# विषय_ पाठशाला
# विधा_ लघुकथा
# दिनांक _ १७/०४/२०२२
जब कक्षा तीन में पड़ता था । तो में पड़ने में थोड़ा कमजोर होने के कारण में स्कूल बहुत कम जाता था। दिन में खेलना और सुबह - शाम यमुना नदी पर अपनी गाय - भैंस चराने के बाद फिर घर आ जाना। फिर जैसे ही सुबह हुई और घर से छुपकर निकलना ,बस जैसे ही हमारे गुरु जी को पता चला कि आकाश आज फिर से पाठशाला नहीं आया तो दो - लड़के भेजना और हमारी पिटाई करना । मुझे तैरने का काफी सौंक था, स्कूल जाना भूल जाता था मगर यमुना नहीं पर प्रतिदिन जाना नहीं भूल पाता । कुछ दिन बाद हम भरतपुर चले जाते है । ये वो कदम था जहां हम पहली बार , कार बस ,ऊंची ,इमारतें , देखते है । फिर में मन ही मन सोचता हूं । ये दुनिया कितनी बड़ी है,
भरतपुर में मेरी मुलाकात एक नेक,लड़की नीलम से होती है। वो पड़ने में काफी तेज थी । वो हमसे बुद्धू बोलती थी, धीरे - धीरे हमने उससे बहुत कुछ सीख लिया, अंग्रेजी भाषा,में बात करना भी आसान सा लगने लगा,एक दिन ,नीलम और मुझ में थोड़ा झगड़ा सा हो जाता है, दो दिन बाद आचनक वो बोलती है कि ओए बुद्धू मुझे तुझसे सादी करनी है, मगर एक शर्त है।कक्षा १० में मुझसे ज्यादा नंबर लाने होने ,वो अपने पापा का फोन नंबर देती है , और बोलती है अब घर चला जाना ,और मन लगाकर पड़ना , में अपने गांव आया और सारी बात अपने, गुरु जी को बताई जो हिन्दी के आध्यपक थे, पहले तो हसे फिर उन्होंने मुझे घर ३ साल रखा में बही पड़ता, जब कक्षा १० के पेपर आग गए थे, अगले दिन सोमवार को हिंदी का पेपर था, तो गुरु जी ने मुझे बुलाया और बोले वो नंबर कहा है । में घर आया संदूक में से नंबर को निकाला और गुरु जी पास पहुंच गया। गुरु जी ने फोन मिलाया, फोन नीलम के हाथ में ही था। उसने मेरी आवाज ३साल बाद भी पहचान ली और बोली । शादी करेंगे मैने कहा हां , अंत में नीलम से ४ नंबर ज्यादा आते है , फिर हम मिलते है ,और शादी न करके और दोनों एक साथ,राजकीय iTi बृंदावन,मथुरा में हमारा सलेक्शन हो जाता है ,
आकाश, बघेल ,मथुरा ,उत्तर प्रदेश।
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