरे की रोटी राबड़ी ,लहसुन की चटनी कभी भुलाए नहीं भूलेगी ।और नाव से उतरने के बाद साथी अपने खेतों से ज्वार लाते थे और उन बालियों को भून कर जो ज्वार निकलती थी उसको वे लोग माखन मिश्री कहते थे ।वास्तव में वह माखन मिश्री  कितनी मिठास भरी होती थी ।वह मिठास तो उसमें ही थी पर साथियों के प्रेम की मिठास उसे दुगना कर देती थी।
जिसका होमवर्क अधूरा होता वहीं बैठ कर सब मिलकर एक दूसरे का होमवर्क पूरा करवाते थे।
विद्या की बात सुनकर रश्मि ने कहा हां अपनी पाठशाला कितनी अच्छी थी। केवल पढ़ाई ही नहीं पी टी खेलकूद सिलाई कढ़ाई सभी बातें याद आती है उस पाठशाला को हम कभी नहीं भूल सकते हमारी नींव वही तैयार हुई थी।
मनु रोता हुआ आया मम्मी भूख लगी है खाना दो। तब विद्या ने कहा अच्छा चलती हूं आज बहुत अच्छा लगा अपने बचपन की अपनी पाठशाला की याद करके।
 मंजु माथुर अजमेर राजस्थान

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रचनाकार :- आ. संगीता चमोली जी

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